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21 जुलाई 2020

तुम गद्दार नहीं ,तुम पीठ में छुरा घोंपने वाले नहीं , तुम फूल छाप कोंग्रेसी नहीं ,तुम भीतर घाती नहीं ,तुम कांग्रेस के वफादार हो ,तो लोट आओ ना

तुम गद्दार नहीं ,तुम पीठ में छुरा घोंपने वाले नहीं , तुम फूल छाप कोंग्रेसी नहीं ,तुम भीतर घाती नहीं ,तुम कांग्रेस के वफादार हो ,तो लोट आओ ना ,अभी जो राजस्थान की जनता ,पर राजस्थान की कांग्रेस पर संकट है ,इसे भाजपा की मेज़बानी छोड़कर लोट आओ ,,तुम हमारे सर का ताज हो ,हमारे कोहिनूर हीरा हो , हमारा ,आत्मसम्मान , हमारा स्वाभिमान हो , प्लीज़ इसे मत तोड़ो ,, अगर तुम मुख्यमंत्री बदलना चाहते हो ,तो तुम्हारा रास्ता मानेसर नहीं ,तुम्हारा रास्ता ,10 जनपथ ,12 तुगलक लेन , 24 अकबर रोड था ,वहां तुमने परेड क्यों नहीं कराई ,, अगर तुम तख्ता नहीं पलटना चाहते ,राज्य के खिलाफ विद्रोह नहीं करना चाहते ,तो पार्टी हाईकमान के पर्यवेक्षक को बुलाते ,,नेतृत्व बदलने के लिए ,विधायक दल की बैठक में वोटिंग करवाते ,जिसकी ज़्यादा वोट आते उसका नेतृत्व स्वीकारते ,, फिर लापता गंज क्यों हो ,गायब क्यों हो , बोल क्यों नहीं रहे ,, संगठन की निष्ठां है ,तो पहले संगठन की बदनामी रोको ,बिना शर्त ,कांग्रेस के साथ है ,,सभी विधायक कांग्रेस के साथ है ,,जो कांग्रेस हाईकमान तय करेंगे उसे स्वीकार करेंगे ,ऐसा बयान देकर लोगों की गलत फहमी दूर क्यों नहीं कर देते ,, क्यों फोन टेपिंग ,मामले में अपना वॉइस सेम्पल नहीं दे देते ,, नोटिस का जवाब दे दीजिये ,हम कांग्रेस के साथ है ,,कांग्रेस की सरकार ,भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए किसी भी सूरत में ,किसी भी क़ीमत में ,किसी भी तोल मोल के बदले गिरने नहीं देंगे ,,,,,,अगर तुममे कांग्रेस के प्रति कोई ऋण के बदले की वफादारी है ,,कांग्रेस का क़र्ज़ , जो तुम पर है चुकता करना चाहते हो ,बेवफाई ,,के दाग से बचना चाहते हो तो तुम चले आओ ,,तुम्हे सभी लोग सर पर बिठाकर रखेंगे ,घर का मसला है तो घर में बात करो ,पार्टी का अनुशासन है जिसके साथ ज़्यादा विधायक होंगे ,वही विधायक दल का नेता होगा ,आंतरिक कांग्रेस पर्यवेक्षक की उपस्थिति में गुप्त मतदान करवा लो ,, जिसके नेतृत्व के पक्ष में ज़्यादा वोट पढ़े ,उसे नेता स्वीकारो ,, यह फूल छाप व्यवस्थाएं ,मेज़बानियाँ ,लुका छुपी का खेल बंद करो ,लोट आओ ,लोट आओ ,,सभी को आपका इन्तिज़ार ,है आपकी ज़रूरत है ,आपके बगैर पार्टी ,पार्टी के कार्यकर्ता अधूरे है ,,,बहुत लोग गए किसी के जाने का अफ़सोस नहीं हुआ ,लेकिन आप गए ,तो यक़ीनन दिल भी दुखेगा ,अफ़सोस भी होगा ,इसलिए कहते है प्लीज़ चले आओ ,बिना शर्त चले आओ ,पार्टी के आंतरिक मामले है ,आपस में मिल बैठ कर सुलझा लेंगे ,,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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