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09 अप्रैल 2020

"आप कौन है और जिंदगी से क्या चाहते है"


देश मे चल रहे हालातो को दृष्टि के केंद्र में रख सोचा जाये तो( home confinement (होम कांफीनमेन्ट) पर विचार करने का ऐसा "दुर्भाग्यपूर्ण स्वर्णिम" अवसर प्रकर्ति और परिस्थितियो ने हमे प्रदान किया है। होम कांफीनमेन्ट के दौरान किसी भी तरह के टाइमटेबल का पालन करना मुश्किल होता है।ऐसा इसलिये की इस समय हमारे पास करने को कुछ भी खास नही है। घड़ी थम सी गई है।सब कुछ खाली खाली। पर इस खालीपन के दौर में भी मेरा मानना है की यह समय खुद को तमाम तरह के उलझनों से मुक्त करने का है। एकदम निर्भीक होकर सोचियेगा, क्या आप उन चीज़ों पर अपना ध्यान केंद्रित नही कर सकते हैं, जो वाक़ई में आपके लिए मायने रखती है।कई ऐसे काम जो व्यस्तता के दौर में आप करना तो चाहते थे मगर समय की कमी की वजह से उन्हें सिर्फ सोच तक सीमित रखते थे,उन्हें पूरा करिये।घर मे बुजुर्ग है तो उनके पास बैठिये,वो शायद बरसो से आपके पास समय होने का इंतज़ार कर रहे थे।अपने बच्चो के साथ खेलिये, अपने बचपन की यादों को उनसे सांझा कीजिये। हो सकता है सामाजिक व्यस्तताओ के चलते जिन रिश्तों में दरारें आ गई हो उन्हें भरे।
आकस्मिक मिली इन उपहार स्वरूप छुट्टियों का सदुपयोग कीजिये।
आपको अच्छा लगेगा
धन्यवाद
आपकी अपनी
डॉ एकता धारीवाल

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