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03 जून 2020

जो इश्क़ चिट्ठीयों से हुआ करता था,

जो इश्क़ चिट्ठीयों से हुआ करता था,
वहीं इश्क़ सच्चा हुआ करता था ... .......
इंतजार की तलब और चेहरे पर,
शर्म का पर्दा हुआ करता था.............
दिल का हाल जो आंखो से बयां हुआ करता था,
वहीं इश्क़ सच्चा हुआ करता था ........
वीडियो कॉलिंग में वो मज़ा अब कहा,
जो माशूका के पायल की झंकार में हुआ करता था
चेहरे का नूर जो गालों पर हुआ करता था
वहीं इश्क़ सच्चा हुआ करता था.......
किसी की तस्वीर दिल पर छाप छोड़ जाती थी
तब गैलरी में कहां ये सब हुआ करता था....
नज़रे झुकाए जब दिलवर से सामना हुआ करता था
वहीं इश्क़ सच्चा हुआ करता था .............
उसकी सलामती के लिए दुआ मांगने के खातिर
शायद ही कोई शक्स हुआ करता है.....
तब तो गांव में कहीं दूर किनारे
मन्नत से लपटे धागे का कोई पेड़ हुआ करता था...
जो इश्क़ चिट्ठीयों से हुआ करता था,
वहीं इश्क़ सच्चा हुआ करता था !

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