﴾ 71 ﴿ लूत ने कहाः ये मेरी पुत्रियाँ हैं, यदि तुम कुछ करने वाले[1] हो।
1. अरथात् इन से विवाह कर लो, और अपनी कामवासना पूरी करो, और कुकर्म न करो।
﴾ 72 ﴿ हे नबी! आपकी आयु की शपथ[1]! वास्तव में, वे अपने उन्माद में बहक रहे थे।
1. अल्लाह के सिवा किसी मनुष्य के लिये उचित नहीं है कि वह अल्लाह के सिवा किसी और चीज़ की शपथ ले।
﴾ 73 ﴿ अंततः, सूर्योदय के समय उन्हें एक कड़ी ध्वनि ने पकड़ लिया।
﴾ 74 ﴿ फिर हमने उस बस्ती के ऊपरी भाग को नीचे कर दिया और उनपर कंकरीले पत्थर बरसा दिये।
﴾ 75 ﴿ वास्तव में, इसमें कई निशानियाँ हैं, प्रतिभाशालियों[1] के लिए।
1. अर्थात जो लक्षणों से तथ्य को समझ जाते हैं।
﴾ 76 ﴿ और वह (बस्ती) साधारण[1] मार्ग पर स्थित है।
1. अर्थात जो साधारण मार्ग ह़िजाज़ (मक्का) से शाम को जाता है। यह शिक्षा प्रद बस्ती उसी मार्ग में आती है, जिस से तुम गुज़रते हुये शाम जाते हो।
﴾ 77 ﴿ निःसंदेह इसमें बड़ी निशानी है, ईमान वलों के लिए।
﴾ 78 ﴿ और वास्तव में, (ऐय्का) के[1] वासी अत्याचारी थे।
1. इस से अभिप्रेत शोऐब अलैहिस्सलाम की जाति है, ऐय्का का अर्थ वन तथा झाड़ी है।
﴾ 79 ﴿ तो हमने उनसे बदला ले लिया और वे दोनों[1] ही साधारण मार्ग पर हैं।
1. अर्थात मद्यन और ऐय्का का क्षेत्र भी ह़िजाज़ से फ़िलस्तीन और सीरिया जाते हुये, राह में पड़ता है।
﴾ 80 ﴿ और ह़िज्र के[1] लोगों ने रसूलों को झुठलाया।
1. ह़िज्र समूद जाति की बस्ती थी, जो सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी, यह बस्ती मदीना और तबूक के बीच में स्थित थी।
1. अरथात् इन से विवाह कर लो, और अपनी कामवासना पूरी करो, और कुकर्म न करो।
﴾ 72 ﴿ हे नबी! आपकी आयु की शपथ[1]! वास्तव में, वे अपने उन्माद में बहक रहे थे।
1. अल्लाह के सिवा किसी मनुष्य के लिये उचित नहीं है कि वह अल्लाह के सिवा किसी और चीज़ की शपथ ले।
﴾ 73 ﴿ अंततः, सूर्योदय के समय उन्हें एक कड़ी ध्वनि ने पकड़ लिया।
﴾ 74 ﴿ फिर हमने उस बस्ती के ऊपरी भाग को नीचे कर दिया और उनपर कंकरीले पत्थर बरसा दिये।
﴾ 75 ﴿ वास्तव में, इसमें कई निशानियाँ हैं, प्रतिभाशालियों[1] के लिए।
1. अर्थात जो लक्षणों से तथ्य को समझ जाते हैं।
﴾ 76 ﴿ और वह (बस्ती) साधारण[1] मार्ग पर स्थित है।
1. अर्थात जो साधारण मार्ग ह़िजाज़ (मक्का) से शाम को जाता है। यह शिक्षा प्रद बस्ती उसी मार्ग में आती है, जिस से तुम गुज़रते हुये शाम जाते हो।
﴾ 77 ﴿ निःसंदेह इसमें बड़ी निशानी है, ईमान वलों के लिए।
﴾ 78 ﴿ और वास्तव में, (ऐय्का) के[1] वासी अत्याचारी थे।
1. इस से अभिप्रेत शोऐब अलैहिस्सलाम की जाति है, ऐय्का का अर्थ वन तथा झाड़ी है।
﴾ 79 ﴿ तो हमने उनसे बदला ले लिया और वे दोनों[1] ही साधारण मार्ग पर हैं।
1. अर्थात मद्यन और ऐय्का का क्षेत्र भी ह़िजाज़ से फ़िलस्तीन और सीरिया जाते हुये, राह में पड़ता है।
﴾ 80 ﴿ और ह़िज्र के[1] लोगों ने रसूलों को झुठलाया।
1. ह़िज्र समूद जाति की बस्ती थी, जो सालेह (अलैहिस्सलाम) की जाति थी, यह बस्ती मदीना और तबूक के बीच में स्थित थी।
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