"इंसान" की जिंदगी हमेशा,"उम्मीदो" से भरी होती हैं,और उम्मीद पे
"दुनियाँ" कायम हैं,लेकिन,इसी के साथ ये भी सत्य हैं,कि, मनुष्य के-संताप
का मूल कारण,भी,यही उम्मीद हैं,जो-दूसरों से उम्मीद पालने-पर जब पूरी नहीं
होती तब दिल टूटने लगता है, और सारी आगे की योजनाये भी फेल हो जाती हैं,तो
फिर शांत जीवन जीने के लिये, *सबसे पहले उम्मीद करना ही छोड़ दे,तो किसी हद
तक शांत जीवन जीना सम्भव हैं, **क्योंकि** इस
दुनियाँ में,दिल से,गरीबों की संख्या सर्वाधिक हैं,जो किसी दूसरे
को,अपनी तरफ से,अपने पूरे जीवन काल में,कुछ भी नहीं दे सकते,सिवाय, धोका
देने के, *ये सर्वमानयः हैं,कि, भरोसा,एक ऐसी चीज़ हैं,जिसके टूटने
पर,कोई आवाज़,कभी किसी को सुनाई नहीं दी,लेकिन,उसकी गूंज,
*कानों को जीवन भर,सुनाई देती हैं,*
*कर्मो का फल*, *पत्नियां अपने पतियों
को,जितना ज्यादा,रोज सताती हैं,उतना ही उनकी,पत्नियों को,
*घर की काम वाली बाई*,सता- सता कर,रोज का हिसाब रोज बराबर कर देतीं
हैं*मर्द इस सत्य को खुश होकर स्वीकार करेगें*देर हैं,मगर अंधेर नहीं?
*सु-प्रभातम* *सैदेव स्वस्थ सुखी और
खुश रहों* *आप ही के अपनें,पंडित,कौशिकजी*
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 अगस्त 2020
"इंसान" की जिंदगी हमेशा,"उम्मीदो" से भरी होती हैं
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