भाजपा से लोकसभा प्रत्याक्षी रहे , सेवानिवृत फौजी के पुत्र ,,अर्णब गोस्वामी , चाहे कांग्रेस के विधायक ,पदाधिकारी ,, अपने नाना की गोद में पले बढे हों , लेकिन उन्होंने सियासत नहीं चुनी और वोह पत्रकारिता में आ गए , अब वोह सियासत कर रहे है ,या पत्रकारिता , यह तो देश ही जानता है , लेकिन उनका चैनल ,, इन दिनों विवादों में है ,,केंद्र की एजेंसियों ने भी ,टी आर पी मामले में उन्हें घेरा है , अब आत्महत्या के मामले में उकसाने को लेकर उनकी गिरफ्तारी ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता सहित ,, महिलाओं की शिकायत पर ईमानदाराना जांच ,, कार्यवाही , और विधवा अबला महिला के प्रभावशाली व्यक्ति के खिलाफ उसकी मदद को लेकर भी देश में सवाल उठ खड़े हुए है ,,, ,देश जानता है ,,,के पत्रकार रिपोर्टिंग कर रहे है , या फिर सियासी मार्केटिंग , या फिर व्यीक्ति , पार्टियों के स्टारों का मानमर्दन निजी तोर पर कर , दूसरी पार्टियों को सियासी फायदा पहुंचाने के सियासी एजेंट बने है , ,में इन सब पर नहीं जाना चाहता , लेकिन महाराष्ट्र , अलीबाग , रायगढ़ पुलिस ने उन्हें एक विधवा बेसहारा महिला ,, की शिकायत पर , उसके पति , सास को , आर्थिक अपराध आकर ,आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में जो गिरफ्तार किया है ,, उसका पत्रकारिता से किसी भी तरह का ताल्लुक़ नहीं है , वोह सिर्फ एक महिला की शिकायत , पूर्व सरकारों द्वारा प्रभाव के कारण उस मामले में क्लोज़र रिपोर्ट फिर जांच के बाद ,दोषी होने पर कार्यवाही की क़ानूनी दास्ताँ है ,, देश जानता है ,जब सत्ता से जुड़े किसी व्यक्ति , या सत्ता के निकटतम ,, किसी पत्रकार , व्यक्ति के खिलाफ , पत्रकारिता के अलावा निजी कोई मुक़दमे बाज़ी होती है ,तो पुलिस से लेकर ,,प्रशासन , नेतागण , ऐसे लोगों का आउट राइट होकर उनकी मदद करते है ,,अर्णब गोस्वामी द्वारा ,, फरियादी विधवा अबला के पति ,, सास इंटीरियर डेकोरेटर से ,, 540 करोड़ रूपये के स्टूडियों सहित अन्य व्यस्थाओं में जो घपलेबाज़ी की है , या काम करवाकर भुगतान नहीं किया ,यह जांच का विषय हो सकता है ,, लेकिन पूर्व जांच अधिकारीयों ने , क्लोज़र रिपोर्ट लगाया ,फिर नई कार्यवाही में उन्हें दोषी माना ,, यह नयी बात नहीं है ,, किसी भी पुराने मुक़दमे में अगर पक्षपात हो ,,प्रभावशाली होने से मामला गलत तरीके से रफा दफा हो तो कार्यवाही कई सालों बाद भी शुरु होती है ,,, इस मामले में , अर्नब को गिरफ्तार करने गयी पुलिस के साथ उन्होंने देश का सम्मानित नागरिक होने की दुहाई होने पर भी , को ऑपरेट नहीं किया ,, सवाल खड़े किये , पत्नी ने वीडियो बनाये ,, गिरफ्तारी के नोटिस को फाड़ कर तार तार कर दिया , यह अधिकारीयों को धमकाने ,राजकार्य में बाधा पहुंचाने का मामला तो है ,, लेकिन पुलिस ने अगर अर्णब गोस्वामी को चोटग्रस्त किया है ,गिरफ्तारी से बचने के प्रयासों में ,,जो शक्ति लगाई है ,उसके अलावा , कोई मारपिटाई की है तो निश्चित तोर पर निंदनीय है ,,,उनके लिए कोर्ट रात को खुली रही , कार्यवाही चलती रही , इन्साफ ऐसा ही होना चाहिए , लेकिन जिस तरह से केंडल मार्च ,, एक तरफा एक ही विचारधारा के लोग सामने आये है ,, उससे सियासी हवा और गंदगी की तरफ है ,,, किसी की गिरफ्तारी अदालत में चेलेंज होती है , अदालत से ही ज़मानत ,या मुक़दमा ख़ारिज होता है ,झूंठी गिरफ्तारी पर अधिकारीयों के खिलाफ अदालत में ही सजा के मुक़दमे लगते है , लेकिन अदालतों ,, पुलिस एजेंसियों