आपका-अख्तर खान

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08 अप्रैल 2020

आपका शहर हो , या फिर आपका राज्य हो ,आपका देश हो ,विश्व हो ,सभी कोरोना के खिलाफ जंग में जूझ रहे है ,

आपका शहर हो , या फिर आपका राज्य हो ,आपका देश हो ,विश्व हो ,सभी कोरोना के खिलाफ जंग में जूझ रहे है ,,,ऐसे में यह मत समझो ,आप और हम ,हमारा परिवार महफूज़ है ,कोरोना का कोई धर्म नहीं है ,यह अमीर गरीब को देखकर ज़रा भी पक्षपात नहीं करता है ,, सिर्फ जान लेता है ,परिवार उजाड़ देता है ,,बस्तियां उजाड़ देता है ,,, सरकारें ,अधिकारी , चिकित्सक ,पुलिस ,सभी तो अपनी अपनी कोशिशों में जुटी है ,, ऐसे में हम कोरोना के खिलाफ जंग में हमारा क्या योगदान दे रहे है ,,,मीडिया कर्मी अपनी ड्यूटी कर रहे है ,,टी आर पी ,,वितरण व्यवस्था की तरफ उनका ध्यान है ,आप और हम घर पर रहकर प्रशासन का सहयोग तो पूरी तरह से नहीं कर रहे ,उलटे गैरज़िम्मेदाराना तरीके से सोशल मीडिया की आज़ादी का दुरूपयोग कर रहे है ,,,,,,,,,,,,,,सोशल मीडिया आज कोरोना के खिलाफ जंग का एक बढ़ा हथियार है ,,एक दूसरे को प्यार का ,, मदद का संदेश देने का एक बढ़ा ज़रिया है , लेकिन हम क्या कर रहे है ,,सिर्फ सोशल मिडिया पर नफरत फैला रहे है ,, आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगा रहे है ,,केंद्र सरकार हो ,राज्य की सरकारें हो ,,जिला पुलिस हो ,थानाधिकारी हो ,सभी को इस सोशल मिडिया की नफरतबाज़ी हरकतों के खिलाफ एलर्ट किया गया है ,,,फिर भी हम और आप ,,अपनी ज़िम्मदारी नहीं निभा रहे है ,, रोज़ दो चार लोग नफरत फैलाने के मामले में गिरफ्तार हो रहे है ,हम फिर भी खुद में सुधार नहीं ला रहे है ,,,फेसबुक ,ट्विटर एकाउंट की तो छोड़िये ,,वॉट्सएप्प ग्रुप के कई ऐडमिन ,कई क्यों ,अधिकतम एडमिन अपने ही द्वारा बनाये गये ग्रुप के सदस्यों के प्रति इतने अविश्वासी हो गए है ,,इतने घबरा गए है के उन्होंने ऐडमिन मेसेज सेंटिंग बदल ली है ,खुद एडमिन ही मेसेज डाल सकेगा ऐसी सेटिंग की हुई है ,, आज जब देश का हर अधिकारी ,मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री ,या कोई भी चिकित्स्क ,चिकित्साकर्मी ,,पुलिस जवान ,पुलिस अधिकारी ,समाजसेवक ,भामाशाह ,जो भी हो वोह इस जंग में ईमानदारी से लगे है ,तो क्या सोशल मीडिया एक्टिविस्टों की इस माहौल में कोरोना के खिलाफ जंग में अपना योगदान ,अपनी ज़िम्मेदारी नहीं बताना चाहिए ,आज देश में निराशा का माहौल है ,फ़र्ज़ी अफवाहों का माहौल है ,,नफरत फैलाने की साज़िशे है ,गलत खबरे ,भ्रामक सूचनाएं लगातार चल रही है , अख़बार की रिपोर्टिंग ,,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की रिपोर्टिंग पर आम जनता को भरोसा नहीं है ,,नकारात्मक खबरों और बेवजह की लाइव बकवास बहसबाज़ी से जनता तंग आ चुकी है ,तो क्या ऐसे माहौल में सोशल मीडिया को अपनी ज़िम्मेदारी से भागना चाहिए ,वोह कंट्रोल करे ,अनुशासित करे ,अपने साथियों को प्रमोट करे ,समझाइश करे ,, कोरोना योद्धा के रूप में खुद को स्थापित करे ,, अपनी खबरों में ,लेखनी में ,विडिओ में सकरात्मक माहौल बनाया ,,घर बैठे लोगों के लिए मनोरजंक