आपका-अख्तर खान

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17 सितंबर 2020

कभी वक्त की कमी थी, आज वक्त ही वक्त है

 

कभी वक्त की कमी थी,
आज वक्त ही वक्त है
अब तुम्हारे लौट आने का.
इंतजार नहीं है
क्यो कि तुम उस जहाँ
मे चले गये हो,
जहॉ से कोई
वापस नही आता,
मुझे तुम्हारे होने का
एहसास हर दम होता है,
क्यो कि शरीर से न हो
पर आत्मा से आज भी पास हो,
न कर सके तुम वादा पूरा
पर मुझे यकीन है
तुम वहा भी मुझे देखते हो
हर पल की खबर रखते हो,
मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है
हर रोज अपने आप को देखता हू
शीशा नया हैं पर तस्वीर वही है
अब वक़्त ठहर सा गया है

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