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27 अक्तूबर 2020

कोराना वॉरियर्स को समर्पित पुस्तक: ‘ए हिप्पोक्रेटिक ओडिसी: लेसन फ्राॅम ए डाॅक्टर कपल आन लाइफ इन मेडिसिन चैलेंजेज एण्ड डाॅक्टरपे्रन्योरशिप

 

*कोराना वॉरियर्स को समर्पित पुस्तक: ‘ए हिप्पोक्रेटिक ओडिसी: लेसन फ्राॅम ए डाॅक्टर कपल आन लाइफ इन मेडिसिन चैलेंजेज एण्ड डाॅक्टरपे्रन्योरशिप’’*
समुचा विश्व इस समय कोविड-19 नामक वैश्विक महामारी से जूझ रहा है। डाॅक्टर्स, पेरामेडिकल स्टाफ, सफाईकर्मी, पुलिस कर्मी, एवम् प्रशासनिक अधिकारी इस समय कोरोना वारियर्स बनकर इस अदृश्य शत्रु (विषाणु) से मुकाबला कर रहे है। कोरोना कालखण्ड के दौरान अनेको डाॅक्टर्स अन्य हैल्थ वर्कर्स कोविड 19 से संक्रमित रोगियों को बचाते हुए अपने प्राणों की आहुति भी दे चुके है। कोरोना महामारी के दौरान विश्व भर में हेल्थ, हाईजिन, हेल्थ केयर, हाॅस्पिटल की महत्ता फिर से साबित हो चुकी है।
कोरोना कालखण्ड के इस चुनौति पूर्ण समय के दौरान देश के भावी चिकित्सकों को सफलता के महत्वपूर्ण सूत्र साझा करने हेतु देश के सुविख्यात नेत्र सर्जन डाॅ. सुरेश पाण्डेय एवं डाॅ. विदुषी शर्मा ने ‘‘ए हिप्पोक्रेटिक ओडिसी: लेसन फ्राॅम ए डाॅक्टर कपल ऑन लाइफ इन मेडिसिन, चैलेंजेज एण्ड डाॅक्टरपे्रन्योरशिप’’ नामक पुस्तक लिखी है। विश्व के सुप्रसिद्ध प्रकाशक ब्लमस्बरी (नई दिल्ली) ने इस पुस्तक को प्रकाशित किया है। इस पुस्तक में कोविड-19 वैश्विक महामारी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले सभी चिकित्सकों को भी श्रृद्धांजलि दी गयी है।
कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद न्यू नाॅर्मल ट्रेंड सेट करते हुए भारत चिकित्सा क्षेत्र में महाशक्ति कैसे बनें? बदलते परिवेश में डाॅक्टर मरीज के संबंध प्रगाढ़ हो? दिनों दिन बढ़ता जा रहा इलाज का खर्च कैसे कम हो? मेडिकल ट्यूरिज्म में किस प्रकार इजाफा हो जिससे भारत मेडिकल ट्यूरिज्म के क्षेत्र में सबसे ऊंचे पायदान पर पहुंच सके । ‘ए हिप्पोक्रेटिक ओडिसी नामक पुस्तक में इन सभी महत्वपूर्ण विषयों पर लेखकों द्वारा चर्चा की गयी है। अमेरिका एवं आस्ट्रेलिया में 7 वर्षो तक अपनी सेवाएं देने के बाद स्वदेश लौटकर वर्तमान में सुवि नेत्र चिकित्सालय, कोटा (राजस्थान) में कार्यरत्त नेत्र सर्जन डाॅ.सुरेश पाण्डेय एवं डाॅ.विदुषी शर्मा ने देश के सुप्रसिद्ध मेडिकल इंस्टिट्यूट (एम्स, नई दिल्ली एवं पीजीआई, चंडीगढ़) में प्राप्त की गई मेडिकल ट्रेनिंग की अनुठी यात्रा का भी जीवन्त चित्रण किया गया है। इस पुस्तक का लिखने का मुख्य उद्देश्य मेडिकल स्टूडेन्टस एवम् ट्रेनी चिकित्सकों को कम्पेशन (दयालुता) कम्यूनिकेशन (सम्प्रेषण) काॅम्पीटेंस (मेडिकल ज्ञान की परिपक्वता) पर जोर देते हुए उन्हें सफल एवम् संवेदनशील डाॅक्टर बनने के महत्वपूर्ण सूत्र साझा करना है। पुस्तक के 450 पृष्ठों में मेडिकल मेडिकल छात्रों एवं ट्रेनी चिकित्सकों के लिए मरीज डाॅक्टर संबंध सगुम एवम् प्रगाढ़ करने के लिए अनेकों टिप्स शेयर किये गये है। इस पुस्तक में कुल 41 अध्याय है इन्हे 11 खण्डों में बांटा गया है। हर अध्याय के अंत में "टेक हाॅम मैसेज" के माध्यम से मेडिकल छात्रों एवं युवा चिकित्सकों के लिए अति महत्वपूर्ण संदेश (पर्ल ऑफ विजिडम) साझा किए गए है। चेपटर के अंत में क्या आप जानते हैं? नामक काॅलम के माध्यम से डाॅक्टर्स डे, डिफेन्सीव मेडिसिन, डाॅक्टरों में बढ़ती आत्महत्या, फर्स्ट डू नो हार्म आदि महत्वपूर्ण विषयों के बारे में जानकारी दी गई है।
इस पुस्तक की प्रस्तावना (फाॅरवर्ड) आस्ट्रेलिया के डाॅक्टर फ्रेंक बिलसन, अमेरिका के डाॅक्टर एडवर्ड विलसन, भारत के सुप्रसिद्ध हार्ट सर्जन पद्मभूषण डाॅक्टर नरेश त्रेहान, पदम्भूषण डाॅ. देवी शेट्टी, सुप्रसिद्ध नेत्र सर्जन पद्मश्री डाॅक्टर जगतराम (निदेशक, पी.जी.आई. चण्डीगढ़), सुप्रसिद्ध फिजिशियन पद्मश्री डाॅक्टर रनदीप गुलेरिया (निदेशक, एम्स, नई दिल्ली), सुप्रसिद्ध न्यूरोलाोजिस्ट पद्मश्री डाॅक्टर अशोक पनगड़िया, पद्मश्री डाॅ. नटराजन सुन्दरम, (मुम्बई) आदि ख्याति प्राप्त चिकित्सकों ने लिखी है।
‘‘ए हिप्पोक्रेटिक ओडिसी: लेसन फ्राॅम ए डाॅक्टर कपल ऑन लाइफ इन मेडिसिन चैलेंजेज एण्ड डाॅक्टरपे्रन्योरशिप’’नामक यह पुस्तक एमाजन फिजिशियन एवं पेशेन्ट श्रेणी में *बेस्ट सेलिंग पुस्तक* के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है।

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