को डराना , धमकाना ,,झूंठा क़रार देना ,, वाजिब बात तो नहीं ,,अफ़सोस इस बात पर है ,के इस मामले में लाइव बहस किसी भी चैनल ने नहीं दिखाई ,रिपब्लिक भारत खुद ही ,पूंछता है भारत ,, के नाम पर ,, पीड़िता परिवादी विधवा से ही लाइव पूंछता के उसके पति , उसकी सास की मोत के कारणों के पीछे उसने , अर्णब को मानकर मुक़दमा दर्ज क्यों कराया , राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री ,सहित सभी जगह पर शिकायतें करने के बाद उसे किया रिस्पॉन्स मिला ,, चलो ,अर्णब का चैनल था ,रिपब्लिक भारत तो , लेकिन और दूसरे चैनल , तो इस मामले में लाइव बहस कर सकते थे , देश के प्रधानमंत्री , देश के गृह मंत्री , देश की सरकार की महिला मंत्री , देश की सरकार को संचालित करने वाला संगठन इनमे से कोई तो ऐसा होता ,, जो इस गिरफ्तारी को गलत बताने के प्रोपेगण्डे के साथ , उस पीड़िता विधवा महिला के पास भी जाता , ,जो महिला अपने पति , अपनी सास को ,, उनकी आर्थिक व्यवस्था को तहस नहस कर , उम्मीदों को नकारकर ,निराशावाद में पहुंचाकर उनकी आत्महत्या के दोषी के खिलाफ वोह कार्यवाही क्या चाहती है ,,उन्हें इन्साफ मिला या नहीं ,, आखिर वोह महिला जिसका पति , जिसकी सास की मृत्यु हुई है , आत्महत्या हुई है ,उसने मुक़दमा 59 /2018 रायगढ़ पुलिस में दर्ज कराया ,उसमे जांच प्रॉपर हुए बगैर क्लोज़र रिपोर्ट किन कारणों से लगी ,,,फिर दुबारा जांच में सुबूतों में अर्णब को कैसे दोषी साबित किया , क्यों गिरफ्तार किया ,,इन मुद्दों पर मीडिया ट्रायल नहीं होगी ,, एक महिला को इन्साफ मिलना चाहिए या नहीं इस पर सभी को सांप सूंघ गया है ,, ,बढे बढे दिग्गज कहे जाने वाले लोग , चौथे स्तम्भ पर हमला , आपात काल की यादें ताज़ा ,, सोनिया गाँधी गेंग ने ऐसा किया ,वगेरा वगेरा कह तो रहे है , लेकिन शर्म आना चाहिए उन्हें जो आज भी , ,उस पीड़िता परिवादिया के हाल जानने नहीं पहुंचे , आज भी उन्हें उस पीड़िता अबला महिला की फ़िक्र नहीं ,, अर्नब की गिरफ्तारी , सही है ,गलत है ,अदालत में तय हो जाएगा ,, लेकिन उस महिला जिसके पति , जिसकी सास ने आत्महत्या की है ,जो सिर्फ ,,,एक व्यवस्था के तहत ,, आर्थिक नुकसान होने पर निराशा में गए , या पहुंचाए गए ,, व्यक्ति की विधवा है ,, उसका भी तो कोई हमदर्द होना ही चाहिए ,, खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहिब को मोर , तोता ,मैना से खेल कूद प्रक्रिया से फ्री होने के बाद , ऐसी महिलाओं के भी हाल जानने चाहिए ,, देश की महिला केंद्रीय मंत्रियों को भी ऐसी प्रताड़ित महिला की आँख के आंसू पोंछना चाहिये ,और सेवानिवृत्त फौजी ऐसी महिलाओं के अंगरक्षक , न्याय के प्रणेता बनकर आगे आये ऐसी व्यवस्था होना चाहिए , दूसरे अख़बार ,न्यूज़ चैनल की तो बात अलग है , खुद रिपब्लिक भारत , के न्यूज़ चैनल या कम्पनी के शेयरहोल्डर्स ,, कर्मचारीगण को भी इस मामले में महिला के साथ इंसाफ हो ,, दूध का दूध पानी का पानी हो इस मामले में आगे आना चाहिए ,,,, ,लेकिन ,,, ,लेकिन ,,,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 नवंबर 2020
भाजपा से लोकसभा प्रत्याक्षी रहे , सेवानिवृत फौजी के पुत्र ,,अर्णब गोस्वामी , चाहे कांग्रेस के विधायक ,पदाधिकारी ,, अपने नाना की गोद में पले बढे हों , लेकिन उन्होंने सियासत नहीं चुनी और वोह पत्रकारिता में आ गए , अब वोह सियासत कर रहे है ,या पत्रकारिता , यह तो देश ही जानता है ,
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