यह परचम उर्दू का है
नारा ऐ इंक़लाब का है ,
144 हो या ऐ के 47 हो,
उर्दू मोत से नहीं डरी
तो बताओ तुम से क्यों डरे,
सुना तो है कुछ धमकियां मिली
कुछ सेटिंग हुई
कुछ मीटिंगे हुईं,
कुछ केंसिल हुईं
कुछ फैसले हुए
कुछ खोफ से डर गए ,
यह नारा ऐ ज़ुबान इंक़लाब ,
सारे जहां से अच्छा
हिन्दुतान हमारा है की है ,
फिर क्यों डरते हो ,
क्यों इंसाफ के हक़ की मीटिंगे
केंसिल करते हो ,, अख़्तर
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