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मौलानाओं ने बिरियानी माँगा , इस ख़बर का सूत्र कौन था? मौलानाओं ने
अर्धनग्न होकर नर्सों को घूरा, इस ख़बर का सूत्र कौन था? मौलानाओं ने थूका,
इस ख़बर का सूत्र कौन था? मौलानाओं ने नर्सों के सामने पेशाब किया, यह करते
हुए ,,, ने देखा या ,,,, ने? ,,,,,, ने देखा या ,,,,, ने?
मेरी समझ में नहीं आता कि अपने घर में बहन बेटी रखने वाले यह पत्रकार किस मुँह से किसी पर झूठा आरोप लगाकर उनका चरित्र हनन करते हैं और फिर अपनी बहन बेटी का सामना करते हैं?
,,,,, की 18 साल की बेटी है , वह बांबे उच्च न्यायालय के फैसले के बाद अपनी माँ ,,,,,,,, के बारे में क्या सोच रही होगी?
यदि सभी ऐंकर और पत्रकार नपुंसक नहीं होंगे, उनकी पत्नियाँ बाँझ नहीं होंगी, तो सभी की औलादें होंगी। ये 24×7 झूठ परोसकर अपनी इन औलादों का सामना करते कैसे होंगे?
बांबे उच्च न्यायालय ने जब इन ऐंकरों और पत्रकारों को उनके स्टूडियो और न्यूज़ रूम में ही नंगा कर दिया है, तब सवाल तो उठेगा कि मरकज़ और तबलीगी ज़मात पर हुए उस आक्रमण का हरजाना कौन भरेगा?
विदेश से जमात में आए मौलानाओं को अपराधी बनाकर जेल में ठूंसा गया, उनके चरित्र पर वीभत्स आक्रमण किये गये।
आप तब के पूरे 1 महीना चले हंगामे में टीवी चैनलों के पैनल डिस्कशन और मीडिया हेडिंग देखिए, बांबे हाईकोर्ट के फैसले के बाद शायद अब सबको शर्म और घिन आये।
पर देश उसका दुष्परिणाम भुगत रहा है।
जब देश को कोरोना से लड़ने के तौर तरीकों पर बहस करने की ज़रूरत थी, तब मीडिया मौलानाओं की नंगी टांगों पर बहस करा रही थी।
उसका असर समाज में क्या हुआ? सब्जी बेच रहा कोई अजीजुर्रहमान हिन्दू बहुल क्षेत्र से भगाया गया, तो किसी मुस्लिम सब्जी वाले का आधार कार्ड चेक करके उसके साथ मारपीट की गयी, तो बोहरा समाज की किसी परंपरा को दिखा कर बर्तन चाटकर कोरोना फैलाते दिखाया गया।
उस लॉकडाऊन-1 और 2 का काल केवल मीडिया के मुजरे के कारण मुस्लिमों के ख़िलाफ़ नफ़रत के चरम पर था। तब जबकि कोरोना से लड़ाई लड़ने में सारी उर्जा लगानी चाहिए थी।
सारी दुनिया जब कोरोना से लड़ने में अपनी सारी ताकत लगा रही थी, तब हमारे देश में सारी ताकत तबलीगी जमात के जरिये मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने में लगाई जा रही थी।
यही कारण है कि पूरी दुनिया में कोरोना खत्म हो रहा है और अपने देश में आज 69000 केस प्रतिदिन सामने आ रहे हैं।😡😡
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