मेने कहा था ना ,कोटा में अधिकारी बदल जाने दो ,व्यवस्थाओं में संशोधन होने
लगेगा ,,कोटा संभागीय आयुक्त सोनी साहब की सेवानिवृति के बाद , कैलाश
चंद्र मीणा के नए संभागीय आयुक्त बनने के बाद , रिवीव मीटिंग के बाद
,,भीमगंजमंडी क्षेत्र के कफ्र्यूग्रस्त क्षेत्रों का डी लिमिटेशन हुआ न ,यह
व्यवहारिक भी है ,बुद्धिमती भी है ,, कैलाश चंद्र मीणा के कार्यभार
ग्रहण के बाद ज़्यादा नहीं थोड़ा ही सही ,,कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्रों में
सब्ज़ियों सहित आवश्यक आपूर्तियों में थोड़ा सुधार तो हुआ ,यह राहत की खबर है
,,चारो तरफ पुलिस की सुरक्षा के घेरे में ,समस्याग्रस्त लोगों को रोक कर
रखने ,,लोगों से दूरी बनाये रखने ,उनके फोन नहीं उठाने ,,उनकी संवेदनाये
नहीं सुनने से प्रशासन नहीं चलता ,,और इसीलिए कोटा के केबिनेट मंत्री शांति
कुमार धारीवाल साहब ,दैनिक भास्कर से इस मामले में गंभीर नाराज़गी जताकर
चेतावनी दे चुके है ,इसके बाद बदलाव भी हुए ,सुधार भी हुए ,, लेकिन आम
लोगों की समस्याएं तुम तक कैसे पहुंचेंगे ,तुम्हारे लिए तो आल इस वेळ है
,सिर्फ कर्फ्यू लगाना ,कर्फ्यू की पालना करवाना ही एक मात्र उपाय नहीं
दूसरी व्यवस्थाएं भी देखना ज़रूरी ,है ,, कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में मरीजों
के इलाज के वक़्त एम्बुलेंस अव्यवस्था सहित कई अव्यवस्थाओं को लेकर ब्लॉक
अध्यक्ष , संदीप भाटिया , जनहित में टकराव भी कर चुके है , वो खुद दो
एम्बुलेंस देने को तैयार थे , एक मरीज पहले स्वीकारित रूप से समय पर इलाज
नही मिलेने के आरोपों के साथ म्रत्यु का शिकार हुए , कल फिर यही हाल रहा
एम्बुलेंस के अभाव में मरीज ठेले पर , फिर चल बसा , यह वही इलाका है जहां
खूब लोगों को मुर्गा बनाया गया है , प्रशासन से आम जनता की तत्काल ज़रूरते
इतने लवाजमे के बाद भी शिकायतों में रहे कुछ तो असामान्य है , इसीलिए ,अब
हाड़ोती विकास मोर्चा के राजेंद्र सांखला को मोनिटरिंग करवाना पढ़ रही है ,जो
दिन रात लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए समन्वय के साथ लगे है ,अभी
वर्तमान हालातों में कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र में अति संक्रमित , संक्रमित
,बिना संक्रमित एरिया फिर से पहचान करना ज़रूरी है ,और कर्फ्यू का दायरा
सिर्फ अति संक्रमित क्षेत्र की गलियों तक ही सीमित रखने का आदेश सम्भव है
,इससे प्रशासन ,पुलिस , चिकित्सा टीमों का फोकस सिर्फ ,सीमित ,अतिसंक्रमित
क्षेत्र में ही रहेगा ,प्रशासन की ताक़त का सदुपयोग भी हो सकेगा और लोगों
की परेशानियाँ भी कम होंगी ,, आकशवाणी और छावनी क्षेत्र में सीमित दायरा तय
कर ,कफ्यू का फेसला निश्चित तोर पर स्वागत योग्य रहा है ,,, सम्भागीय
आयुक्त कैलाश चंद्र मीणा ,केबिनेट मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल साहब से
मार्गदर्शन प्राप्त कर फिर से इस कोटा शहर को कोरोना संक्रमण से बचाव
,,कर्फ्यूग्रस्त क्षेत्र की सीमाओं में संशोधन ,,चिकित्सा टीमों ,प्रशासनिक
अधीनस्थों ,पुलिस रिपोर्टों के अध्ययन के बाद व्यवहारिक फैसले ले सकते है
,क्योंकि उन्होने आते ही बदलाव भी किये है ,,कुछ संशोधन से लोगों को राहत
भी मिली ,है ,और अब प्रवासी लोगों को बाहर भेजने के लिए पास व्यवस्था का
अगर सरलीकरण हो जाए ,अधिकारीयों को , समस्याओं से जुड़े फोन ,,ई मेल
शिकायतों , कंट्रोल रूम में शिकायतें शिकायतकर्ता का नाम ,नंबर ,शिकायत
लिखकर उसके समाधान की शुरुआत हो जाए तो फिर कोटा ,,व्यवस्थित हो सकेगा
,,क्योंकि केबिनेट मंत्री शान्तिधारीवाल खुद उनकी टीम हर पल , हर क्षण तो
व्यवस्थाओं की मॉनिटरिंग और बार बार अधिकारीयों से समन्वय बनाकर जनता की
शिकायते उन तक पहुंचाने का माध्यम तो रह नहीं ,सकते खुद भी खुद की सूचनाओं
के आधार पर , मशीनीकृत फैसलों के अलावा ,व्यवहारिक फैसले लेना होंगे ,,,अब
तक कोटा महफूज़ है ,अब शराब बिक्री ,, लोकडाउन में थोड़ा बदलाव प्रशासन की
ज़िम्मेदारी और बढ़ा रहा है ,वैसे ,,सेंटर गाइड के तहत ,,कोटा में दो नगर
निगम ,कोटा दक्षिण , कोटा उत्तर हो जाने से ,,संक्रमण आंकड़ों के हिसाब से
,विभाजन करते हुए , हाईरिस्क ज़ोन ,रेड ज़ोन ,ऑरेंज ज़ोन ,ग्रीन ज़ोन के मामले
में भी पुनर्निर्धारण प्रशानिक दृष्टि से सम्भव है ,,,, अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान

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