लड़ना
था,मनुष्य को,भुखमरी से,कृतिम रूप से,पूंजीपतियों द्वारा,निर्मित की
गई,गरीबी-लाचारी से-दरिद्रता से-उनके द्वारा,निर्धन का,हक-मारने वाली-कुटिल
नीतियो से,अमीरों द्वारा-गरीबों का,शोषण किये जाने कि रीत-से,
जुल्मी शषकों/-की,पूंजी पतियों को,संरक्षण
देकर,दबे-कुचले,और,अंतिम छोर पर,न्याय पाने के लिये, तरस रहे,लाचार देशवासी
के साथ हो रहे अन्याय -के विरुद्ध,भेदभाव-पक्षपात पूर्ण-और-पूंजीपतियों
को-प्रोउत्साहित करनें कि-शाषन-कि-अन्याय-पूर्ण नीति के विरुद्ध,
मगर-दुर्भाग्य-कि*सही और
गलत/न्याय-अन्याय/उचित-अनुचित,की,जानकारी-समझनें,और-सत्य का भान होने के
पश्चात, भी, देशवासियों को-उपरोक्क्त का अहसास, शाषन द्वारा,कभी होनें
ही,नहीं दिया गया,और, इम्पीरियल-साम्राज्यवाद द्वारा-विरासत में
मिली,राष्ट्र के लिये-घातक सिद्ध होने वाली-उनकी,सफलतम-नीति,*फुट डालो और
राज करो*,के फार्मूले,का
इस्तेमाल,-सत्ताधारी-नेताओं/शाशकों/प्रशाश्कों-द्वारा,इतनी,*खूबसूरती-चालाकी-और-बर्बरता*
से किया गया,कि-देशवाशी-भूल भुलैया में,उलझकर-कुचक्र में फंस कर,आपस में
ही-जात-पात-ऊंच-नींच-धर्म- मजहब-उलझकर-इतने,मजबूर हो
गये,कि-अपनी-व्यक्तिगत-उन्नति-प्रगर्ति-तरक्की-और उत्थान
कि-बाँतें-करना-लगभग-लगभग-भूल ही गये, *और-जैसा हैं,जिस हाल में
हैं,जीना हैं,जीना ही पड़ेगा*,को अपनी *लाचारी-मजबूरी/अपना
भाग्य* मानकर-हार मान कर,हथियार डाल कर,बैठ गये*।
प्रेक्षक:::पंडित,**आर.के.कौशिकजी**
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
21 नवंबर 2020
लड़ना था,मनुष्य को,भुखमरी से,कृतिम रूप से,पूंजीपतियों द्वारा,निर्मित की गई,गरीबी
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