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08 मई 2020

कोरोना संक्रमण में अफवाहों को रोकने ,और गैर ज़रूरी कथित पत्रकारिता को नियंत्रित करने के लिए ,कोटा सहित ,देश भर के विभिन्न हिस्सों में प्रतिबंध की कार्यवाही ,,क़ानूनी दृष्टि से व्यवहारिक ,नियंत्रण करने वाली हो सकती है

कोरोना संक्रमण में अफवाहों को रोकने ,और गैर ज़रूरी कथित पत्रकारिता को नियंत्रित करने के लिए ,कोटा सहित ,देश भर के विभिन्न हिस्सों में प्रतिबंध की कार्यवाही ,,क़ानूनी दृष्टि से व्यवहारिक ,नियंत्रण करने वाली हो सकती है ,लेकिन इसका एक दूसरा पहलु ,जो समाज को अपने प्रयासों से सकारात्मक सूचनाएं ,,सुझाव ,साक्षरता कार्यक्रम ,पर्यटन ,विधि दृष्टि से कार्यक्रम दे रहे है ,ऐसे लोगों के नियंत्रण को विधिवत तरीके से उनका पंजीयन कर ,,आम लोगों तक उन्हें पहुंचाने के लिए विधि नियम व्यवस्थाएं देना ही चाहिए ,,,, कुछेक लोग है जो इस व्ययवस्था का दुरूपयोग कर रहे है , लेकिन अधिकतम लोग ,वेब पेज , यूं ट्यूब पत्रकारिता चैनल का निर्वहन अघोषित रूप से ईमानदारी से निर्वहन भी कर रहे है ,,संविधान में वाक अभिव्यक्ति की स्वंत्रता की पालना में यह लोग ,तत्काल अपने ,रीडर सब्स्क्रायबर तक सूचनाएं पहुंचा रहे है ,,, सवाल उठता है ,,,प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम तो अख़बारों को नियंत्रित कर रहा है ,नियमित रूप से हर साल 28 फरवरी के पहले हर अख़बार के लिए ,घोषणापत्र का विवरण ,जिसमे प्रकाशक ,सम्पादक ,मुद्रक ,वगेरा की सम्पूर्ण जानकारी भी प्रकाशन अनिवार्य ,है , यूँ तो न्यूज़ चेनल्स ,,यू ,ट्यूव बेब पेज के लिए ,,प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम 1867 में डिजिटल ,चैनल युग की शुरआत के साथ ,,न्यूज़ चेनल्स ,,या किसी भी प्रकाशन ,प्रसारण के लिए जिला कलेक्टर के माध्यम से ही , विधि नियम संशोधित कर , इनके प्रसारण ,,इनके नियंत्रण ,इनके खिलाफ नियमावली उलंग्घन को लेकर ,अधिकार दिए जाना चाहिए थे ,लेकिन चौथा स्तम्भ जो पुरे देश को रोज़ पढ़ाता है ,सूचनाएं देता है ,,मार्गदर्शन देता ,है उसके नियंत्रण ,व्यवस्थित विधि नियमों के तहत प्रसारण के लिए सरकार ने गंभीरता से नहीं सोचा ,, क्योंकि सरकारें भी अब चुनावों में ,सरकार बनाने ,सरकार गिराने ,,,किसी व्यक्ति ,किसी पार्टी के खिलाफ वातावरण बनाने ,,लोगों को सार्वजनिक हित के मुद्दों से ,भटकाकर विशिष्ठ तय शुदा मुद्दों का पाठकों ,,दर्शकों ,सुनने वालों को एडिक्ट बनाने के लिए ,एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करने लगी ,,है कहने को तो केबल नेटवर्क टेलीविज़न अधिनियम 1995 बनाया गया है ,इसमें संशोधन लगातार हुए ,अब 2020 का संशोधन अधिनियम का प्रारूप तैयार है ,अजीब व्यवस्थाएं है ,केबल नेटवर्क से संबंधित लोग कलेक्टर के माध्यम से ,सुचना प्रसारण मंत्रालय के विधिनियमों के तहत स्वीकृति प्राप्त कर केबल का संचालन कर सकते है ,, ओपन