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15 मई 2020

राज्य कर्मचारियों ,शिक्षकों के वेतन की कटौती से ,सरकार की आर्थिक स्थिति डगमगाने से बची है

राज्य कर्मचारियों ,शिक्षकों के वेतन की कटौती से ,सरकार की आर्थिक स्थिति डगमगाने से बची है ,, कथित कोरोना योद्धा जो सडकों पर है , जो ज़रूरत मंदों को मदद मिल रही है ,वोह सरकारी कर्मचारियों ,शिक्षकों के वेतन कटौती और उनकी भौतिक उपस्थिति की मदद से ही मिल रही है ,,फिर भी ओरिजनल कोरोना कर्मवीर का काम करने वाले यह नींव की ईंट , कर्मचारियों , शिक्षकों को इन लोगों में से कुछ ,,लोग , , दिन रात पानी पी पी कर कोसते है ,यह लोग मानसिक रोगी है ,, यक़ीनन यह लोग अव्यवहारिक है ,, मानसिक रोगी है ,,ईर्ष्यालु स्वभाव के है ,क्योंकि एक सरकारी शिक्षक ,या सरकारी कर्मचारी ,अधिकारी ,बनने के लिए सब कुछ त्याग कर ,, अपना बचपन पढ़ाई के लिए हवन करना पढ़ता है ,,,परीक्षाएं देना पढ़ती है ,तब कहीं कोई कर्मचारी ,कोई शिक्षक ,कोई अधिकारी बनता है ,, दिन रात महनत के बावजूद भी हर संकट की घडी में ,कर्मचारी ,अधिकारी , शिक्षक आपका सहयोग बनता है ,,, फिर भी यह ईर्ष्या ,यह गुस्सा यह नाराज़गी , कर्मचारी नेताओं ,, शिक्षक नेताओं का राजनीतिकरण हो जाने , टिकिट लेकर चुनाव लड़ने की इच्छा ,कोई पद हांसिल करने की चालाकियां इन्हे सरकार का पीछ लग्गू बना देती है , यह लोग ऐसे आरोपों का ,,कर्मचारियों ,शिक्षकों पर गैर ज़रूरी बोझ डालने का विरोध नहीं करते ,सब कुछ सहते है ,बस मेरा ,मेरे समर्थकों का काम होता रहे ,, बाक़ी प्रताङित होते रहे ,,चुनाव हो ,शिक्षक ,,,कोई सी भी परीक्षा हो शिक्षक ,जन गणना हो शिक्षक ,पशु गणना हो शिक्षक ,,ट्रेनिंग्स हो शिक्षक ,,आपात ड्यूटियां हो शिक्षक ,, कोरोना ड्यूटियां हो शिक्षक , आरोप हो शिक्षक ,, स्कूल में बच्चों को कढ़ी धुप में , घर घर तलाश कर, प्रायवेट स्कूलों के कम्पीटिशन में एडमिशन करने की प्रेरणा कार्य में शिक्षक ,टीकाकरण कार्यों में शिक्षक , पोलियो रैली हो ,कोई सी भी रैली हो ,दो बून्द पोलियो की दवा हो ,शिक्षक ,, स्कूल में स्टाफ की कमी ,, पंखे चालु नहीं ,, कुर्सियां फर्नीचर नहीं , साफ पानी की व्यवस्था नहीं ,,न्यूनतम केटेगरी यानि ,,पढाई के प्रति कम इच्छुक बच्चो को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी ,उन्हें पहले दूध पिलाओ ,फिर पोषाहार बनाओ ,फिर पोषाहार खिलाओ ,, मीटिंगों में शिक्षक ,,मतदाता सूचि बनाना हो ,मतदाता का नाम जोड़ना हो ,नाम काटना हो शिक्षक , स्कूलों में कम्प्यूटर नहीं , कम्प्यूटर है तो ठीक नहीं ,, बाबू नहीं , कम्प्यूटर ऑपरेटर नहीं ,फिर सभी कार्य कम्प्यूटर पर , शाला दर्पण ,,वेतन बिल ,छात्र छात्राओं की सभी जानकारियां ,कर्मचारियों की जानकारियां ,कम्प्यूटर पर ,पढाई भी करवाओ ,प्राइवेट स्कूलों में जो इंटेलिजनेत पढ़ाकू अमीरों के बच्चे होते है ,उनके मुक़ाबले में गरीब मध्यमवर्गीय ,,पढ़ाई के प्रति लापरवाह बच्चों को अनुशासित करो ,पढ़ाओ ,फिर प्राइवेट स्कूलों के इंटेलिजेंट सभी सुख सुविधाओं वाले बच्चों से पर्तिस्पर्धा में उनका परिणाम दो ,,बोर्ड की कॉपियां जांचो ,फिर भी बदनाम है शिक्षक सिर्फ इसलिए के उनसे हर माह ,हर साल मोटी रक़म , शिक्षक संघ के नाम पर तो ली जाती है ,लेकिन शिक्षकों को गैर ज़रूरी ,,गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्ति दिलवाने की आवाज़ नहीं उठती ,स्कूलों में सुविधाओं ,,शिक्षक सुरक्षा की बात नहीं उठती ,,अफसोसनाक यह है के ,,, किसी भी शिक्षा मंत्री ने शिक्षक के इस दर्द को नहीं जाना ,इन