कोटा भी अजीब ,है केंद्र की गाइड लाइन , अनलॉक की तरफ है ,, मुख्यमंत्री
अशोक गहलोत ,अनलॉक की तरफ है , प्रभारी सचिव कहते है , कोरोना से डरो नहीं
,एहतियात बरतो , इधर हमारा कोटा डर भी रहा है ,डरा भी रहा है ,, लोकडाउन
,ज़ीरो मोबिलिटी की तरफ हम बढ़ते हुए कोरोना आंकड़ों को रोकने के लिए बढ़ रहे
है ,, अजीब बात है ना ,, लोकडाउन ज़रूरी हो सकता है ,लेकिन ,कोटा में स्कूल
पुरे खुलेंगे , ,स्कूलों में हज़ारो परीक्षार्थियों की परीक्षाएं होंगी ,,,
दफ्तर पुरे खुलेंगे ,अदालतें खुलेंगी ,रोडवेज बेस चलेंगी ,,ट्रेने चलेंगी
,, शराब के ठेके ,शराब के बार खुलेंगे ,होटलें खुलेंगी ,, मेडिकल ,अस्पताल
, पेट्रोल पम्प तो खुलेंगे ही सही , तो फिर बंद क्या रहेगा ,, व्यापरियों
की दुकाने बाज़ार बंद रहेंगे ,कोन से बाज़ार , जिनके पेट भरे हुए है , जिनके
समक्ष रोज़ खाने का , कमाने का संकट नहीं है ,, दस दिन बाद भी अगर बाज़ार
खुले तो इनका सामान उसी अनुपात में बिक्री हो जाएगा ,, अब परेशान कोन
होगा ,भूखे कोन मरेगा ,,, गरीब , मज़दूर ,रोज़ कमाने वाला मज़दूर ,,, ठेले
वाले ,, खोमचे वाले ,, पोहे वाले ,, चाय वाले , पान वाले ,, गुमटी वाले ,
अजीब बात है ना ,,, कोरोना के जांच आँकड़े तेज़ी से बढ़ रहे है ,तो कोरोना की
जांच भी तो बढ़ रही है ,, कोरोना जांच रिपोर्ट के अनुपात में यह आंकड़े कोई
आश्चर्य जनक नहीं है ,फिर तुम कोरोना पोजेटिव को घर क्यों भेज रहे हो
,कम्युनिटी स्प्रेड अगर मानते हो तो फिर घर भेज कर कम्युनिटी स्प्रेड क्यों
बढ़ा रहे हो ,यह दोहरी मानसिकता छोड़ना होगी ,, कोरोना से डरे नहीं ,,
कोरोना से मुक़ाबला करे ,सोशल डिस्टेंसिंग ,मास्क लगाकर घूमना ,अपना ध्यान
खुद रखे ,सेनेटाइज़ करे ,हाथ धोने के नारों के साथ ज़िंदगी पटरी पर बढ़ी
मुश्किलों में आना शरू हुई फिर इस कोटा शहर को ,,कोटा शहर के लोगों को चंद
नौसिखियों , जिन्होंने भूख नहीं देखी ,जिन्होंने रोज़ देहाडी , मज़दूरों की
तकलीफ नहीं देखी उनके सुझावों पर ,,ऐसा हरगिज़ नहीं होना चाहिए ,,मुक़ाबला
करो ,,जब मुख्यमंत्री कोरोना से डरे नहीं ,, कोरोना के साथ जियें
,,एहतियात बरतें , का आदेश देते है ,उनके आदेश की पालना में कोटा के
प्रभारी सचिव इसी आदेश को दोहराते है , तो हम , आप , मख्यमंत्री अशोक गहलोत
के इन आदेशों की अवमानना कर कोटा शहर की ज़िंदगी पटरी पर जो चल रहे है ,
उसे अनलॉक ,ज़ीरो मोबिलिटी के नाम पर रोकने वाले कोन होते है ,और अगर ज़रूरी
है तो ,फिर खाने की होटलें ,रेस्टोरेंट ,,स्कूल ,सरकारी दफ्तर , क्यों
खुलवा रहे हो ,स्कूल में संस्कृत के परीक्षार्थियों की परीक्षाएं क्यों
करवा रहे हो ,उसे स्थगित क्यों नहीं कर देते ,,, क्या यह मूवमेंट नहीं होगा
, क्या लोग परीक्षाएं देने ,सरकारी दफ्तरों में ,सरकारी स्कूलों में नहीं
आएंगे ,जब अमीर होटल व्यवसायी ,,रेस्टोरेंट वाले ,, शराब की बिक्री करने
वाले ठेकेदारों को , अपना रोज़गार चलाने का हक़ है ,तो फिर ,अकेले , गरीब थड़ी
होल्डर्स , रोज़ का रोज़ कमाने वाले मज़दूरों से उनकी मज़दूरी ,उनकी कमाई
,उनकी रोज़ी रोटी छीनने का हक़ हमे हरगिज़ नहीं है , इसलिए या तो लोकडाउन
पूर्णत हो ,या फिर पक्षपात पूर्ण नहीं ,, संस्कृत अध्यापकों की भर्ती
परीक्षाएं स्थगित कीजिये , होटलें बंद कीजिये , रेस्टोरेंट बंद कीजिये ,
