मनुष्य के जीवन कि"तुलना"अगर "फुटबॉल के खेल" से की जावें,तो,ऐसा करना- काफी" प्रेरणादायक-और मददगार" होगा,एक खिलाड़ी की भांति,जिंदगी के मैदान में-"कभी आगे-कभी पीछे-कभी-दायें-तो-कभीं बायें" होते हुये, अपनें कलात्मक हुनर का,प्रदर्शन करतें हुये,"गोल पोस्ट" में,किक से बाल पहुँचा कर,"विजयी गोल" करनें का प्रायास अवश्य ही करेगें,"परन्तु-अपनी वास्तविक जिंदगी" में, *कभी रेफरी,*बनने का-प्रायास मत किजिएगा, नहीं तो उसकी तरह सिर्फ,*गलतियों को खोजने में ही जीवन व्यर्थ चला जायेगा*- ,*मन में कभी भय पैदा हुआ,फासला देखकर,परन्तु पांव बढतें ही रहे,रास्ता देखकर,खुद-बा-खुद-मंज़िल नजदीक आती गयी,कर्म के प्रति हमारा हौसला-और समर्पण देखकर* *जीवन जीने की अनेक परिभाषाओं में से एकऔर,परिभाषा* *सु-प्रभातम* *स्वस्थ सुखी और खुश रहों* *आपही के अपनें*,पंडित,कौशिकजी*
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