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23 अगस्त 2020

पोलिटिकल जर्नलिज़्म से जुड़े मेरे भाइयों ,,, क्या आपकी रिपोर्टिंग में कभी पोलिटिकल पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष ,, राष्ट्रिय अध्यक्ष की गतिविधियां उजागर की गयी है

 पोलिटिकल जर्नलिज़्म से जुड़े मेरे भाइयों ,,, क्या आपकी रिपोर्टिंग में कभी पोलिटिकल पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष ,, राष्ट्रिय अध्यक्ष की गतिविधियां उजागर की गयी है ,, क्या कभी आपने पोलिटिकल पार्टियां की गतिविधियां उसकी पार्टी के बने संविधान के तहत हो रही है , इस पर कभी खबर बनाई ,क्या ,पार्टी की गतिविधियों की जानकारी के मामले में पार्टी को चुनाव आयोग ने विधि नियमों के तहत कुछ निरीक्षण किया ,ऐसी कोई खबर बनी क्या ,, नहीं ना ,,, चलो किसी भी पोलिटिकल जर्नलिस्ट ने ,, पार्टी का राष्ट्रिय अध्यक्ष , पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष अपने निर्धारित कार्यालय में ,, एक महीने में कितनी बार बैठा ,,दूर दराज़ से आने वाले कार्यकर्ताओं से कितनी बार , बिना पर्ची ,बिना रोक टोक के ,मिला चर्चा की ,, विधायकों , सांसदों , पार्टी के जिला प्रदेश पदाधिकारियों से सीधा संवाद कर ,,पार्टी की गतिविधियों पर चर्चा की ,, सत्ता पक्ष के अधीनस्थ संगठन क्यों है ,एक व्यक्ति के पास कई पद क्यों है , हारे हुए प्रत्याक्षियों को फिर संगठन में ,या फिर दूसरे किसी चुनाव में टिकिट देना ,, या फिर किसी आयोग वगेरा में चेयरमेन बनाकर उन्हें उपकृत करने की परम्परा के खिलाफ क्या कभी कोई खबर बनी ,,, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष ,या राष्ट्रिय अध्यक्ष अगर सांसद ,विधायक है ,तो उन्होंने अपने देश की जनता ,अपने क्षेत्र के लोगों के लिए विधानसभा ,, लोकसभा में ,राजयसभा में ,कितने प्रश्न उठाये ,, ऐसे लोग जो दूसरे राज्यों में राज्य सभा सदस्य बन जाते है , वोह उन राज्यों की आम जनता ,,उन राज्यों के उनकी पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलते भी है ,या नहीं ,उन्हें मान सम्मान भी देते है या नहीं ,वोह अपने राज्य सभा प्रतिनिधित्व में ,,उस राज्य में सांसद कोष के अलावा ,,वहां की समस्याओं पर राजयसभा में मुद्दे उठाते भी है या नहीं ,इस का कच्चा चिटठा क्या कभी सीरीज बनाकर जर्नलिज़्म व्यवस्था के तहत आम जतना तक पहुंचाकर ऐसे गैर ज़िम्मेदार लोगों , ऐसे गैर ज़िम्मेदार व्यवस्था के खिलाफ कोई खबर बनाई गयी है ,, कुछ बनी है ,कुछ नहीं बनी है ,, तो फिर राष्ट्रिय अध्यक्ष जो भी मर्ज़ी पढ़े तो कार्यकर्ताओं से मिले , नहीं तो नहीं मिले ,,क्या कभी राष्ट्रिय अध्यक्षों ,प्रदेश अध्यक्षों को सुझाव दिया है के वोह ,, अपने पार्टी कार्यालय में अध्यक्ष की कुर्सी पर ,दस बजे से पांच बजे तक नियमित बैठे ,देश के प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से आने वाले ,अधिकृत प्रत्याक्षियों से ,अलग अलग ज़िलों ,,अलग अलग राज्यों के मिलने का समय तय कर उनसे मिले , उनकी समस्याएं जाने ,,,जो पार्टियां , जो राष्ट्रिय प्रदेश अध्यक्ष अपने कार्यर्कताओं से नहीं मिल पाते , कार्यालयों में निर्धारित समयावधि में ,,नियमित नहीं बैठ पाते , तो फिर देश के लिए ,, आम लोगों के लिए उनकी सोच क्या होगी , इस पर इस पर टिप्पणी करते हुए ,क्या ऐसे गुमराह नेताओं को उनके कर्तव्यों का याद ,पत्रकरो ने दिलाया है ,, राष्ट्रिय अध्यक्ष , प्रदेश अध्यक्ष मतलब ,, देश के ,राज्य के सभी लोगों के बारे में सोचने वाली एक पोस्ट एक व्यवस्था , लेकिन अगर इस पद पर जाने के बाद ,कार्यर्कता इस पद पर बैठे लोगों से ,कार्यकर्ताओं की छोडो ,संगठन के अधिकृत पदाधिकारी भी अगर इनसे नहीं मिल पाए ,सिर्फ जन सभाओं में आम पब्लिक की तरह दूर से भीड़ एकत्रित कर ,भाषण बाज़ी फिर रवानगी की परम्परा हो तो फिर देश में , पार्टी में ,संगठन में जो कुछ हो रहा है ,, उसका सच उन तक कैसे पहुंचेगा ,वोह कैसे देश के लिए अपने प्रदेश के लिए ,, आम लोगों के लिए आम जनता के लिए संघर्ष करेंगे ,, यह सोचने की बात है ,तो फिर इस देश में जो अव्यवस्थाएं ,टूटन ,जो पोलिटिकल गिरावट है उसके लिए ,,जर्नलिज़्म की चुप्पी ,भटकाव भी पूरी तरह से शामिल है ,,इसे बदलना चाहिए ,,, ऐसे लोग जो पार्टी के विधान के खिलाफ मन मर्ज़ी करते है ,कार्यकर्तों से नहीं मिलते ,,संगठन के कार्यालय में नियमित बेठ कर अपनी ही पार्टी के कार्यकर्तों से ,, जिलेवार ,राज्यवार मिलकर ,उनकी समस्याये , उनके सुझाव नहीं सुनते ,, ऐसे लोग जो अपनी ही पार्टी के कार्यालय मे कुर्सी पर नहीं बेठते ,, जो विधायक ,सांसद , राज्यसभा सदस्य होने पर ,,राष्ट्रव्यापी , प्रदेशव्यापी , समस्याओं पर सवाल नहीं उठाते ,उनका ऑपरेशन तो कीजिये ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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