शराब के ठेके ,बार बंद कीजिये , बंद तो सब कुछ बंद ,, कोई भेदभाव नहीं
,लोकडाउन तो पूरा लोकडाउन ,, ,नहीं तो एहतियात ,सोशल डिस्टेंसिंग की पालना
,,यह जो बढ़े व्यापारी है ,यह जो किराने वाले है ,, वगेरा वगेरा है
,,सरकारी दफ्तर है ,, वहां आकस्मिक जांच करवाए ,,मास्क की जांच हो ,चालान
बने ,तो भी काफी कंट्रोल हो सकता है , सेनेटाइज़ेशन की व्यवस्थाएं तेज़ हो
,मास्क फिर से मुफ्त वितरण कार्यक्रम शुरू हो ,, कोरोना के खिलाफ जो
एडवाइज़री हो उसका फिर से प्रचार प्रसार ,टोका टाकी शुरू रहे ,, और कोरोना
के जो पोजेटिव है अगर उन्हें घर भेज रहे है ,, तो फिर ,जो मरीज़ कोरोना
पोजेटिव के साथ दूसरी गंभीर बिमारियों से ग्रसित है उनके इलाज पर पूरा फोकस
हो ,,हार्ट पेशेंट ,शुगर पेशेंट , ब्लडप्रेशर , दमा पेशेंट वगेरा वगेरा
बिमारियों के मरीज़ों के इलाज की पत्रावली ,उनकी रिकॉर्डिंग ,सीसी टी वी
कैमरे की पूरी फुटेज जानकारी की समीक्षाएं हों ,,उनकी मौतों पर निगरानी हो
,ताकि उन पर पूरा फोकस हो सके ,, मौतों का आँकड़ा कम हो सके ,बीस लाख की
आबादी है ,ग्रामीण क्षेत्र में भी कोरोना की संख्या बढ़ रही है ,,, ऐसे में
जब जांचों का दायरा कई गुना बढ़ा है , स्वेच्छिक जांचे शुरू है ,तो , खोमचे
वाले ,ठेले वाले ,कॅरियर्स ,व्यापारी ,,किराना व्यवसायी ,सभी कोरोना जांच
कराये ,, व्यापारी कलेक्टर को लोकड़ाउन की कहने की जगह ,,व्यापार महासंघ की
तरफ से अलग अलग बस्तियों में ,व्यापार इकाइयों के व्यापारियों की कोरोना
जांच केम्प लगवाए ,,राजनीतिक पार्टियां कलेक्टर से लोकडाउन लगाने की
सिफारिश करने की जगह , अपने कार्यालयों में कार्यकर्ताओं ,पदाधिकारियों को
बुलाकर ,कोरोना जांच केम्प लगाए ,, तो फिर शहर को कोरोना से बचाने के लिए
उनका क़दम सार्थक होगा ,,गरीबों , थड़ी होल्डर्स , रोज़ मर्रा के मज़दूरों के
बारे में भी सोचिये ,, अनलॉक केंद्र की एवाइज़री ,मुख्यमंत्री राजस्थान
सरकार का अनलॉक संदेश भी हमे ध्यान रखना होगा ,,ज़िंदगी पटरी पर लाने के लिए
हमे जोखिम भी लेना होगा ,हमे सावधानियां भी बरतना होंगी और व्यापारी लोग ,
सियासी लोग ,,जो भी है ,वोह अगर पहल कर रहे है , तो अपने अपने संगठनों के
ज़रिये ,, कोरोना जांच केम्प अपने सदस्यों की करवाए , जैसे कोटा अदालत
परिसर में ,,अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष बृजराज सिंह ,, महासचिव राम बाबू
मालव , जिला जज ,न्यायिक अधिकारीयों ,वकील साथियों ने ,नियमित , कोरोना
टेस्ट केम्प , अदालत परिसर में लगाकर लगभग सभी साथियों की कोरोना जांच किया
जाना सुनिश्चित किया है ,ऐसी जांचे आपके संगठन क्यों नहीं करवाते ,,
कोरोना जांच हो तो दूसरे की हो ,,रोज़गार खत्म हो तो दूसरे का हो ,आप भी आगे
आइये ,कोरोना की थोक में जांचे करवाइये , पोजेटिव आ भी गए तो क्या
क्वारेंटाइन फिर ठीक ,,एहतियात , कोरोना एवाइज़री की पालना ,, ,ईश्वर
अल्लाह सब ठीक करेगा ,,, बस एहतियात ,रहिये , डिप्रेशन में न खुद ,आएं ,
न दूसरे को लाइए ,, चिकित्सा ,जांचों ,चिकित्सा , सुविधाओं ,व्यस्थाओं का
, एहतियात का दायरा बढ़ाइए ,,, सब ठीक ,होगा , इंशा अल्लाह ,, अख्तर खान
अकेला कोटा राजस्थान
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