कुछ तो संभालिए.....
मस्जिद से चलते ही मंदिर संभालिए..
मंदिर से चलते ही मस्जिद संभालिए,
लेकिन पहले आप अपना घर संभालिए।।
पर्दे तो टांग लेना खिड़कियों के बाद में भी
पहले पड़ौस से आते हुए पत्थर संभालिए।।
दुश्मन तो संभाल लेना दुश्मनी पर आए तब,
मगर पहले कुछ दोस्तो की नजर संभालिए।।
सांपो के कांटो का तो उतार है प्रेम पर
मगर पहले आस्तिनों में छुपा वो जहर संभालिए।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)