कोटा मुकंदरा में शेर , शेरनी ,मरते जा रहे है , और केंद्र , राज्य सिर्फ जांच ,जांच का खेल रहे है , मंत्री , संतरी सिर्फ पत्र लिख रहे है ,जबकि वन अधिकारीयों ,कर्मचारियों की भूमिका ,उनकी सम्पत्ति की आकस्मिक हज़ारों से लाखों ,फिर करोड़ों तक पहुंचने का ब्यौरा कोई भी मीडिया ,कोई भी जाँच एजेंसी जांचने को तैयार नहीं , एक दो सनकी , ईमानदार कर्मचारियों ने इस मामले में गोपनीय पत्रों के साथ पत्रावलियां रंग रखी है ,जिन्हे दूध में से मक्खी की तरह अलग थलग कर रखा ,है , यह पत्रावलियों की नक़ल ,जानकारियां , अख़बारों ,दैनिक अख़बारों ,,,चेनल्स को भी दी गयीं है ,लेकिन संवाददाता अब इन अफसरों के अच्छे दोस्त बनकर व्यवहार करते देखे गए है ,,, अधिकारीयों की साज़िशी ऐसी ,जो ईमानदार कर्मचारी इनकी पोल पट्टी खोलकर इनके खिलाफ कार्यवाही चाहता था , उसके खिलाफ यह महिला उत्पीड़न तक का फ़र्ज़ी इलज़ाम लगाने के नाकाम प्रयासों में जुट गए थे ,लेकिन साँच को आंच नहीं ,बस भ्रष्टाचार के क़िस्से इनके अख़बारों , मीडिया , में ढके छुपे है ,जिस दिन छीलेंगे ,,सीरीज खबरों की चलेगी ,, अरबों , अरब रूपये की फारेस्ट की सम्पत्ति के यह सौदागर ,कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे ,, अख्तर
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