भाजपा राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया , राजस्थान के वर्तमान
अलोकतांत्रिक घमासान पर ,प्रदेश के लोकप्रिय जंगजू लोकतंत्र की रक्षा के
लिए संघर्षरत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ,, बहादुर शाह ज़फ़र से तुलना कर
,खुद की पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से अंग्रेज़ों की पार्टी स्वीकार कर चुके
,है, इसके लिए उन्हें धन्यवाद ,,,भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया ने
कल अपने बयानों में ,वर्तमान हालातों में जब अशोक गहलोत ,,छत्तीस क़ौमों को
साथ लेकर ,लोकतंत्र की आज़ादी , लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए गांधीवादी जंग
लड़ रहे है ,ऐसे में सतीश पुनिया के मुंह से अनायास ही ,वर्तमान हालातों में
उन्हें बहादुर शाह ज़फ़र की उपाधि दिया जाना महत्वपूर्ण हो गया है ,,देश
जानता ,है , इतिहास जानता ,,है अंग्रेज़ों के साम्राजयवाद के खिलाफ ,,बहादुर
शाह ज़फ़र के बहादुर नेतृत्व में ,1857 का ऐतिहासिक आज़ादी का आंदोलन हुआ था
,सभी छत्तीस क़ौमे अंग्रेज़ों के खिलाफ एक जुट हुई ,,देश को अंग्रेज़ों से
आज़ाद कराने के लिए ,सभी आज़ादी के आंदोलन में कूद पढ़े ,कई लोग शहीद हुए
,देश जानता है ,उस वक़्त अंग्रेज़ों के भारतीय मुखबीर , गद्दार मददगारों की
वजह से , महारानी लक्ष्मी बाई शहीद हुई ,कई बहादुर सिपाही ,,शहीद हुए
,,बाद में अंग्रेज़ों ने ,हमारे अपने गद्दारों ,हमारे अपने मुखबिरों की वजह
से ,आज़ादी के आंदोलन को भीतरघाटियों की मदद से असफल कर दिया ,लेकिन बहादुर
शाह ज़फ़र गिरफ्तार होने के बाद भी झुके ,नहीं उनके बेटों की हत्या कर उनके
सर नाश्ते में परोसे गए ,,उन्हें रंगून में काले पानी की सजा के तहत क़ैद
किया गया ,,, कोटा के स्वतंत्रता सेनानी जिन्होंने , आततायी अंग्रेज़ों के
एजेंट ,मेजर बर्टन ,उनके पुत्रों का , रेज़ीडेंसी हाउस में घुस कर क़त्ल कर
कोटा को आज़ाद करा लिया था ,, उन्हें फिर अंग्रेज़ों के सिपाहियों द्वारा
,,मुखबीर , ,गद्दार लोगों के कारण ,,कोटा को गुलाम बनाकर ,हराया गया ,था
वोह महराब खान , लाला जय दयाल ,,गुरुग्राम में ही ,फिर से कोटा को आज़ाद
कराने की लड़ाई के लिए ताक़त समेट रहे ,थे ,, गद्दारों के कारण उन्हें वहां
से अंग्रेज़ों ने धोखे से पकड़ा और ,,नयापुरा अदालत चौराहे के पास शहीद
स्मारक पर फांसी पर लटकाया गहा ,,सतीश पुनिया ने वर्तमान हालातों में ,अपनी
पार्टी के लोगों के फीडबैक ,,माननीय महामहीम साहब से मुलाक़ात के बाद
अनायास ही अशोक गहलोत को बहादुर शाह ज़फ़र साबित करने की टिप्पणी कर ,यह
साबित कर दिया है के अंदर बहुत कुछ खतरनाक , भीतरघातियों , मुखबीरों के साथ
कोई साज़िशी प्लान है , अंग्रेज़ों की तरह कोई दमनकारी नीतियां तैयार हो रही
है ,तभी तो सतीश पुनिया को इतिहास याद आया , और उन्होंने अशोक गहलोत को
सांकेतिक भाषा में ,बहादुर शाह ज़फ़र साबित करने का जुमला उछाल दिया ,, ऐसे
में राजस्थान के स्वाभिमान ,,राजस्थान के लोकतंत्र को बचाने वाले सिपाहियों
को ,,देश के लोकतंत्र के रक्षकों को ,एक जुट होना होगा ,अशोक गहलोत को यह
लोग ,भीतरघातियों से मिलकर ,मुखबिरों से मिलकर , अलोकतांत्रिक कार्यवाही
करके ,, गद्दारों के ज़रिये ,रानी लक्ष्मी बाई का हौसला पस्त कर उन्हें हरा
नहीं सके ,,बहादुर शाह ज़फ़र के नेतृत्व को ,हरा नहीं सके ,,अशोक गहलोत का
लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने ,संरक्षित करने ,संविधान की रक्षा करने के इस
आंदोलन को ,,इस संघर्ष को सफलता मिले ,,इस बार देश के काले अँगरेज़ , काले
साम्राज्यवाद , सिद्धांतविहीन युद्ध में अशोक गहलोत जीते ,लोकतंत्र जीते
,बहुमत जीते ,राजस्थान जीते ,राजस्थान का मान , सम्मान ,स्वाभिमान ,जीते
इसके लिए सब एक जुट हो जाओ ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
27 जुलाई 2020
भाजपा राजस्थान प्रदेश अध्यक्ष सतीश पुनिया , राजस्थान के वर्तमान अलोकतांत्रिक घमासान पर ,प्रदेश के लोकप्रिय जंगजू लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्षरत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ,, बहादुर शाह ज़फ़र से तुलना कर ,खुद की पार्टी को अप्रत्यक्ष रूप से अंग्रेज़ों की पार्टी स्वीकार कर चुके ,है
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