तुम झूंठ कहते थे ना
तुम मेरे लिए संवरते हो ,,
तुम मेरे लिए इठलाते हो
तुम्ही बताओ , में तो हूँ नहीं
फिर किस के लिए संवरे हो
फिर किसके लिए इठला रहे हो ,, अख्तर
तुम मेरे लिए संवरते हो ,,
तुम मेरे लिए इठलाते हो
तुम्ही बताओ , में तो हूँ नहीं
फिर किस के लिए संवरे हो
फिर किसके लिए इठला रहे हो ,, अख्तर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)