आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

15 अगस्त 2020

बढे नटखट हो तुम

 बढे नटखट हो तुम
कभी इधर जाते हो
कभी उधर आते हो ,,
बंदिशें मुझ पर
यूँ ही बेवजह , लगाते हो ,,
तुम रह सकते हो
तो रह लो मेरे बगैर
में क्यों रहूं तुम्हारे बगैर ,, अख्तर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...