आपका-अख्तर खान

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28 जून 2020

बढे नाज़ो , नखरों ,लाढ , प्यार से पली बढ़ी , एक नन्ही सी खूबसूरत , नाज़ुक सी डरपोक सी दिखने वाली मेरी माँ तुल्य ,बढ़ी बहन ,परी ,, जो बंदूक का धमाका तो क्या ,, पटाखों की आवाज़ से भी सहम जाती थी ,, आज माशाअल्लाह वोह नन्ही सी परी , रफततुन्निसा खानम ,रफत सिद्दीक़ी होकर दिल्ली सरकार से अध्ययन ,अध्यापन में बेहिसाब पुरस्कार ,प्रमाणपत्र लेकर ,,सेवानिवृत्त हो रही हैं

बढे नाज़ो , नखरों ,लाढ , प्यार से पली बढ़ी , एक नन्ही सी खूबसूरत , नाज़ुक सी डरपोक सी दिखने वाली मेरी  माँ तुल्य ,बढ़ी बहन ,परी ,, जो बंदूक का धमाका तो क्या ,, पटाखों की आवाज़ से भी सहम जाती थी ,, आज माशाअल्लाह वोह नन्ही सी परी , रफततुन्निसा खानम ,रफत सिद्दीक़ी होकर दिल्ली सरकार से अध्ययन ,अध्यापन में बेहिसाब पुरस्कार ,प्रमाणपत्र लेकर ,,सेवानिवृत्त हो रही हैं ,इत्तेफ़ाक़  ही  है  के ,29 जून  सोमवार  को उनका जन्म दिन , और 30  जून मंगलवार को उनकी दैनिक सरकारी दिन चर्या से आज़ादी ,सेवानिवृत्ति का दिन है ,,सेवानिवृत होकर भी वोह अपनी जीवनशैली में खिदमत ए ख़ल्क़ , लोगों की मदद के जज़्बे , अध्ययन , अध्यापन , मज़हबी अध्ययन , में खुद को हवन कर लेंगी ,कई बार उमराह ,,हज के मुक़ददस सफर भी इन्होने इसी दौरान , अपने शोहर ,परिवार के साथ करने का शर्फ हांसिल किया ,है जबकि विश्व के कई हिस्सों में यह फेमिली टूर का लुत्फ़  ले चुकी है ,, ,,दिल्ली  सरकार में परफेक्ट ड्यूटी एवार्ड के साथ ,मेरी बढ़ी बहन ,,बाजी बेगम ,माँ तुल्य रफत सिद्दीक़ी को बधाई , मुबारकबाद ,, जी हाँ दोस्तों बचपन में सभी की लाड़ली ,खूबसूरत सी नटखट ,ज़िद्दी ,पढ़ाई में प्रतिभावान ,रफत को प्यार से परी कहते थे ,, आसपास मोहल्लेदारन ,,के बीच हमारी अम्मी , की पहचान परी की अम्मी से ही थी ,प्रारम्भिक शिक्षा ,,फर्स्ट डिवीज़न से भी फर्स्ट नंबर फर्स्ट रहकर कोटा से की , यहीं बी एस सी के बाद ,जीव विज्ञानं जूलॉजी में एम एस सी फर्स्ट डिवीज़न  से करने के बाद ,, दिल्ली जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी , फार्मेसी विभाग के हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट ,कई पुस्तकों के लेखक डॉक्टर अनीस सिद्दीक़ी से उनका विवाह हुआ ,,, यक़ीनन परी अब परी नहीं थी ,रफततुन्निसा नहीं थी ,वोह रफत सिद्दीक़ी ,बन गयी थी ,वोह डॉक्टर अनीस अहमद सिद्दीक़ी के घर की ज़ीनत थी ,,इस घर की बहु थी ,,माशाल्लाह तरबियत परी की वालदा हज्जन रशीदा खानम ,, वालिद इंजीनियर हाजी असगर अली साहब की थी , लेकिन टोका टाकी , हंसी मज़ाक़ ,,छोटा  भाई होने से मेरी थी ,,मेरी छोटी बहिन नाज़िमा खानम ,भाई परवेज़ का प्यार था ,, इसीलिए दिल्ली में कोटा की यह लाड़ली बेटी ,बेहतरीन कामयाब बहु साबित हुई , पत्नी साबित हुई ,दो लाडले बच्चे डॉक्टर सिम्मी सिद्दीक़ी ,, इंजिनियर समीर सिद्दीक़ी की अम्मीजान साबित हुई ,, घर के सभी कामकाज ,बच्चों की परवरिश ,के साथ दिल्ली में रहकर फिर पढ़ाई ,,फिर वहीँ सरकारी जूनियर लेक्चरर की नौकरी ,,,एक कामकाजी महिला के लिए घर परिवार के साथ नौकरी एक चुनौती थी ,लेकिन कोटा की यह डरपोक परी ,दिल्ली में परफेक्ट थी ,,घर में सास ,ससुर ,की ज़िम्मेदारी ,पति डॉक्टर अनीस सिद्दीक़ी की किताबे लिखने का स्वतंत्र माहौल बनाये रखने की ज़िम्मेदारी ,,मेहमान नवाज़ी ,,बच्चों की परवरिश , और खुद की नौकरी ,,कामयाब व्यवस्था बनी ,, माशा अल्लाह इन सभी व्यस्तताओं के बावजूद भी , रफत सिद्दीक़ी ,, मजहबी पढ़ाई के साथ ,स्कूली बच्चों को पढ़ाने की विधा में पारंगत रहीं ,इनके पढ़ाये हुए बच्चे मेरिट में आने लगे ,, स्कूल की कई नेतृत्व