तूम इधर उधर की ना बात करो, ये बताओ कि कारवां क्यूं लुटा।
क्यूं मोर नाचा तुमरे आंगन में, क्यूं बतखों का है नाच हुआ।
क्यूं मजदूर लुटा, क्यूं किसान लुटा,
क्यूं देश बेचने का कारोबार हुआ।
क्यूं अर्थव्यवस्था बौनी हुई, क्यूं सपनों का संसार लुटा।
क्यूं बेरोजगारी बढ़ रही, क्यूं दोष नेहरू ओर भगवान को मिला।
देश की सम्पदा बेचकर, तूम क्यूं ना अभी तक भी शर्मसार हुये।
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
02 सितंबर 2020
तूम इधर उधर की ना बात करो
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