ज़ुल्म के सारे हुनर हम पर ही 
यूँ आजमाये गये..
ज़ुल्म भी सहा हमने और
जालिम भी कहलाये गये.. इस कबूलनामे में ज़रा भी शर्म महसूस नही हो रही है ,,सच यही है ,अल्फ़ाज़ गूंगे हो गए है , हर तरफ सभी कोशिशों के बावजूद भी ,बेबसी है ,लाचारी है ,लेकिन सुखद ,अच्छी खबर यह भी है , के हम हर पल हर क्षण ,,कोरोना वाइरस महामारी के खिलाफ जंग में कामयाबी की तरफ है ,इंशाअल्लाह हमारा हौसला ,हमारी एक जुटता ,एक दूसरे का परस्पर सहयोग ,सद्भाव ,,कोशिशें ,,सब्र और शुक्र सब मिलकर, इंशा अललाह इस शहर ,इस मुल्क को इस बवा महामारी से महफूज़ कर लेंगे ,अल्लाह हमारी मदद करे ,,,कोशिशें और दुआए क़ुबूल करे ,,कोटा के हॉटस्पॉट कहे जाने वाले इलाक़े में अलग अलग बगावत की आवाज़े है ,खाने के पैकेट की ज़रूरतें पूरी करने तक तो मदद मामले में अल्लाह का शुक्र है , लेकिन ,ऐ टी एम में पैसे नहीं ,दूध की किल्ल्त , हरी सब्ज़ियों की किल्लत ,,किराने की सामग्री की किल्लत ,,दवाये ,रोज़ मर्रा की ज़रूरतों ,बीमारों की फर्स्ट ऐड की किल्ल्त की शिकायते आम है ,बग़ावते लगातार है ,शिकवे शिकायत लगातार है ,,कोटा जिला प्रशासन लगातार ,जितनी सूचनाएं , जितना सामर्थ्य उनके पास है ,हॉट स्पॉट में संकर्मण नहीं फैले ,इस सावधानी के साथ ,हर सम्भव मदद के प्रयास कर रहा है ,,वॉलेंटियर्स अलग अलग अपनी सेवाएं दे रहे है ,,किराना किट वितरित हो रहे है , हरी सब्ज़ियां अब जाने लगी ,है ,, किराने और फल फ्रूट के लिए भी कुछ नयी व्यस्थाएं है ,,लोगों का झुण्ड बनाकर ,गुस्से में सड़को पर आना ,,निश्चित तोर पर उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं हों पाने का गुस्सा है ,वोह वाजिब है ,सही भी है ,उनकी तकलीफे किसी भी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है ,लेकिन अल्लाह का अज़ाब ऐसा है ,यह कोरोना दुश्मन ऐसा है ,,जो बस छुप कर , पीठ पर ,अचानक वार करता है ,तबाही मचाता है ,हम चार लोगों को गँवा चुके है ,सैकड़ों लोग अभी ज़ेर ऐ इलाज है ,अभी इस बिमारी से ,इस वहशी कोरोना से लड़ना हमारी प्राथमिकता है ,ऐसे में किसी ही चारदीवारी हम खडी कर ले फिर भी इस कोरोना हमले का कोई भरोसा नहीं ,,,प्रशासन ,जिला कलेक्टर के पास रोज़ सैकड़ों शिकायतों के फोन है ,कोटा शहर क़ाज़ी के पास हज़ारों शिकायते है ,हमारे पास ,हमारे जैसे न जाने कितने फ़ील्डवर्करों के पास , सैकड़ों शिकायते आती है ,कुछ पूरी हो पाती है ,बहुत सी कर्फ्यूग्रस्त इलाक़े की एडवाइज़री की वजह से पूरी करना नामुमकिन हो जाती है ,यक़ीन मानिये मुझे ,मेरे जैसे कई लोगों को और इस काम में लगे , सैकड़ों लोगों को रोज़ हज़ारों हज़ार लोगों की उलाहनाये ,,गालियां ,मिल रही है ,,रोज़ हम सब इनके गुस्से के शिकार है ,,लेकिन क्या करे अधिकतम लोगों की शिकायते वाजिब ,ज़रूरी है ,शिकायत प्रशासन तक ,उच्स्तरीय लोगों तक रोज़ पहुंच रही ,है , ज़रूरी सप्लाई में रोज़ सुरक्षात्मक प्रावधानों के साथ मोडिफिकेशन हो रहा है ,,,कैथूनीपोल ,मक़बरा दो थानों का पूरा स्टाफ क्वारंटाइन है ,,अभी पता नहीं