स्काई चैनल ,,ऐसा विशिष्ठ व्यवस्था के तहत , निर्धारित टर्नओवर की कंपनियों को लाइसेंस जारी कर सकती है ,,इनके खिलाफ शिकायत के लिए ट्राई की व्यवस्था की है ,जिसमे एक चेयरमेन सहित पांच पदाधिकारी है ,,लेकिन सही मायनों में यह नियंत्रण ,प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम में डिजिटल युग की शुरआत के तहत होना चाहिए ,,ताज्जुब है ,,कई पत्रकार , राज्यसभा के सदस्य रहे ,केंद्रीय सुचना प्रसारण मंत्रालय रहे ,,वर्तमान में राजयसभा ,लोकसभा में है ,, कई चैनल के ,मालिक पत्रकार ,प्रधानमंत्री के सलाहकार है ,सत्तापक्ष के वफादार है ,,सरकार में पुरस्कृत है ,,लेकिन उन्होंने इस व्वयस्था के सरलीकरण ,,आम लोगों को इसका दुरूपयोग करने के लिए इसे नियंत्रित करने के लिए न तो कोई सुझाव दिए ,, न कोई आवाज़ उठाई ,,, आज पत्रकार संगठन ,प्रेस क्लब या साहित्यकार ,समाजसेवक ,इस मामले में कभी बोलते ही नहीं ,आवाज़ ही नहीं उठाते ,,पत्रकार प्रोटेक्शन एक्ट की भी सिर्फ रस्मन ,ज्ञापन देकर मांग कर सो जाते है ,,,पत्रकारिता का युग कॉर्पोरेटयुग के नियंत्रण में आ गया है ,और कॉर्पोरेट युग पूरी तरह से सत्ता पक्ष के नियंत्रण में लगने लगा है ,,ऐसे में वेब पेज ,,यू ट्यूब चैनल ,,डिजिटल पत्रकारिता ,,वेब पोर्टल ,के अधिकारों के लिए आवाज़ कोन उठाये ,,क्यों आवाज़ उठाये ,एक बढ़ा प्रश्न ,है फिर नियंत्रित नियम अगर जारी किये है ,तो ईमानदारी से नियंत्रण क्षेत्र में इस क़ानून के उलंग्घन में गैर पंजीकृत पोर्टल ,पेज ,यू ट्यूब चाहे कोई भी चैनल ,,कोई भी प्रिन्टमीडिया चला रहा है ,,तो उनके खिलाफ ,बिना किसी पक्षपात के अभी से कार्यवाही होना चाहिए ,, आदेश निकालने के बाद , उनकी पालना निष्पक्ष्ता और सख्ती से करना भी ज़रूरी है ,, सभी जानते है ,, अपंजीकृत वेब पेज ,चैनल , यू ट्यूब ,वगेरा किन प्रभावशाली लोगों के नियंत्रण से चल रहे है ,,,ऐसे में जो लोग विधि नियमों के साथ बंधकर ,,ईमानदारी से इस डिजिटल युग में ,लोगों से जुड़ना चाहते है ,संविधान , विधी नियमों के दायरे में रहकर ,अपनी बात रखना चाहते है ,उन्हें डिजिटल प्रेस पुस्तक पंजीकरण अधिनियम में संशोधन के माध्यम से आज़ादी मिलना ही चाहिए , वर्ना क़ानून सब के लिए बराबर है , इस मामले में ,क़स्बा स्तर ,जिला स्तर ,राज्य स्तर ,,राष्ट्रिय स्तर के पत्रकार संगठनों को एक जुट होकर ,,आवाज़ उठाना ही चाहिए ,, इस व्यवस्था में सरलीकरण नियमावली के साथ ,पंजीकरण ,प्रसारण ,प्रकाशन की घोषणात्मक लाइसेसं की होना ही चाहिए ,,यह शिकंजा हर न्यूज़ चैनल ,वेब पेज ,डिजिटल पत्रकारिता युग में अब ज़रूरी हो गयी है , जिसमे विधि सम्मत नियंत्रण भी हो ,संविधान सम्मत आज़ादी भी हो ,,,टेलीकॉम टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑफ़ इंडिया 1997 क़ानून में भी संशोधन ज़रूरी है,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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