ज़िम्मेदारी ,कार्यक्रमों के आयोजन ,,सांस्कृतिक कार्य्रकम ,भाषण बाज़ी ,सेमिनारें , सभी तो इनकी मौजूदगी में जीवंत और कामयाब थे ,, कोटा की यह नन्हीं सी डरपोक परी , दिल्ली में , रफत सिद्दीक़ी के रूप में बोल्ड ,,गोल्ड बन चुकी थीं ,,इनकी कार्यशैली ,नेतृत्व क्षमता ,लोगों की मदद ने इन्हे ,स्टाफ की परिवार की मोहल्लेदारन ,कॉलोनीवासियों की इन्हे ज़रूरत बना दिया था ,,आंटी जी , भाभी जी ,मेडम जी ,बस सभी के काम आना ,, सभी के काम करना ,,कमज़ोर बच्चों , ज़रूरतमंद बच्चों की फीस ,,किताबें ,यूनिफॉर्म की ज़रूरतें पूरी करने का इनका शोक था ,,ज़रूरतमंद लोगों की मदद ,, उन्हें हौसला देना इनका शोक रहा है ,,यही वजह रही ,कई समाजसेवी संस्थाओं ,दिल्ली सरकार ने ,रफत सिद्दीक़ी को सेवा पुरस्कार सहित ,शिक्षण पुरस्कार से सम्मानित किया ,, ,, आज दिल्ली में जब कोरोना त्रासदी है ,,यह घर में रहकर भी ,टेलीफोन के ज़रिये , ऑन लाइन के ज़रिये अपने पुत्र ,पति को प्रेरित कर लोगों की मददगार बनी है ,एक गृहणी के रूप में इनकी सफलता ,इनके शोहर डॉक्टर सिद्दीक़ी खूब जानते है ,जबकि इनके पुत्र इंजीनियर स समीर सिद्दीक़ी ,,इनकी पुत्री डॉक्टर सिम्मी सिद्दीक़ी ,, इनकी परवरिश की कामयाबी की मिसाल है ,,इन सब के बावजूद भी कुछ नया करना , कुछ नया पढ़ना ,, धार्मिक शिक्षा की गहराई तक अध्ययन रोज़ मर्रा इबादत के सभी नियमों को पूरा करना इनकी दैनिक जीवन शैली  है ,, मुझे फख्र है ,मुझे गर्व है के मेरी माँ तुल्य इस बढ़ी बहन ने ,, दिल्ली में रहकर खुद को स्थापित किया ,,लाड प्यार से पलने के बावजूद भी ,, खुद को दिल्ली में हालातों को देख कर बोल्ड बनाया ,, कोई काम नहीं है मुश्किल जब किया इरादा पक्का ,के नारे को बुलंद किया ,,ज़िंदगी में दुःख भी आये ,तकलीफें भी आयीं ,लेकिन हर दुखद लम्हें को रोकर ,हालातों को कोसकर गुज़ारने की जगह इन लम्हों को पेरो तले रौंदकर ,खुशनुमा माहौल में बनाया ,हर दुखद लम्हे को मेरी इस बहन ने ,,बोल्ड बनकर ,गोल्ड बनकर , ज़िम्मेदारी बनकर हिम्मतवाली बनकर , कर्तव्यनिष्ठ बनकर ,, खुशियों में कामयाबी में बदल दिया ,,बस इनकी यही अदा ,आज इनके साथी स्टाफ ,इनके पढ़ाये हुए छात्र छात्रों में एक सबक़ बना है ,, लोगों की मदद करो ,तुम्हे खुदा ने अगर किसी लायक बनाया है तो ज़रूरतमंदों का सहारा बनो ,इनकी जीवन शैली लोगों के लिए यही एक बढ़ा सबक़ बन गया है ,मेरा पुत्र इंजीनियर शाहरुख़ खान ,, बिटिया डॉक्टर जवेरिया  , सभी की लाड़ली सदफ अख्तर की यह चहेती है ,, मेरा छोटा भाई परवेज़ इनका पुत्रवत चहिता ही नहीं माशा अल्लाह महाचहीता है ,, हमारे बहनोई भी हमारे लिए पिता तुल्य रहे हर क़दम पर हमारे साथ रहे ,, यह परी ,, हमारे परिवार में भी लाड़ली ही नहीं , नेतृत्व रखती है ,जो यह कहती है वहीँ सब कुछ हमारे परिवार में होता है ,इसलिए होता है के वोह परफेक्ट होगा ,जबकि  इनके ससुराल में भी इन्होने खुद को अपने प्यार ,अपनी ज़िम्मेदारियों से स्थापित किया है ,,माशा अल्लाह यह परी , रफत सिद्दीक़ी चाहे आज ,सरकारी सेवाओं से सेवानिवृत हो रही हो ,लेकिन इनका नेतृत्व ,इनका जज़्बा ,इनका सेवा भाव ,इनकी मज़हबी परम्पराये ,, यथावत है ,, सिर्फ स्कुल से सेवानिवृति हुई है ,ज़िंदगी अभी बाक़ी है ,अल्लाह इन्हे सो साल की उम्र ,भर  ऐसे ही मुस्कुराता रखे ,हमारे सर पर इनका हाथ रखे , हमारी अम्मी के साथ यह भी अम्मी का हक़ रखे ,, ,और हाँ ,एक बात तो में कह ही दूँ के इनकी भावजें ,मेरी और मेरे छोटे भाई परवेज़ की बीवी की भी यह गार्जियन तो है ,लेकिन ,, हां हां हां हां हां ,,समझ तो आप गए ही होंगे ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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