किस किस जगह इस कोरोना का हमला है ,,कुछ लोग चिड़ियों के लिए दाने के लिए तड़पते है , तो कुछ लोग ,,अपने जानवरों को रोज़ नया हरा चारा खिलाने के लिए शिकायते करते है ,,कुछ लोग अपने भूख से बिलखते बच्चो के दूध मांगते है ,तो कुछ कहते है ,हम खरीद लेंगे सामान तो भिजवाओ ,यक़ीन मानिये रोज़ न जाने कितने लोगों के आप और हम गुस्से का शिकार ,,है कई तो साफ कहते है ,तुम और तुम्हारे धर्म गुरु सिर्फ रैलियां निकालने के सिवा कुछ नहीं कर सकते ,,सभी की अपनी ज़रूरत ,अपना गुस्सा ,अपनी सोच है ,वोह सही नाराज़ हो रहे है ,यक़ीनन अभी हमारी कोशिशे इस कोरोना एडवाइज़री ,कर्फ्यू के सुरक्षा कवच के आगे बेबस है , लाचार ,है आवाज़ उठती है ,तो प्रशासन तक ,उच्चस्तर तक जाती है ,,कुछ बदलाव तो होता है ,लेकिन जो ज़रूरतें पूरी होना चाहिए उसमे भी बहुत ,बहुत कमी रह जाती है , कुछ का सुझाव आता है ,,के जिस क्षेत्र की गलियों में हॉट स्पॉट है उस क्षेत्र में ज़ीरो मोबिलिटी रख दो ,बाक़ी साफ़ सुथरे सुरक्षित क्षेत्रों में ,ज़ीरो मोबिलिटी से मामूली सी छूट देकर आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति तक होने दो ,,सबकी अपनी अपनी राय है ,,यह वक़्त बहुत बुरा है ,सब्र और शुक्र का महीना तो है , लेकिन इस माहौल में इस अव्यवस्थित आपूर्ति सिस्टम में इन लोगों का सब्र भी टूटता जा रहा है ,, लेकिन इस क्षेत्र के ज़िम्मेदार लोग भी रोज़ अपनी तरफ से ,इस क्षेत्र की ज़रूरतों अवव्यस्थाओं को लेकर ,, ई मेल ,मुख्यमंत्री ,संबंधित अधिकारी ,कलेक्टर ,वगेरा को सही सूचना और सकारात्मक सुझावों के आधार पर करता रहे ,हो सकता ,है , इस क्षेत्र के लोगों की भौतिक शिकायतें ,रचनात्मक सुझावों से लोगों को कुछ राहत मिले ,,,यक़ीनन हम इन लोगों को सुविधाएं दिलवाने में नाकामयाब है ,,हमारी कोशिशें आंशिक रूप से पूरी हो रही है ,बाक़ी कोशिशें ,,नाकामयाब है ,बेबस है ,, लाचार है ,लेकिन यह वक़्त गुज़र जाएगा इंशा अललाह जल्दी से फिर नई सुबह , नयी खुशियों के साथ ,कोरोना के खिलाफ जंग में ,,लोगों की सेहत ,,लोगों की ज़िंदगी की हिफाज़त के साथ हम कामयाब होंगे ,,आपके हर गुस्से भरे अलफ़ाज़ ,इस बेबसी की हालत में हमे मंज़ूर है ,,आप भी शिकायते जारी रखिये ,,कोशिशें करते रहिये ,,ज़रूरतों की शिकायतें करते रहिए ,नाकामयाबी को कामयाबी में बदलने के सुझाव खुद को ,,कोरोना के हमले ,कर्फ्यू ग्रस्त सुरक्षात्मक व्यवस्था ,,को ध्यान में रखते हुए ,रचनात्मक सुझाव भी देते रहिये ,क्योंकि आप लोगों की कोशिशों से ही ,, कई ज़रूरतमंदों की जितनी भी मदद हो रही है ,हो रहे है ,असली कोरोना योद्धा ,आप कर्फ्यूग्रस्त बंदिशों में फंसे लोग हो ,जो इस कोरोना को अपने क्षेत्र में क़ैद करके ,, अपनी भूख ,ज़रूरतों ,की क़ुर्बानियां देकर इस कोरोना का टेटुआ ,,वही दबाकर इस कोरोना को खत्म करने में लगे हो ,,,,हक-ए-तंकीद तुम्हे है मगर,, इस शर्त के साथ,,
जायज़ा लेते रहो अपने भी गिरेबानों का ,, ,,, अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यूँ आजमाये गये..
