आपका-अख्तर खान

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05 नवंबर 2020

जाने कहाँ गए , वो हमदर्द ,

 

जाने कहाँ गए , वो हमदर्द ,
कंधों पे कभी ,जो बिठाते थे ,
आज वही लोग
उनके गुलामों की शह पर
जो हमारे अपनों में से है,
हमें पैरों तले रौंदते है , अख़्तर

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