आपका-अख्तर खान

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20 जून 2020

कहते है , तोल मोल के बोल , न जाने कोनसी क़ुबूलियत की घडी हो ,और आपके मुंह से निकले अल्फ़ाज़ क़ुबूल हो जाये

कहते है , तोल मोल के बोल , न जाने कोनसी क़ुबूलियत की घडी हो ,और आपके मुंह से निकले अल्फ़ाज़ क़ुबूल हो जाये ,, अच्छा ही मुंह से निकलता रहे ताकि क़ुबूलियत हो तो अच्छाई की हो ,, , कम से कम हमे तो , यही सीख इस कोरोना संकट त्रासदी से सीखने को मिली है ,,,दोस्तों वकालत के व्यवसाय में कई नशे के कारोबारी ,अपराध में लिप्त लोग , पैरवी के बाद ,, तय शुदा फीस में आनाकानी करते नज़र आते है ,तो में खुद ,और हमारे साथी आबिद अब्बासी ,उन्हें यही कहकर समझाने ,लगे के अपराध किया है ,इसकी पैरवी है फीस तो तयशुदा ही लगेगी ,हाँ अगर मस्जिद में नमाज़ पढ़ते ,हुए , मंदिर में पूजा करते हुए पकड़े गए तो हम तुम्हारी पैरवी निशुल्क करेंगे ,, कहने में बात अजीब सी थी , कई पक्षकारों की जिनकी गरीबी की स्थिति होने से मुफ्त पैरवी, ज़रूरी भी होती है , वोह भी ,, यह सुनकर कहते थे ,वकील साहब हमारी पैरवी , का क्या होगा , हमारे पास फीस नहीं है ,तब हम उन्हें तसल्ली देकर समझा देते थे स्पष्ट करते थे के , यह फार्मूला तुम्हारे लिए ,नहीं ,, जिनके पास फीस देने की हैसियत है, जघन्य अपराध में लिप्त है उनके लिए है ,लेकिन क़ुदरत से कोन जीत सकता ,है , मुंह से निकले अल्फ़ाज़ ,, मस्जिद में नमाज़ पढ़ते वक़्त ,मंदिर में पूजा , आरती करते वक़्त पकड़े जाओ तो मुफ्त पैरवी बिना कहे करेंगे ,,असम्भव सी बात ,थी अकल्पनीय बात थी ,,सोचा भी नहीं था ,भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में ,भारत जैसे धर्म की आज़ादी वाले देश में ,एक दिन ऐसा आएगा के मस्जिद , मंदिर , गिरजा , गुरुद्वारे के दरवाज़े बंद हो जाएंगे , और मंदिर में पूजा करना ,आरती करना ,, मस्जिद में नमाज़ पढ़ना ,इबादत करना ,, एक गुनाह ,एक अपराध ,एक क़ानूनी जुर्म बन जाएगा ,,कोरोना संक्रमण के वक़्त , सभी धर्म गुरुओं की स्वेच्छा ,से सरकार ने जनहित में ,व्यवस्थाएं बनाई और , मस्जिदें ,गुरुद्वारे ,मंदिर ,मज़ारात , दरगाह ,गिरजाघर बंद कर दिए गए ,, यहां सामूहिक इबादत जुर्म बन गयी ,, कोटा में अब हमारे पास मस्जिद में नमाज़ पढ़ते हुए पकड़े गए लोगों के मुक़दमे है ,,मंदिर में पूजा करते हुए पकड़े गए लोगों के मुक़दमे है ,, हम खुद हैरान ,है , के हम तो बस यूँ ही समझाइश के तहत ,, इस जुमले को , फीस में बहानेबाज़ी करने वाले ,, आपराधिक पक्षकारों से ,,कह दिया कर देते है ,,लेकिन ,हमे क्या पता के बुज़ुर्ग जो कहते ,है धर्म ,ग्रंथो ,क़ुरान ,बाइबिल ,गीता ,धर्मशास्त्रों में जो लिखा है वही सच है ,,,बोलो तो तौल मोल के बोलो ,न जाने कोनसी घडी अल्लाह ,ईश्वर ,,भगवान ,,वाहेगुरु ,जिसस के लिए क़बूलियत की घडी हो ,और हमारे आपके मुंह से निकले अल्फ़ाज़ वोह सही साबित कर दे ,क़ुबूल करके बता दे ,, हमने तोबा की है ,,भविष्य में इन अल्फ़ाज़ों को तो क्या किसी भी नकारात्मक अल्फ़ाज़ को जुबांन पर नहीं लाएंगे ,क्योंकि यह चमत्कार कहो ,सज़ा कहो ,सबक़ कहो ,, लेकिन भारत देश में मस्जिदों में ,मंदिरों ,में ,धर्मस्थलों में इबादत करते हुए पकड़े जाना जुड़ हो जाएगा अकल्पनीय सी बात थी ,जो यहाँ हमारी जुबांन से निकले अलफ़ाज़ कहो ,या खुदा की दी हुई एक सज़ा कहो हमे भुगतना पढ़ी , , तोबा है ,,तोबा के साथ , दुआ है के ,ईश्वर ,अल्लाह , अब ऐसे बुरे दिन हमे कभी न दिखाए , एक बात और ,हमने हेलमेट को लेकर एक जनहित याचिका की ,, मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 128 सहित अन्य धाराओं में ,, वाहन चलाते वक़्त पहचान छुपा कर चलना , यानी मुंह ढक कर चलना अपराध होना बताकर ऐसे लोगों को गिरफ्तार करने ,चालान बनाने की मांग की ,,तात्कालिक कोटा पुलिस अधीक्षक ने पहले तो रुमाल बांध कर , दुपहिया वाहन चलाने , मुंह से रूपट्टा ढककर वाहन चलाने पर जुर्माने को अपराध बनाना हास्यास्पद क़रार दिया ,एक अधिकारी ने हमारा मज़ाक़ भी बनाया , लेकिन लूट वगेरा की घटनाओं के बाद ,,स्कार्फ बाँध कर ,रुमाल बांधकर ,वाहन चलाने वालों के चालान बनाये जाने लगे ,, आज कोरोना संक्रमण के ,वक़्त मोटर व्हीकल क़ानून की वोह धाराएं विरोधाभासी हो गयी है ,जिसमे , रुमाल , या स्कार्फ से मुंह ढककर चलना ,अपराध परिभाषित है ,,आज हालात उलटे हो गए ,,, आज मुंह ढके बगैर अगर बाहर निकले तो ,, पुलिस जुर्माने के लिए तैयार खडी है ,,इसलिए कहते है ,वक़्त से हम और आप ,, कोन जाने कब बदले वक़्त का मिजाज़ , ज़रा सम्भल कर रहे ,वाणी पर ,अल्फ़ाज़ों पर संयम रखे ,शुभ शुभ ,सोचे , शुभ शुभ बोलें ,, ,अल्लाह, ईश्वर , जीसस , वाहे गुरु जो भी अदृश्य शक्ति है , उसे याद करे , अपनी गलतियों के लिए तोबा करे ,, बेहतर से बेहतर फिर से ज़िंदगियों की शुरुआत हो ,,कामकाज फिर से शुरू हो ,रोज़गार के अवसर बढे ,बाज़ारो की रौनक फिर से ,लोटे यह ,,बिमारी ,यह बवा , इस धरती से हमेशा के लिए खत्म हो जाए ,ऐसी दुआए ,, मिलजुल कर अपनी अपनी मज़हबी रिवायतों के हिसाब से करे ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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