तुम लोकतंत्र के दुश्मन हो ,,तुम संविधान के दुश्मन हो ,तुम देश के अमन
,सुकून के दुश्मन हो ,तुम जनता द्वारा निर्वाचित बहुमत के दुश्मन हो ,,जनमत
के दुश्मन हो ,,,ऊँचे ओहदे पर बैठे लोगों से , नौकरों की तरह निर्देशित कर
,सामान्य कामों में रोड़े अटकवाते हो ,लेकिन फिर भी यह भारत देश है ,यहां
,सिर्फ इन्साफ होता है ,,देर से ही सही ,सत्यमेव जयते की जीत होती है ,,,,
जी हाँ दोस्तों ,राजस्थान में चुनी हुई बहुमत की सरकार ,,देश में हर जगह
चुनी हुई बहुमत की सरकार को ,असवैधानिक तरीके से गिराकर अपनी सरकार बनाने
का काला इतिहास रचकर लोकतंत्र को ,संविधान को कलंकित करने वाले लोगों ने
राजस्थान में भी आस्तीन के साँपों के ज़रिये ,,लोकतंत्र , जनतंत्र के ज़रिये
चुनी हुई सरकार को गिराने की साज़िशे रचीं ,साज़िश के लिए ,सांठगांठ के लिए
इंकार करते रहे ,जब असफल हुए तो बोखला गए ,, कुछ लोगों को धोबी का कुत्ता
बनाकर ,घर का रखा न घाट का ,जब हर पहलू से असफल ,रहे खुद लोकतंत्र के
जननायक अशोक गहलोत ने ,,, देश के सर्वोच्च निर्वाचित प्रधान पद
,प्रधानमंत्री साहिब को ,यहाँ हो रही गैर क़ानूनी ,असंवेधानिक ज़्यादतियों के
लिए पत्र लिखा ,,, खुद सचिन पायलेट और समर्थकों ने खुद का कांग्रेस से
विवाद होना नहीं कहकर ,,भाजपा के मास्टर माइंड नेताओं को आयना दिखाया ,,
तब बहुमत कहो ,या कोरोना के खिलाफ युद्द की रणनीति कहो ,कई महत्वपूर्ण
मामलों पर चर्चा कहां ,विधानसभा सत्र बुलाने की बात आयी ,सामान्य अनुकरण से
अलग हठ कर ,राजभवन की हलचल ,,22 घंटे तक फ़ाइल को पटके रखना ,,बार बार
लोकतंत्र के निर्वाचित लोगों की ,प्रार्थना ,,खुद राज्यपाल के सामने जाकर ,
बहुमत से ज़्यादा 102 लोगों की परेड ,,पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलेट
समर्थकों में से दो तीन विश्वसनीय लोगों के बयान ,हम कांग्रेस के खिलाफ
नहीं , यह सोच दर्शाने लगे के वोह कांग्रेस के पक्ष में ही ,बहुमत साबित
करने के लिए वोट डाल सकते है ,ऐसे में भाजपा के जो चुनी हुई सरकार गिराने
के प्यादे थे ,वोह धोबी की कुत्ते बनकर रह गए ,उनके साथ ,न तो कांग्रेस के
बागी दिखे ,न ही ,उनकी ही अपनी पार्टी के राजस्थान के सिरमौर नेता ,इस
बेहूदगी ,,इस बेवकूफी ,इस राजस्थान में अराजकता फैलाकर लोकतंत्र की हत्या
करने की साज़िश में शामिल मिले ,तो बौखलाना ,वाजिब था ,,लेकिन राजभवन में
बैठ ,कर संविधान की मर्यादाओं में रहना होता है ,सामान्य अनुकरण से हठ कर
,कोमा ,फुलस्टॉप ,अगर , मगर , लेकिन परन्तु नहीं होता ,,तुम्हारे पास
कोशिशें करने के बाद भी ,आंकड़ा नहीं है ,तो नहीं है ,हार गए तो हार गए ,,
फिर दुरूपयोग नहीं होना चाहिए ,,विधानसभा में आओ ,,अपनी बात कहो ,बहुमत में
खिलाफ वोट डालो ,या पक्ष में वोट डालो ,,लेकिन आओ तो सही ,यूँ लोकतंत्र का
गला घोटोगे ,,तो आपात काल को गाली देकर , खुद को लोकतंत्र सेनानी कहकर
पेंशन वसूलने वालों की यह चुप्पी ,यह खामोशी ,देश के साथ सीधी गद्दारी
,दुश्मनी ,,लोकतंत्र के खिलाफ साज़िश में शामिल होना ही कहा जायेगा ,,लेकिन
जब बात राजस्थान की है ,वीरों की धरती की है ,,महराणा प्रताप की धरती की
है ,,तो यहाँ ,महाराणाप्रताप के खिलाफ गद्दार थे ,,लेकिन फिर भी वोह
महाराणाप्रताप को ,हरा नहीं सके थे ,,,तो राजस्थान के स्वाभिमान को मत
ललकारो ,राजस्थान के मान सम्मान को संघर्ष के लिए मजबूर मत करो ,लोकतंत्र
का सम्मान करो ,कोरोना काल में ,राजस्थान के मुखिया अशोक गहलोत ने ,देश भर
में ही नहीं ,विश्वभर में ,सर्व श्रेष्ठ कोरोना संक्रमण रोकने के लिए
प्रबंधन किया है ,,सकारात्मक क़दम उठाये है ,इस संक्रमण काल ,में व्यवस्थाओं
,चिकित्सा सुविधाओं का इतिहास रचा है ,अभी भी संकट बरक़रार है ,यहाँ आर्थिक
मदद देने ,यहाँ चिकित्सा पैकेज देने ,यहाँ शाबाशी देकर पीठ थपथपाने की जगह
तुम पीठ पर छुरा घोंप रहे हो , यहाँ राजस्थानियों को तुम कोरोना संक्रमण
में सुप्रबंध व्यवस्थाओं से अलग थलग कर , राजस्थानियों की जान के लिए खतरा
पैदा कर रहे हो ,,तुम राजस्थानियों के दुश्मन अगर हो ,तो राजस्थानी भी
स्वाभिमानी है ,,,वोह तुम्हे हरगिज़ ,हरगिज़ माफ़ नहीं करेंगे ,,इतिहास गवाह
है ,राजस्थान को , राजस्थानियों को कोई हरा नहीं सका है ,न हरा सकेगा
,,,इंशा अल्लाह , इसलिए ,राजस्थान के बहुमत में ,लोकतंत्र में ,चुनी हुई
सरकारों के संचालन में बाधाये पैदा मत करो ,,राजस्थान का विकास होने ,दो
,यहाँ कल्याणकारी व्यवस्थाएं चलने ,दो यहाँ कोरोना संकट काल में ,कोरोना
नियंत्रण होने दो ,रोज़गार के अवसर , बढ़ाने ,दो राहत व्यवस्थाएं लोगों को
पहुंचाने दो , वर्ना राजस्थान की आन ,बान शान के खिलाफ षड्यंत्र रचने वालों
का क्या हाल हुआ ,है इतिहास से पूंछ लेना ,,जनाब ,,, अख्तर खान अकेला कोटा
राजस्थान
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