हालातों की समीक्षा नहीं की ,,,कोई शिक्षकों को प्रोटेक्शन नहीं दिया ,,पीर ,फ़क़ीर ,बावर्ची सहित सभी काम शिक्षक के माथे ,फिर भी ,शिक्षकों के प्रति घोर ईर्ष्या ,,घोर इल्ज़ामखोरी के माहोल से शिक्षकों का अपमान ,शिक्षिकाओं का अपमान , आप और हम रोज़ रोज़ देखते है ,, कोरोना संक्रमण के खौफनाक हालात बने , काफी परीक्षाएं हो चुकी फिर अचानक लोकडाउन ,, स्कूल भी बंद ,, शिक्षक घर पर डिप्रेशन में ,कोरोना से डरे हुए ,,इसी बीच ऑन लाइन शिक्षा का मज़ाक़ होता है ,हमारा राजस्थान जहाँ के सरकारी स्कूल के बच्चों के परिवार के पास ,खुद बच्चों के पास की पेड़ वाले मोबायल भी ,नहीं कई शिक्षकों को मोबाइल ठीक से चलाना आता भी नहीं ,कइयों के पास की पेड़ मोबाइल ,बस सनक चढ़ गयी ,, स्माइल ग्रुप बनाओं और बच्चो को ऑन लाइन पढ़ाओ ,शाला प्रधान भी प्रताड़ित ,,शिक्षक भी प्रताड़ित बच्चे और अभिभावक भी प्रताड़ित , इन सारी कोशिशों के बावजूद भी बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर कोई सकारात्मक फ़र्क़ नहीं ,, फिर सोचा शिक्षक घर क्यों बैठा है ,कुंठाग्रस्त कोई अधिकारी बैठा होगा ,उन्होंने शिक्षकों को ऑन लाइन कोरोना ट्रेनिंग का हुक्म दे दिया फिर ,शिक्षक ,परेशान ,, शालाप्रधान परेशान ,नेटवर्क है ,नहीं है ,मोबायल हेंग हो रहा है ,ट्रेनिंग भी जब मरीज़ सिर्फ 289 थे जबकि जबके हालातों की ट्रेनिंग ,, ट्रेनिंग में सिर्फ विडिओ ,जो रोज़ अख़बारों में शिक्षक पढ़ रहा है ,टी वी में शिक्षक देख रहा है ,वही बातें ,फिर सनक ,एक तरफ तो गर्मियों की छुट्टियों का ,ऐलान दूसरी तरफ , फंसे हुए शिक्षकों सहित सभी शिक्षकों को मुख्यालय पहुंचने का आदेश , फिर इधर उधर कोरोना महामारी में , बिना किसी पी पी किट , सुविधाओं के ,ड्यूटी ,,कोनसी ड्यूटी ,,गैर ज़रूरी ड्यूटी , सरकार के पास प्रशिक्षित नर्सें ,है ,, कम्पांडर है ,,चिकित्सक है , आयुर्वेद ,यूनानी ,होम्योपैथिक चिकित्सक ,स्टाफ है ,,चिकित्सा कर्मचारी है, आंगन बाढ़ी कार्यकर्ता , आशा सहयोगिनी है ,अन्य संबंधित कर्मचारी है ,फिर भी शिक्षक को घर बैठे परेशान करना , उन्हें गैर ज़रूरी काम बताना ,, शाळा प्रधान को ज़िम्मेदारी ,देना फिर शाला प्रधान शिक्षकों तक व्यवस्थाएं बनाने की कोशिशें करे ,शिक्षक,, शिक्षक ,शिक्षक ,,, हर काम में शिक्षक ,फिर भी दुनिया भर की ईर्ष्या ,दुनिया भर का गुस्सा ,दुनिया भर के इलज़ाम सिर्फ शिक्षकों के लिए ,,क्योंकि शिक्षकों का नेतृत्व चापलूस है ,, सरकार के तलवे चाटने वाला है ,जो नेतृत्व बोलना चाहता है ,हिम्मत से संघर्ष करना चाहता है ,वोह नेतृत्व अलग थलग है ,,ऐसे में शिक्षा मंत्री को ,जो अधिकारी शिक्षकों की एक तरफा तस्वीर दिखाकर उल जलूल कार्यक्रम देते है ,गैर ज़रूरी व्यवस्थाएं करवाते है , एक शिक्षा सुधार आयोग का गठन कर , ,,, सभी सरकारी स्कूलों की व्यवस्थाएं ,भवन ,,विषयवार ज़रूरतें , शिक्षकों की ज़रूरतें ,उन पर गैर ज़रूरी कार्य से शैक्षणिक कार्यों पर दुष्प्रभाव ,,निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा , शिक्षा सुधार , शिक्षकों के कार्यव्यवहार सहित , कई महत्वपूर्ण बिंदु बनवा कर सुझाव लेना चाहिए , उसमे सकारात्मक सुधार करना चाहिए ताकि गैर ज़रूरी व्यवस्थाएं थोपने के बजाय , शैक्षणिक कार्य की व्यवस्थाओं का भार शिक्षक के सर हो ,उसकी ज़िम्मेदारी ,जवाबदारी हो , शैक्षणिक माहौल हो ,,राजस्थान शिक्षा में सर्वपर्थम हो ,शिक्षक सुधार कार्यक्रमों में प्रथम हो ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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