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06 अक्तूबर 2020

और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आखि़र फ़रिशते हमारे पास क्यों नहीं नाजि़ल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देख

 और जो लोग (क़यामत में) हमारी हुज़ूरी की उम्मीद नहीं रखते कहा करते हैं कि आखि़र फ़रिशते हमारे पास क्यों नहीं नाजि़ल किए गए या हम अपने परवरदिगार को (क्यों नहीं) देखते उन लोगों ने अपने जी में अपने को (बहुत) बड़ा समझ लिया है और बड़ी सरकशी की (21)
जिस दिन ये लोग फ़रिश्तों को देखेंगे उस दिन गुनाह गारों को कुछ ख़ुशी न होगी और फ़रिश्तों को देखकर कहेंगे दूर दफान (22)
और उन लोगों ने (दुनिया में) जो कुछ नेक काम किए हैं हम उसकी तरफ तवज्जों करेंगें तो हम उसको (गोया) उड़ती हुयी ख़ाक बनाकर (बरबाद कर) देगें (23)
उस दिन जन्नत वालों का ठिकाना भी बेहतर है बेहतर होगा और आरमगाह भी अच्छी से अच्छी (24)
और जिस दिन आसमान बदली के सबब से फट जाएगा और फ़रिशते कसरत से (जूक दर ज़ूक) नाजि़ल किए जाएँगे (25)
उसे दिन की सल्तनत ख़ास ख़ुदा ही के लिए होगी और वह दिन काफिरों पर बड़ा सख़्त होगा (26)
और जिस दिन जु़ल्म करने वाला अपने हाथ (मारे अफ़सोस के) काटने लगेगा और कहेगा काश रसूल के साथ मैं भी (दीन का सीधा) रास्ता पकड़ता (27)
हाए अफसोस काश मै फ़ला शख़्स को अपना दोस्त न बनाता (28)
बेशक यक़ीनन उसने हमारे पास नसीहत आने के बाद मुझे बहकाया और शैतान तो आदमी को रुसवा करने वाला ही है (29)
और (उस वक़्त) रसूल (बारगाहे ख़ुदा वन्दी में) अर्ज़ करेगें कि ऐ मेरे परवरदिगार मेरी क़ौम ने तो इस क़ुरआन को बेकार बना दिया (30)

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