और वह वही हे जो मुझे मार डालेगा और उसके बाद (फिर) मुझे जि़न्दा करेगा (81)
और वह वही है जिससे मै उम्मीद रखता हूँ कि क़यामत के दिन मेरी ख़ताओं को बख्श देगा (82)
परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर (83)
और आइन्दा आने वाली नस्लों में मेरा जि़क्रे ख़ैर क़ायम रख (84)
और मुझे भी नेअमत के बाग़ (बेहेश्त) के वारिसों में से बना (85)
और मेरे (मुँह बोले) बाप (चचा आज़र) को बख्श दे क्योंकि वह गुमराहों में से है (86)
और जिस दिन लोग क़ब्रों से उठाए जाएँगें मुझे रुसवा न करना (87)
जिस दिन न तो माल ही कुछ काम आएगा और न लड़के बाले (88)
मगर जो शख़्स ख़ुदा के सामने (गुनाहों से) पाक दिल लिए हुए हाजि़र होगा (वह फायदे में रहेगा) (89)
और बेहेश्त परहेज़ गारों के क़रीब कर दी जाएगी (90)
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 अक्तूबर 2020
परवरदिगार मुझे इल्म व फहम अता फरमा और मुझे नेकों के साथ शामिल कर
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)