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18 सितंबर 2020

मुसीबत सब पर आती है ,आना भी चाहिए ,यही एक परीक्षा की घडी है ,जब हमे अपने ,पराये और बढ़ी बढ़ी ढींगे हांकने वाले रणछोड़दासों के चेहरे ,रिश्ते समझने को मिलते है

 मुसीबत सब पर आती है ,आना भी चाहिए ,यही एक परीक्षा की घडी है ,जब हमे अपने ,पराये और बढ़ी बढ़ी ढींगे हांकने वाले रणछोड़दासों के चेहरे ,रिश्ते समझने को मिलते है ,कमोबेश अभी , मेरे बहनोई ,सय्यद अख्तर हुसैन की बिमारी संकट काल में जब वोह जयपुर स्थित जे ऍन यु में ज़ेरे इलाज थे ,तब उन्हें प्लाज़्मा की ज़रूरत ,सहित दूसरी चिकित्स्कीय लापरवाही में मदद को लेकर जब मेने अपने ,लोगों से प्रयास किये तो उनके दोहरे चेहरे सामने आये , कुछ ऐसे भी थे जो अप्रत्याशित तरीके से अचानक ,एक मददगार के रूप में मेरे साथ ,मेरे पास मुसीबत के मौके पर कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे ,, कुछ ने सुपरफिशियल तरीके से फॉर्मैलिटी निभाई , तो कुछ ऐसे नज़र अंदाज़ हुए के उन्हें ढूंढते ही रह गए ,,, में जयपुर के एडवोकेट साजिद खान ,,सीनियर नर्सिंग स्टाफ भाई रेहान फ़ारूक़ी ,, बूंदी के पूर्व जिला कलेक्टर ,आयुक्त समाज कल्याण विभाग महेश शर्मा ,, डॉक्टर आज़म बेग ,,, एडवोकेट इन्तिखाब आलम साहिब का ,, जिन्होंने दिल से ,, बिना किसी मतलब के खुलकर बुरे वक़्त में मेरा ,मेरे परिवार का साथ दिया , इफ्तिखार आलम एडवोकेट तो बाई पास करवा चुके थे फिर भी वोह , प्लाज़्मा देने के लिए तय्यार थे ,,में शुक्रगुज़ार हूँ भाई शैलेन्द्र का जिन्होंने भी मुझे ,,हौसला दिया जबकि मोहसीन भाई आर एम सी वालों ने वक़्त पर ,,मेरी कोशिशों के साथ एक कोशिश बने , एस डी पी आई के राष्ट्रिय महासचिव शफी अहमद , अनीस अंसारी बूंदी ,, जयपुर के पदाधिकारियों का भी में शुक्रगुज़ार हूँ ,एडवोकेट शाहिद हसन ,,, फर्स्ट इंडिया के महेश शर्मा ,, भाई चंद्रशेखर त्रिशूल ,नसीमुद्दीन क़ाज़ी का भी में शुक्रगुज़ार हूँ ,,यूँ तो हर परिवार में डॉक्टरों की फौज होती है ,नेताओं की फौज होती है ,मेरी परिवार में भी डॉक्टर्स थे ,लेकिन आप जानते है डॉक्टर्स में कुछ एक ही ऐसे होते है , जिनमे संवेदनाये होती है ,, बाक़ी डॉक्टर्स के लिए न रिश्ते , न नातों की अहमियत होती है ,उनके लिए बीमार रिश्तेदार नहीं सिर्फ एक पेशेंट , मरीज़ ,और डेथ हो जाने के बाद सिर्फ एक बॉडी बन जाता है ,,कमोबेश कुछ हद तक मेरा यही एक्सपीरियंस रहा ,, सियासत में तो में इस घिनोने चेहरे को देखकर शर्मसार हो गया ,सिर्फ केबिनेट मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल ने ,,मेरी तकलीफ का संज्ञान लेकर ,मदद की कोशिशें की ,प्रयास किये , लकिन राजस्थान के बढे बढे सुरमा ,,जो विधायक का चुनाव लड़ कर हारे है ,जो चुनाव जीते है ,जो ऊँचे ऊँचे पार्टी के ओहदों पर बैठे है ,उनके कानों पर तो जूं तक नहीं रेंगी ,सभी को भेजे गए संदेश मेरे पास सुरक्षित है ,,,,ताज्जुब तो इस बात पर है के ,,रघु शर्मा सहित आधा दर्जन केबिनेट मंत्रियों को वाट्स एप्प , टेक्स्ट मेसेज ,, ई मेल के ज़रिये लगातार मेसेज भेजे ,प्रभारी अजय माकन , प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष , प्रदेश कांग्रेस कमेटी ,खुद मुख्यमंत्री महोदय ,, उनके किए नो रत्नों सहित ,,साथ बैठकर काम करने वाले मेरे हमदर्दों को मेने लगातार सम्पर्क के ज़रिये संदेश भेजे ,, मेसेज उन्हें मिले भी , लेकिन अफ़सोस यह रहा के ,,एक भी केबिनेट मंत्री , मुख्यमंत्री ,प्रदेश