ज़ुल्म भी सहा हमने और
जालिम भी कहलाये गये.. इस कबूलनामे में ज़रा भी शर्म महसूस नही हो रही है ,,सच यही है ,अल्फ़ाज़ गूंगे हो गए है , हर तरफ सभी कोशिशों के बावजूद भी ,बेबसी है ,लाचारी है ,लेकिन सुखद ,अच्छी खबर यह भी है , के हम हर पल हर क्षण ,,कोरोना वाइरस महामारी के खिलाफ जंग में कामयाबी की तरफ है ,इंशाअल्लाह हमारा हौसला ,हमारी एक जुटता ,एक दूसरे का परस्पर सहयोग ,सद्भाव ,,कोशिशें ,,सब्र और शुक्र सब मिलकर, इंशा अललाह इस शहर ,इस मुल्क को इस बवा महामारी से महफूज़ कर लेंगे ,अल्लाह हमारी मदद करे ,,,कोशिशें और दुआए क़ुबूल करे ,,कोटा के हॉटस्पॉट कहे जाने वाले इलाक़े में अलग अलग बगावत की आवाज़े है ,खाने के पैकेट की ज़रूरतें पूरी करने तक तो मदद मामले में अल्लाह का शुक्र है , लेकिन ,ऐ टी एम में पैसे नहीं ,दूध की किल्ल्त , हरी सब्ज़ियों की किल्लत ,,किराने की सामग्री की किल्लत ,,दवाये ,रोज़ मर्रा की ज़रूरतों ,बीमारों की फर्स्ट ऐड की किल्ल्त की शिकायते आम है ,बग़ावते लगातार है ,शिकवे शिकायत लगातार है ,,कोटा जिला प्रशासन लगातार ,जितनी सूचनाएं , जितना सामर्थ्य उनके पास है ,हॉट स्पॉट में संकर्मण नहीं फैले ,इस सावधानी के साथ ,हर सम्भव मदद के प्रयास कर रहा है ,,वॉलेंटियर्स अलग अलग अपनी सेवाएं दे रहे है ,,किराना किट वितरित हो रहे है , हरी सब्ज़ियां अब जाने लगी ,है ,, किराने और फल फ्रूट के लिए भी कुछ नयी व्यस्थाएं है ,,लोगों का झुण्ड बनाकर ,गुस्से में सड़को पर आना ,,निश्चित तोर पर उनकी ज़रूरतें पूरी नहीं हों पाने का गुस्सा है ,वोह वाजिब है ,सही भी है ,उनकी तकलीफे किसी भी सूरत में बर्दाश्त योग्य नहीं है ,लेकिन अल्लाह का अज़ाब ऐसा है ,यह कोरोना दुश्मन ऐसा है ,,जो बस छुप कर , पीठ पर ,अचानक वार करता है ,तबाही मचाता है ,हम चार लोगों को गँवा चुके है ,सैकड़ों लोग अभी ज़ेर ऐ इलाज है ,अभी इस बिमारी से ,इस वहशी कोरोना से लड़ना हमारी प्राथमिकता है ,ऐसे में किसी ही चारदीवारी हम खडी कर ले फिर भी इस कोरोना हमले का कोई भरोसा नहीं ,,,प्रशासन ,जिला कलेक्टर के पास रोज़ सैकड़ों शिकायतों के फोन है ,कोटा शहर क़ाज़ी के पास हज़ारों शिकायते है ,हमारे पास ,हमारे जैसे न जाने कितने फ़ील्डवर्करों के पास , सैकड़ों शिकायते आती है ,कुछ पूरी हो पाती है ,बहुत सी कर्फ्यूग्रस्त इलाक़े की एडवाइज़री की वजह से पूरी करना नामुमकिन हो जाती है ,यक़ीन मानिये मुझे ,मेरे जैसे कई लोगों को और इस काम में लगे , सैकड़ों लोगों को रोज़ हज़ारों हज़ार लोगों की उलाहनाये ,,गालियां ,मिल रही है ,,रोज़ हम सब इनके गुस्से के शिकार है ,,लेकिन क्या करे अधिकतम लोगों की शिकायते वाजिब ,ज़रूरी है ,शिकायत प्रशासन तक ,उच्स्तरीय लोगों तक रोज़ पहुंच रही ,है , ज़रूरी सप्लाई में रोज़ सुरक्षात्मक प्रावधानों के साथ मोडिफिकेशन हो रहा है ,,,कैथूनीपोल ,मक़बरा दो थानों का पूरा स्टाफ क्वारंटाइन है ,,अभी पता नहीं किस किस जगह इस कोरोना का हमला है ,,कुछ लोग चिड़ियों के लिए दाने के