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17 सितंबर 2020

पिट्टी ,, सय्यद अख्तर हुसैन ,, तुम हम सब के साथ इतने अच्छे क्यों थे ,, अगर इतने अच्छे थे ,हमारे हमदर्द थे ,हर दिल अज़ीज़ थे ,हमारी ज़रूरत थे ,

 पिट्टी ,, सय्यद अख्तर हुसैन ,, तुम हम सब के साथ इतने अच्छे क्यों थे ,, अगर इतने अच्छे थे ,हमारे हमदर्द थे ,हर दिल अज़ीज़ थे ,हमारी ज़रूरत थे ,,तो फिर तुम हमे यूँ रोता , बिलखता छोड़कर अचानक क्यों चले गए ,, तुम्हारी हर अच्छाई , हर भलाई ,हर ज़रूरत पूरी करने की ज़िद , आज हमे जीने नहीं दे रही है ,हर पल , हर क्षण तुम्हारी याद , बिलख बिलख कर रोने को मजबूर कर रही है ,,, अपनी सरकारी नौकरी में तुमने ईमानदारी से ,,लोगों का भरोसा जीता ,हर काम ज़िम्मेदारी से किये ,,कई चुनाव ,कई चुनाव प्रशिक्षण कार्यक्रमों ,जनगणना , या कोई भी काम हो , तुमने परफेक्ट करके दिखाया है ,,उप निदेशक सांख्यिकी जिला बूंदी के पद पर होते हुए भी ,,बूंदी के सभी प्रशासनिक अधिकारीयों से तुम्हारी अपनी , ईमानदाराना कार्यशैली , कभी ज़िम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ने की आदत ने तुम्हे इन अधिकारीयों में भी लोकप्रिय बना दिया , तुम लोगों के हर बुरे वक़्त में हिम्मत बन कर खड़े होते ,बीमारी के हालात में ,, सभी को ,देशी जड़ी बूटियों के माध्यम से बिलकुल परफेक्ट करते , सभी अधिकारी ,उनके परिवार ,और ज़रूरतमंद लोग आज भी आपकी तुलसी ,विजयसार ,शिफा ऐ नूर सहित कई दवाओं के इन्तिज़ार में है ,,हर घर परिवार के कार्यक्रमों की तुम रौनक रहे ,गाने ,बजाने ,,क़ुरआन की तिलावत हो ,संस्कृत के श्लोक हो ,,मज़हबी जानकारियां हो ,,दूसरी किसी भी तरह की ज्ञानवर्धक जानकारी हो ,सभी में तो तुम पारंगत थे ,,ज़िंदा दिल थे ,रहम दिल थे ,मददगार थे ,,लोगों के लिए बिना किसी ज़रूरत के जान की बाज़ी लगाने वाले थे , अपने परिवार में ससुराल में तुम सबसे लाडले थे ,,ससुराल का कोई भी फंक्शन , कोई भी ज़रूरत ,कोई भी दुःख दर्द हो ,तुम एक बेटे की तरह , ज़िम्मेदारी से , मौजूद रहते थे ,, अपने परिवार में पत्नी , दोनों बेटियों के लिए तुम एक ज़िम्मेदार शोहर ,ज़िम्मेदार वालिद साबित हुए ,अपने जीते जी ,इन अपनी शरीक ऐ हयात ,दोंनो बेटियों को एक ज़र्रा बराबर भी ,तो तकलीफ का अहसास तुमने नहीं होने दिया , अपने भाइयों ,भांजों ,,भतीजो ,,भाभियों ,अम्मी ,,जो भी रिश्ते हों ,उन सभी रिश्तों को निभाने में तुम अव्वल रहे ,, तुम्हारी खुशमिजाज़ी , मदद के जज़्बे ने तुम्हे ,, तुम्हारे अपनों के लिए ज़रूरी , ज़रूरत बना दिया ,ऐसे में जब सभी की तुम ज़रूरत थे , सभी के दिलों के तुम राजकुमार थे ,दिलों की धड़कन थे ,तुम्हारा यूँ अचानक चला जाना ,सच ,चाहे ससुराल हो ,चाहे तुम्हारे अपने परिजन हों ,चाहे दोस्त हों ,चाहे ऑफिस में कार्यरत स्टाफ ,अधिकारी हों ,, किसी की भी रुलाई नहीं रुक रही है ,, रह रहकर तुम्हारा वोह खूबसूसरत शत्रुध्नन सिन्हा का चेहरा ,वोह भोलापन ,, हर दुःख दर्द में ,लोगों से ये कहकर ,उनके दुःख हर लेना , में हूँ ना ,, फुट फुट कर रोने को मजबूर कर रहा है ,, तुम्हारी हमे ज़रूरत , तुम्हारे घर परिवार को तुम्हारी ज़रूरत थी , तुम्हारे घर परिवार में ,तुम्हारी शरीक ऐ हयात ,तुम्हारी बेटियों को तो ,बिजली के स्विच , ,दुपहिया गाड़ियों , कार ,सहित किसी भी तरह की व्यवस्था कहाँ से शुरू है ,कैसे होती ,है ,, कुछ भी तो पता नहीं ,,तुम्हारी मेहमान नवाज़ी ,, असम्भव से कामों को तुम्हारे ज़रिये यूँ सम्भव कर देने की तुम्हारी ताक़त ,,तुम्हारी याद , बिलख बिलख कर रुला देने पर मजबूर है ,, अल्लाह की अमानत थे , अल्लाह को अच्छे लोगों की ज़रूरत होती है ,लेकिन यहाँ भी तो तुम्हारे घर परिवार को तुम्हारी अपनी ज़रूरत थी ,,अल्लाह की अमानत , अल्लाह ने ले ली , बस अल्लाह से दुआ है ,,,तुम्हारी शरीक ऐ हयात , तुम्हारी बेटियों के सर पर तुम्हारी दुआए ,,तुम्हारे बशर में रहते हुए ,, उनकी हर ज़रूरत के लम्हों में तुम्हारी ताक़त उनके साथ रहे ,, अल्लाह के आगे सब बेबस है ,,लाचार है ,,लेकिन अल्लाह से दुआ है ,अल्लाह आपको मगफिरत दे ,जन्नत में आला मुक़ाम के साथ ,बशर की वोह ताक़त अता फरमाए जो तुम अपने घर परिवार के साथ बशर के हालातों में भी एक हिम्मत ,एक ताक़त बनकर ,हर लम्हे ,उनकी कामयाबी , उन्हें ढांढस बँधाने , उनकी हर ज़रूरत पूरी करने ,उन्हें हर दुःख तकलीफ के वक़्त बचाने के लिए ढाल बनकर कर खड़े रहने ,, उनकी खुशियों , कामयाबी के लिए उनकी हिम्मत ,ताक़त मददगार बनने का करिश्माई रूहानी करिश्मा अता फरमाए , तुम यूँ ही याद बन कर हमारे सीने से लगे ,रहो , हम तुमसे बशर में ही सही , मुलाक़ात कर लेंगे , अल्लाह आपके बीवी ,बेटियों ,रिश्तेदारों , दोस्तों को सब्र दे ,,, हिम्मत और ताक़त से इस मौके पर मुक़ाबिल रहने की तौफ़ीक़ अता फरमाए , ,आमीन , सुम्मा आमीन ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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