अध्यक्ष ,पी सी सी कंट्रोल रूम या फिर कोई भी लीडरशिप ,, संबंधित अधिकारी ने इस मामले में ,,किसी भी चिकित्स्क से बात करना भी मुनासिब नहीं समझा अगर वोह संज्ञान लेते तो ,सरकार प्लाज़्मा , प्लाज़्मा का जो ढिंढोरा पीट रही है , वोह प्लाज़्मा जे ऍन यू का डॉक्टर जसवंत गोयल जो खुद ट्रेंड डॉक्टर है नहीं उसे सुझाव मिलता और प्लाज़्मा सही वक़्त पर मालिक जे ऍन यू संदीप बख्शी ,प्लाज़्मा थेरेपी शुरू कर ,,मेरे बहनोई सहित कई दूसरे मरीज़ों की जान बचा सकते थे , लेकिन एक बात साफ है , के राजस्थान के मुख्यमंत्री महोदय के ई मेल पर गंभीर परिवार के सदस्यों की प्रार्थना पर भी कोई कार्यवाही की संवेदनशील परम्परा नहीं ,कांग्रेस कार्यालय में , खुद प्रदेश अध्यक्ष के पास भी उनको भेजे गए मेसेज ,ई मेल पढ़कर परिवार के सदस्यों की मदद की संवेदनशीलता नहीं है ,खुद प्रभारी महोदय भी इस मामले में ऐसे ही है ,अफसोसनाक बात है ,संगठन के परिवार का सदस्य संकट में हो ,सूचनाएं लगातर मिले फिर कोई कार्यवाही की शुरुआत न हो ,,शर्मनाक तो है ,, कई साथी लोग जो बढ़ी बढ़ी ढींगे हांकते रहे , कुछ तो मोबाइल बंद करके बैठ गए ,कुछ जयपुर में होने पर भी बाहर जाने की झूंठ बोलते देखे गए ,, कूल मिलाकर ,, एक नौटंकी ,,,झूंठ और फरेब की इस दुनियां में ज़्यादा नज़र आयी ,इससे भी ज़्यादा अफ़सोस इस बात पर रहा के ,, मुस्लिम समाज जो खुद को प्रबंधन तरीके से व्यवस्थित बनाने की बात करता है ,, उनके पास ,,कोरोना से ठीक हुए मरीज़ों की व्यवस्थित सूचि भी नहीं है ,ताकि आवश्यकता पढ़ने पर ,,ज़रूरतमंदों को प्लाज़्मा दिया जा सके ,अखबारी खबरे ,प्रचार प्रसार अलग बात है ,, लेकिन पिंक सीटी राजधानी जयपुर में बढे बढे ज़िम्मेदारों के बावजूद भी यह घोर लापरवाही अव्यवस्थित है ,,,खेर जजों हुआ सो हुआ ,में यह सब सिर्फ इसलिए लिख रहा हूँ , के कोई अगर कांग्रेस संगठन को परिवार समझे ,सरकार को लिखित ,मेल के ज़रिये हर तरह से सूचनाएं भेजकर ,सरकार से संवेदनशीलता की उम्मीद करे तो प्लीज़ अभी फिलहाल तो हरगिज़ मत करना ,, हाँ लेकिन संगठन को सबक़ ज़रूर लेना चाहिए ,वोह ऐसे सभी मेसेज देखे ,ज़रूरतमंदों की मदद के लिए व्यवस्थाएं करवाए ,सरकार भी संवेदनशील बने ,अगर मदद की गुहार है ,पार्टी का सिपाही है तो उसका दुःख दर्द तो पता करने ,क्या मदद हो सकती है इसकी व्यवस्था तो करें ,ऐसे मंत्री ,केबिनेट मंत्री किस काम के , जो ऐसी सूचनाओं के बाद भी ,,व्यवस्थाएं करवाने के प्रयास तक नहीं करते ,, खेर ,सरकार में बैठे है लोग ,ऊँचे ऊँचे ओहदों पर बैठे है लोग ,, खुदा हुस्न देता है तो नज़ाकत आ ही जाती है ,लेकिन खुदा यह हुस्न , यह नज़ाकत एक मिनट में मिटटी में भी मिला देता है , यह कड़वा सच भी हमे ध्यान रखना होगा ,,,, एक बार फिर में शुक्रगुज़ार हूँ साजिद खान एडवोकेट ,इफ्तिखार आलम एडवोकेट ,डॉक्टर आज़म बेग ,रेहान फ़ारूक़ी म अनिल आनंद ,पंकज मेहता ,शान्ति कुमार धारीवाल का ,जिन्होंने प्रयास तो किये , खासकर साजिद भाई एडवोकेट ,का खास तोर से जो हर लम्हा ,कंधे से कंधा मिलाकर साथ खड़े नज़र आये ,, खासतौर से , मेरी बहन के ससुराल पक्ष के लोग ,इक़बाल हुसैन ,उनके पुत्र शालू ,भाई ,प्रिंस भाई ,, नासिर निक्की भाई ,, पिंकू भाई लेक्चरर ,, आमिर भाई सोफ्टवेयर इंजिनियर जिन्होंने इस संकट की घडी में मोर्चा संभाला ,और मुक़ाबले में डटे रहे ,, अल्लाह सभी मददगारों को ,,उन्हें इस का अजर दे ,आमीन ,, अख्तर खान

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