दोस्तों
5 जुलाई 2016 ,, रमज़ानों के महीने का , आज ही के , अरफ़े का दिन ,,मेरे लिए
मेरी ज़िन्दगी में घटाटोप अँधेरा कर देने वाला था ,,मेरे वालिद मरहूम
इंजिनियर हाजी असगर अली खान ,,जागीरदार कड़ोदिया ,,कोटा के एक निजी अस्पताल
से ऑपरेशन के बाद ठीक होने पर घर लाने की तैयारी में थे ,,घर में सह्तयाबी
की खुशियां थी ,,भविष्य के कई कार्यक्रम थे ,,लेकिन अचानक क़ुदरत हमसे
,,,हमारी खुशियों से खफा हो गयी ,,अस्पताल में जहाँ सुबह शाम ,,ई सी जी हो
रही हो ,,,हर आधे घण्टे में ब्लडप्रेशर नापा जा रहा हो ,,ब्लड ,,यूरिन की
नियमित जाँच हो ,सब ठीक नज़र आये ,,,और अचानक एक मरीज़ जो ठीक होकर घर जाने
को तैयार हो उसे साइलेंट अटेक के नाम पर गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करना
पढ़े ,,,दोस्तों वोह लम्हे बहुत दर्दनाक ,,बहुत खतरनाक थे ,,,मेरे भाई जो
खुद मेडिकल लाइन के है ,,उनकी वजह से इलाज की हर तरह की कोशिश हुई ,,बहतरीन
कोशिश हुई ,,लेकिन इंसान की सिर्फ कोशिश होती है ,,रिमोट तो क़ुदरत के हाथ
में ही होता है ,,,यही हुआ ,,सभी कोशिशें असफल हुई ,,और क़ुदरत के क्रूर
हाथो ने ,,हमारे वालिद को हमसे छीन लिया ,,,वोह बात अलग है के वक़्त मुक़र्रर
,,रमज़ान के पाकीज़ा महीने में था ,,,,अंतिम संस्कार से लेकर ,,विधि विधान
प्रक्रियाए ,,क़ुरान ख्वानी ,,फातिहाओ का दौर चलता रहा ,देखते ही देखते चार
जुमेरात और फिर बढ़ी फातिहा हुई ,,इस दिन हमारी वालिदा की ख्वाहिश ,,मुझे
बढ़ा बेटा होने के कारण ,,मेरे वालिद की ज़िम्मेदारियों का ऐलान मेरे ज़िम्मे
करवाना था ,,सो सभी की मोजुदगी में ,,मेरे वालिद के बाद ,,वलीअहद होने के
नाते यह ज़िम्मेदारी एक रस्म के साथ ,,,कई दुआओ के साथ ,,जिसमे यह
ज़िम्मेदारियाँ बखूबी में निभा सकूँ इसकी दुआएं शामिल थी ,,मुझे ज़िम्मेदारी
दी गई ,,में घर का बढ़ा हो गया था ,,,अधेड़ हूँ लेकिन बुज़ुर्ग हो गया था
,,मेरे पास फफक फफक कर रोने के आलावा कोई दूसरा चारा नहीं था ,,में डरा डरा
,,,सहमा सहमा सा खुदा से दुआ ही करता रहा ,,खुदा मुझे यह सभी
ज़िम्मेदारियाँ निभाने की तौफ़ीक़ अता फरमाये ,,मेरे घर के बुज़ुर्गो की दुआओं
के साथ में उन्हें हर तरह से खुश रख सकूँ ,,मुझ से बढ़ो की हर ख्वाहिश में
पूरी कर सकूँ , ,,मेरे छोटे मुझ से जो भी ख्वाहिश रखे उसे में पूरा करने
में कामयाब हो सकूँ ,,अल्लाह मुझे हिम्मत भी दे ,,ताक़त भी ,,में अपनी
ज़िम्मेदारिया उठा सकूँ ,,में सोच रहा था ,,नमाज़ के बाद दुआ कर रहा था
,,लेकिन अचानक मेरी छोटी बिटिया की आँखों में उसके दद्दू को याद करके आंसू आ
गए ,,पहले सुबकियां ,,फिर रुलाई ,फिर फूट फूट कर रोना ,,में भी अंदर से
