एक पत्थर को तराश ,कर हीरा बनाने का हुनर सिर्फ एक पारखी ,जोहरी में ही
होता है ,और इन दिनों शिक्षा क्षेत्र में ,, ऐसे ज़रूरतमंद छात्र छात्राये
जो प्रतिभावान ,है लेकिन उनके पास ,साधन नहीं होने से वोह पिछड़ रहे ,है
उनकी ज़िम्मेदारी लेकर ,उन्हें कोचिंग करवाकर ,ऐसे बच्चों को उनकी मंज़िल तक
पहुंचाने की कामयाब ज़िम्मेदारी का निर्वहन ,अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी
महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष हारुन खान , उनकी टीम कर रही है ,,, जी हाँ
दोस्तों हारुन खान , राजस्थान में किसी पहचान के मोहताज नहीं ,,इन्होने
राजस्थान में अल्सपंख्यक अधिकारी ,कर्मचारी महासंघ बनाकर , कर्मचारियों को
उनके हक़ संघर्ष में एक मज़बूत ताक़त दी ,है , उनकी वाजिब मांगों ,
परेशानियों के समाधान के सफलतम प्रयास हुए है ,, हारुन खान ने ,
अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ की शाखाये संभाग ,जिला ,कस्बे स्तर तक
गठित कर इस संघ को वट वृक्ष बनाया ,है जबकि इसकी छाँव में कई प्रताड़ित
कर्मचारियों को इंसाफ भी मिला ,है ख़ुशी की बात यह ,है के इस वट वृक्ष से
टूट कर गिरी शाखे भी अब ,,कहीं न कहीं हरियाली दे रही है ,इन शाखों के
जनक भी हारून खान , उनका सफल नेतृत्व ही रहा है ,, हारून खान ,,अल्पसंख्यक
अधिकारी कर्मचारी महासंघ ,के साथ दलित अधिकारी कर्मचारी महासंघ से भी
समन्वय कर ,इसे मज़बूती दे रहे है , कर्मचारियों , अधिकारीयों के हक़ संघर्ष
के लिए ,इन्होने वसुंधरा सरकार के समक्ष भी ,कर्मचारियों की वाजिब मांगे
मज़बूती से उठाई ,है जबकि यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व की सरकार
में भी कर्मचारियों ,अधिकारियों के हक़ संघर्ष के लिए अनुशासित तरीके से
तैयार मिलते है ,,,कर्मचारियों अधिकारीयों का भी अपना एक समाज ,होता ,है
एक परिवार होता ,है और इसीलिए हारून खान ,इस परिवार के दुःख दर्द में
शामिल होते ,है इनका प्रयास होता है के इस वर्ग में हर प्रतिभावान बच्चों
के सपने पुरे हों ,उन्हें उनका लक्ष्य मिले ,इसके लिए धन का अभाव उनके लिए
रूकावट न बने ,इसीलिए हारून खान अब ,,राजस्थान के ऐसे परिवारों के बच्चे जो
प्रतिभावान ,है मेरिटोरियस है ,लेकिन कोचिंग ,,मार्गदर्शन के अभाव में वोह
अपने लक्ष्य से दूर ,हैं इसके लिए अब हर ज़िले ,कस्बे के छात्र छात्राओं की
प्रतिभा को तलाशते हुए ,उनको ,,बेस्ट कोचिंग ,बेस्ट मार्गदर्शन के लिए
हारून खान का नेतृत्व अब गार्जियन बनकर उभरा है ,,पिछले दिनों टोंक की एक
प्रतिभावान लड़की ,इनके ज़रिये कोचिंग के बाद नीट मेरिट में सफल हुई है
,,वर्तमान में उन्होंने सपना तो इस पुनीत कार्य के लिए खुद का नियंत्रित
कोचिंग ,खुद का परिसर ,खुद का प्रबंधन हो ऐसा देखा है , लेकिन इसे मुकम्मल
करने में जब तक वक़्त लगे ,तब तक हारून खान ने कुछ कोचिंग संस्थानों से इस
मामले में मदद ली ,है , हारुन खान ने अधिकारी कर्मचारी महासंघ के
पदाधिकारियों ,जिला इकाइयों ,सदस्यों को भी निर्देशित किया ,है के एक ऐसे
प्रतिभावान छात्र छात्रा को गोद लेकर उसकी सभी ज़रूरते अपने ज़िम्मे लें और
इनके सपने को साकार करवाने की कोशिशों को कामयाब करे ,,,हारून खान अपना
केम्पस कोचिंग ,बोर्डिंग कोचिंग चाहते है ,,उन्होंने सपना देखा ,है इसे
साकार करने के प्रयास शुरू हैं ,लेकिन तब तक ,प्रतिभावान ,बच्चे चाहे आई आई
टी करना चाहते हो ,,चाहे एम बी बी एस नीट करना चाहते हों ,सी ऐ करना चाहते
हों ,या फिर कुछ और करना चाहते हों ,हारुन खान उनकी टीम ऐसे सभी लोगों को