सामग्री दे ,अफवाहों का खण्डन ,प्यार भरी ज़ुबान में करे ,,यह अल्फ़ाज़ कविता भी बनते है ,खूबसूरत ग़ज़ल भी बनते है ,रणभूमि में जीत का बिगुल ,अपनी फौज के लिए साहस का ऐलान भी होते है ,तो नफरत इन अल्फ़ाज़ों में अगर हो ,हिंसा अगर इन अल्फ़ाज़ों में हो तो देश के देश ,सभ्यताओं तक तबाह हो जाती है ,हम भारत की उस संस्कृति के है ,जहाँ उकसाने में भड़काने में नहीं आते सिर्फ मदद करते है ,उदाहरण देख लो ,,अभी हमने हमारे देश में डोनाल्ड ट्रम्प की ऐतिहासिक मेज़बानी की ,,उसने हमारे देश से दवा की डिमांड की ,हमारी मजबूरी थी जो हम पहले हमारे देश को देखते ,,उत्पादन व्यवस्था देखते ,इसलिए हमारे देश ने निर्यात पाबंदी लगा दी ,,लेकिन यह जनाब हमारी मजबूरी ,हमारी भविष्य की कार्ययोजना जाने बगैर ही ,हमे देखलेने की धमकी देते है ,,भारत ने अपना मदद का जज़्बा फिर भी नहीं छोड़ा ,,हम जानते है ,हम ऐसे लोगों से उम्मीद भी क्या कर सकते है ,लेकिन विश्व में भी लोगों की जान बचाना भारत की प्रार्थमिकता है क्योंकि ,,हमारा हिंदुस्तान सारे जहां से अच्छा है ,,वैसे भी हम ज़रूरतमन्दों को अपनी प्रार्थमिकताये तय कर , दवा देने के प्रति सकारात्मक थे ,,,फिर भी हमने निर्यात में शिथिलता दी है ,तो दोस्तों अल्फ़ाज़ों की अपनी अहमियत है ,इनमे नफरत नहीं मिठास पैदा करो ,इनमे झूंठ फरेब नहीं ,विश्वास पैदा करो ,सच पैदा करो ,इन अल्फ़ाज़ों से अपने दुश्मन मत बनाओ ,अपनों के लिए दोस्ती का जज़्बा पैदा करो ,,,क्यों आपके अल्फ़ाज़ों पर पुलिस की निगरानी हो ,क्यों प्रशासन की चेतावनी हो ,प्रशासन के लिए ,पुलिस के लिए सर दर्द मत बनो ,,उनके हमदर्द बनो ,,अपने अल्फ़ाज़ों ,अपनी सूचनाओं में इतना विशवास पैदा करो के लोग आपकी पोस्टों का आपके अल्फ़ाज़ों का इन्तिज़ार करे ,,अपने साथियों में भरोसा क़ायम करो ,जो लोग इस संकट की घडी में ज़िम्मेदारी दिखाए ,,साथियों को भी अपनी ज़िम्मेदारी ,,क़ानूनी मर्यादाओं में रहकर निर्वहन करने की शपथ लेना ज़रूरी है ,,क्योंकि यह अल्फ़ाज़ ,आपका उत्साहवर्धन ,आपकी सच्चाई ,,तहज़ीब की जुबांन है ,इनमे , जनता की ज़रूरत भरी सूचनाये ,,हंसी ठहाकों का माहौल हो ,मनोरंजक ,प्यार ,मोहब्बत भरी रचनात्मक सूचनाएं हो ,,तभी तो यह सोशल मीडिया दूसरे मीडिया से जुदा ,अलग बेहतर खुद को साबित कर सकेगा , आज इस मीडिया के सकारात्मक रुख से ,प्रशासन अपनी मदद लोगों तक पहुंचा रहा है ,प्रशानिक एलर्ट सूचनाएं आदान प्रदान हो रही ,है,, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से अदालते चल रही है ,,मुख्यमंत्री राज्यों को नियंत्रित कर रहे है , प्रधानमंत्री राज्यों से फीडबैक ले रहे है ,कई छात्र छात्राये लगातार पढ़ायी कर रहे है ,तो फिर हम और आप इस सोशल मीडिया को संदेह के घेरे से अलग कर ,विशवास के सिस्टम में क्यों नहीं ला सकते ,,,,तो आइये हम और आप इस संकट की घडी में ,,जब आम लोग नकारात्मक विचारधाराओं की तरफ लगते है ,,,उनमे सकारात्मकता का संचार करे ,,कोरोना के खिलाफ जंग में एक योद्धा बने ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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