खुद के सजने सँवरने पर
वो रोज़
सेकडों खर्च करती थीं,
बदले वक़्त के
मिजाज़ में वो नेत्री
आज जिस हाल में दिखीं
क्या बताऊँ
खुद ही समझ जाओ , अख्तर
वो रोज़
सेकडों खर्च करती थीं,
बदले वक़्त के
मिजाज़ में वो नेत्री
आज जिस हाल में दिखीं
क्या बताऊँ
खुद ही समझ जाओ , अख्तर
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