टूट गया ,,सभी मेहमान जा रहे थे और इधर हम दोनों बाप बेटी सुबक रहे थे
,,मेने बिटिया को हिम्मत बंधाई ,,उसे कुल्लू नफ़्सूंन ज़ायक़ातुल मोत ,,हर
इंसान को मोत का मज़ा चखना है ,,का फलसफा समझाया ,,,इन्ना इलैहे राजेऊन का
मतलब बताया ,,बिटिया बिना कुछ खाये पिए रोती रोती सो गयी ,,,लेकिन में रात
भर सो न सका ,,करवटे बदलता रहा ,,सोचता रहा ,,मेरे दोस्त ,,रिश्तेदार
,,मिडिया फ्रेंड्स ,,हज़ारो हज़ार ऐसे हाथ थे ,,जिन्होंने मेरे वालिद की
सह्तयाबी ,,लंबी उम्र की दुआ की ,,मेरे बुरे वक़्त में मेरे साथ रहे ,,,मेरे
साथ मेरे दुःख में शामिल रहे ,,,में उनका शुक्रिया कैसे अदा करूँगा ,,,में
उनका क़र्ज़दार हूँ ,,लेकिन फिर भी और क़र्ज़दार होना चाहता हूँ ,,मेरी
इल्तिजा है के खुदा से हमारे परिवार के लिए सब्र की दुआएं करे ,,मेरे हक़
में दुआएं करे ,,के जो ज़िम्मेदारी मुझ अधेड़ को घर का बूढा बुज़ुर्ग बना कर
मेरी अम्मीजान ने मेरे साहब जी की ज़िम्मेदारियाँ उनके जाने के बाद मुझे
सौंपी है ,,मुझे अल्लाह ताक़त दे ,,हिम्मत दे ,,साज़गार हालात दे ,,सह्तयाबी
दे ,,,के में मेरे सभी बुज़ुर्गो ,,सभी छोटो के साथ दोस्तों ,,पड़ोसियों के
लिए भी खरा उत्तर सकूँ ,,,,,दुआओं की इल्तिजा है ,,,में पहले भी शुक्रगुज़ार
था ,,आज भी शुक्रगुज़ार हूँ और आगे भी मेरे साथियो का में शुक्रगुज़ार
रहूंगा ,,,,आज में मेरे वालिद के एशियाड ओलम्पियाड चैम्पियन शिप की
निशानेबाज़ी में जीत कर लायी गई ट्रॉफी ,,मेडल देखता हूँ ,,मेरे वालिद की
इंजीनियरिंग की परफॉर्मेंस जो कुछ लम्हे में ही ,,किसी भी मशीन हो ,उसका
मॉडल तैयार करवाना ,नयी तकनीक पर रिसर्च कर ,, नयी मशीने बनाने की
इंजीनियरिंग में माहिर थे ,,,मेरे वालिद का वोह हादसा याद करता हूँ ,जब वोह
डी सी एम गैस कांड के वक़्त सैकड़ों मज़दूरों की जान बचाने के चक्कर में खुद
भी चपेट में आ आगये थे ,,उनकी निशानेबाज़ी का प्रशिक्षण ,,उनका बढ़ों के
सामने तहज़ीबी सीख , छोटों की मदद का जज़्बा ,, लोगों के लिए हमदर्दी के
जज़्बे की सीख मुझे याद है ,,में अपनी पत्रकारिता छोड़कर उनके वकील ,बना ,
वकील बनकर जी भी रहा हूँ ,लेकिन यक़ीनन आज पुरे पांच साल होने पर भी ,वालिद
की यादें ,रूह ,,उनकी सीख ,, उनका साथ ,उनकी नज़दीकियां जीवंत सी लगती है
,,अल्लाह मेरे वैलिड की रूह को सुकून ,जन्नत में आला मुक़ाम फरमाए ,,मुझे
मेरी शरीक ऐ हयात ,मेरी बेटियों ,,मेरे बेटे ,,मेरे भाई को मेरी अम्मी का
फ़रमाबरदार बनाये रखे अल्लाह सभी को तंदरुस्ती दे ,,खुशहाली दे ,इज़्ज़त आबरू
के साथ ,हर ख्वाइश उम्रदराज़ी के साथ पूरी करे ,,, , आमीन ,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान

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