आपका-अख्तर खान

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23 अक्तूबर 2020

तुझे क्या लिखूँ!!

 

तुझे क्या लिखूँ!!!!
ऐ हुस्न-ए-कातिल,
तेरी मचलती अदाओ की शान में क्या लिखूँ !
किसी चमन में खिलता सुर्ख गुलाब,
या तेरे चहरे का रुआब लिखूँ !!
टूटा जो दर्पण होकर शर्मशार,
इसे तेरी निगाँहों का वार लिखूँ !
इसे मै कत्लेआम कहुँ या*
तेरी शातिर नजरो का कमाल लिखूँ !!
तेरे गुजरने से चटकती है कलियाँ,
क्या गुलशन का हाल लिखूँ !
इसे गुलो की आबरू कहुँ
या तेरी मस्त अदाओ का बवाल लिखूँ !!
ठहर जाती है उफनती सागर की लहरे,
क्या उनका सवाल लिखूँ I
करती है सजदे तेरे सत्कार में,
या तेरी रवानी का तूफ़ान लिखूँ !!
बदल जाता है रुख हवाओ का,
जिसे तेरी आहट का कमाल लिखूँ
तेरी खुशबु का असर कहुँ इसे,
या शोख अदाओ का धमाल लिखूँ !!
छुप-छुप के मध्य बादलो से
ताकते चाँद का शर्माना आम लिखूँ I
उसे जन्नत की हूर कहुँ ,
या जमी पे उतरता बरास्ता चाँद लिखूँ !!

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