तराश कर , इन छात्रों को हीरा बनाकर ,,इनके अपने समाज ,इनके अपने परिवार के
ताज में जड़ने की कोशिशों में जुटे हैं ,काफी कामयाब भी हुए ,है , ,जयपुर ,
अलवर ,जोधपुर ,सहित कई बच्चों को इनकी टीम ने उनकी ज़रूरतों के साथ आर्थिक
रूप से अपने संरक्षण में लिया हुआ भी ,है जिसके सुखद ,कामयाब परिणाम आ रहे
है ,,,हाल ही में कोरोना संकट के वक़्त सब लोग अपने घरों में बैठे थे
,ख़ौफ़ज़दा थे ,,लेकिन हारून खान के नेतृत्व में इनकी टीम रिचार्ज हुई ,जयपुर
के अलग अलग क्षेत्रों में ,राजस्थान के सभी ज़िलों ,क़स्बों में ज़रूरतमन्दों
का सहारा बनने की कामयाब कोशिश रही ,अकेले जयपुर में रोज़ क़रीब 3500 पैकेट
सुबह शाम इनकी टीम अलग अलग हिस्सों में वितरित करती रही है ,,,हारुन खान
खुद अपनी पॉकेट से प्रतिदिन सब्जीमंडी सुबह सवेरे जाकर रसोई के लिए सब्ज़ी
लाते रहे ,,अलग अलग जगह इनकी रसोइयां चलती रहीं ,ज़रूरतमन्दों की ज़रूरतें
पूरी होती रहीं ,,हारुन खान को ख़ुशी इस बात की हैं ,के ज़रूरतमंद लोगों में
खुद्दारी कूट कूट कर भरी ,है ,कफ्र्यूग्रस्त क्षेत्रों में फंसे हुए लोगों
में रोज़ मर्रा सूखे राशन के पैकेटों , खाने के पैकेटों की डिमांड बढ़ रही
थी , लेकिन अल्लाह का शुक्र जैसे जैसे ,कर्फ्यू खुला ,शहर खुला ,ज़रूरतमन्द
लोग फिर से थोड़ा बहुत अपना कामकाज देखने लगे ,बैंक से कुछ ने अपने जमा
रकम निकलवाई तो बस ऐसे लोगों ने खुद ने खाने के पैकेट ,राशन के पैकेट लेने
से इंकार कर दिया ,,खेर वक़्त निकल ,गया हारून खान , इनकी टीम ,इनके
अधिकारी कर्मचारी महासंघ का यह हौसला ,यह खिदमत का जज़्बा यादगार बन गया ,,
हारुन खान ,सहज ,सरल ,कुशल वक्त ,,खिदमतगार का जज़्बा रखने वाली बहुमुखी
प्रतिभा है ,, न काहू से दोस्ती ,न काहू से बेर ,बस चले चलों ,चले चलो ,,
आगे चले चलो ,,यही इनकी जीवन शैली है ,,इनके एक पुत्र आयुर्वेद कॉलेज में
चिकित्सक के लिए अंतिम वर्ष कोर्स में है , एक पुत्र कॉम्पीटीशन का लक्ष्य
लेकर तैयारी में ,है जबकि गोदपुत्र भी इनके प्रयसों से अव्वल हैं ,वोह भी
अपनी ज़िंदगी जीने के लिए हारून खान की मदद के पंख लगाकर आसमान में उड़ने को
तैयार हैं ,,ऐसे बच्चे उन्हें , उनकी पत्नी को अंकल ,आंटी नहीं ,,मम्मी
पापा कहकर सम्बोधित करते ,है उन्हें परिवार का सुख देते ,है इनके चाहे माता
पिता न रहे हों ,लेकिन इनकी हर ख़ुशी ,हर ज़रूरत ,हर कामयाबी के लक्ष्य के
लिए अल्लाह ने हारुन भाई को इनका पापा ,भाभी जी को मम्मी बना दिया है
,,,ऐसी शख्सियत जो अपने लिए नहीं ,समाजसुधार के लिए ,गरीब , निर्धन
,ज़रूरतमन्द लोगों की मदद ,उनके सपनों को साकार करने को अपनी ज़िंदगी को
लक्ष्य बना चुका हो ,इस रास्ते पर जो शख्स निकल चुका हों ,,कुछ टकराव ,,कुछ
बेरियर , कुछ बाधाएं , ,कुछ इलज़ाम आते ,है ,लेकिन हारुन खान ,इनकी टीम
,मुस्कुराती ,है पलट कर जवाब देने में अपना वक़्त बर्बाद करने की जगह
,,सामने आयी बाधा को हटाती ,है ,आगे बढ़ती है ,मुस्कुराती है ,,फिर आगे
बढ़ती है ,,ऐसे में हारून भाई अध्यक्ष अल्पसंख्यक अधिकारी कर्मचारी महासंघ
उनकी टीम के लिए अल्लाह से दुआ तो बनती है के अल्लाह ,उन्हें इन सभी
मंसूबों में कामयाबी दे ,,इनकी कोशिशों ,इनके हौसले के लिए इन्हे मुबारकबाद
,बधाई
देकर , इनके लिए हौसला अफ़ज़ाइ तो बनती है , इनकी दुआए , इनके मंसूबे , इनकी
कार्ययोजना कामयाब हों , इसके लिए दुआओं के साथ आमीन तो बनता है ,, अख्तर
खान अकेला कोटा राजस्थान
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