आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

03 सितंबर 2020

*चार मिले चौसठ खिले...* *बीस रहे कर जोड़...* *प्रेमी प्रेमी दो मिले.... *खिल गए सात करोड़...!!!*

 


*कहावत का अर्थ चार मिले--* *मतलब जब भी कोई मिलता है तो सबसे पहले दोनों के नयन मिलते हैं आपस में,, इसलिए कहा चार मिले,, फिर कहा चौसठ खिले-- यानी बत्तीस बत्तीस दांत,,* *दोनों के मिलाकर चौसठ, हो गए चार मिले चौसठ खिले..!!*

*बीस रहे कर जोड़--* *दोनों हाथों की दस उंगलियां,,* *दोनों व्यक्तियों की 20 हुई,,* *बीसों मिलकर ही एक दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ बरबस उठ ही जाते हैं...*

*प्रेमी प्रेमी दो मिले--* *जब दो प्रेम करने वाले मिले,, यह बड़े रहस्य की बात है,, क्योंकि मिलने वाले प्रेमी न हुए तो न बीस रहे कर जोड़ होगा और न चौसठ खिलेंगे...*

*शरीर में रोम की गिनती करनी असम्भव है वैसे तो लेकिन मोटा मोटा साढ़े तीन करोड़ कहते हैं* *कहने वाले,,,* * *तो कवि ने अंतिम रहस्य भी प्रकट कर दिया--प्रेमी प्रेमी दो मिले--खिल गए सात करोड़...*

*जब कोई मिलता है ऐसा अन्तर्हृदय में बसा हुआ तो रोम रोम खिलना स्वाभाविक ही है भाई,,, जैसे ही कोई ऐसा मिलता है तो अंतिम पंक्ति में पूरा रस निचोड़ दिया है,,* *खिल गए सात करोड़,,* *यानी रोम रोम खिल जाना स्वाभाविक ही है

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...