पानी को बर्फ में बदलने में वक्त लगता है ....
ढले हुए सूरज को निकलने में वक्त लगता है ....
थोड़ा धीरज रख, थोड़ा और जोर लगाता रह ....
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को खुलने में वक्त लगता है ....
कुछ देर रुकने के बाद फिर से चल पड़ना दोस्त ....
हर ठोकर के बाद संभलने में वक्त लगता है ....
बिखरेगी फिर वही चमक तेरे वजूद से तू महसूस करना ....
टूटे हुए मन को संवरने में थोड़ा वक्त लगता है ....
जो तूने कहा कर दिखायेगा रख यकीन ....
गरजे जब बादल तो बरसने में वक्त लगता है ....
खुशी आ रही है और आएगी ही, इन्तजार कर ....
जिद्दी दुख-दर्द को टलने में थोड़ा वक्त लगता है
ढले हुए सूरज को निकलने में वक्त लगता है ....
थोड़ा धीरज रख, थोड़ा और जोर लगाता रह ....
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को खुलने में वक्त लगता है ....
कुछ देर रुकने के बाद फिर से चल पड़ना दोस्त ....
हर ठोकर के बाद संभलने में वक्त लगता है ....
बिखरेगी फिर वही चमक तेरे वजूद से तू महसूस करना ....
टूटे हुए मन को संवरने में थोड़ा वक्त लगता है ....
जो तूने कहा कर दिखायेगा रख यकीन ....
गरजे जब बादल तो बरसने में वक्त लगता है ....
खुशी आ रही है और आएगी ही, इन्तजार कर ....
जिद्दी दुख-दर्द को टलने में थोड़ा वक्त लगता है
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)