लिए तड़पते है , तो कुछ लोग ,,अपने जानवरों को रोज़ नया हरा चारा खिलाने के लिए शिकायते करते है ,,कुछ लोग अपने भूख से बिलखते बच्चो के दूध मांगते है ,तो कुछ कहते है ,हम खरीद लेंगे सामान तो भिजवाओ ,यक़ीन मानिये रोज़ न जाने कितने लोगों के आप और हम गुस्से का शिकार ,,है कई तो साफ कहते है ,तुम और तुम्हारे धर्म गुरु सिर्फ रैलियां निकालने के सिवा कुछ नहीं कर सकते ,,सभी की अपनी ज़रूरत ,अपना गुस्सा ,अपनी सोच है ,वोह सही नाराज़ हो रहे है ,यक़ीनन अभी हमारी कोशिशे इस कोरोना एडवाइज़री ,कर्फ्यू के सुरक्षा कवच के आगे बेबस है , लाचार ,है आवाज़ उठती है ,तो प्रशासन तक ,उच्चस्तर तक जाती है ,,कुछ बदलाव तो होता है ,लेकिन जो ज़रूरतें पूरी होना चाहिए उसमे भी बहुत ,बहुत कमी रह जाती है , कुछ का सुझाव आता है ,,के जिस क्षेत्र की गलियों में हॉट स्पॉट है उस क्षेत्र में ज़ीरो मोबिलिटी रख दो ,बाक़ी साफ़ सुथरे सुरक्षित क्षेत्रों में ,ज़ीरो मोबिलिटी से मामूली सी छूट देकर आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति तक होने दो ,,सबकी अपनी अपनी राय है ,,यह वक़्त बहुत बुरा है ,सब्र और शुक्र का महीना तो है , लेकिन इस माहौल में इस अव्यवस्थित आपूर्ति सिस्टम में इन लोगों का सब्र भी टूटता जा रहा है ,, लेकिन इस क्षेत्र के ज़िम्मेदार लोग भी रोज़ अपनी तरफ से ,इस क्षेत्र की ज़रूरतों अवव्यस्थाओं को लेकर ,, ई मेल ,मुख्यमंत्री ,संबंधित अधिकारी ,कलेक्टर ,वगेरा को सही सूचना और सकारात्मक सुझावों के आधार पर करता रहे ,हो सकता ,है , इस क्षेत्र के लोगों की भौतिक शिकायतें ,रचनात्मक सुझावों से लोगों को कुछ राहत मिले ,,,यक़ीनन हम इन लोगों को सुविधाएं दिलवाने में नाकामयाब है ,,हमारी कोशिशें आंशिक रूप से पूरी हो रही है ,बाक़ी कोशिशें ,,नाकामयाब है ,बेबस है ,, लाचार है ,लेकिन यह वक़्त गुज़र जाएगा इंशा अललाह जल्दी से फिर नई सुबह , नयी खुशियों के साथ ,कोरोना के खिलाफ जंग में ,,लोगों की सेहत ,,लोगों की ज़िंदगी की हिफाज़त के साथ हम कामयाब होंगे ,,आपके हर गुस्से भरे अलफ़ाज़ ,इस बेबसी की हालत में हमे मंज़ूर है ,,आप भी शिकायते जारी रखिये ,,कोशिशें करते रहिये ,,ज़रूरतों की शिकायतें करते रहिए ,नाकामयाबी को कामयाबी में बदलने के सुझाव खुद को ,,कोरोना के हमले ,कर्फ्यू ग्रस्त सुरक्षात्मक व्यवस्था ,,को ध्यान में रखते हुए ,रचनात्मक सुझाव भी देते रहिये ,क्योंकि आप लोगों की कोशिशों से ही ,, कई ज़रूरतमंदों की जितनी भी मदद हो रही है ,हो रहे है ,असली कोरोना योद्धा ,आप कर्फ्यूग्रस्त बंदिशों में फंसे लोग हो ,जो इस कोरोना को अपने क्षेत्र में क़ैद करके ,, अपनी भूख ,ज़रूरतों ,की क़ुर्बानियां देकर इस कोरोना का टेटुआ ,,वही दबाकर इस कोरोना को खत्म करने में लगे हो ,,,,हक-ए-तंकीद तुम्हे है मगर,, इस शर्त के साथ,,
जायज़ा लेते रहो अपने भी गिरेबानों का ,, ,,, अख़्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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