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22 अप्रैल 2020

एक बाज़ , वोह भी जांबाज़ , एक खिलजी सलीमुर्रहमान खिलजी

एक बाज़ , वोह भी जांबाज़ , एक खिलजी सलीमुर्रहमान खिलजी , क़लमकार , पत्रकार , सम्पादक , प्रकाशक , मुद्रक , प्रबन्धक , विज्ञापन एडवाइजर सभी कुछ एक शख्सियत में , बहुआयामी प्रतिभा भाई सलीमुर्रहमान खिलजी , पत्रकारिता की कुछ चमत्कारिक बात है , कहते है ,
कुछ बात है की हस्ती मिटती नहीं हमारी ,,वर्ना बरसों से दुश्मन, दौरे जहां रहा है हमारा ,,,,,,हम लोगों के क़दमों में फूल बिछाते है वही लोग हमारे पैरों में कांटे चुभाते है ,,कुछ ऐसी ही कमोबेश ज़िंदगी की मुश्किलों को ,,जी कर ,,अासान कर,, मुस्कुराने वाले पत्रकार,, भाई सलीमुर्रहमान ख़िलजी ,,खुद को एक सफल पत्रकार की कसौटी पर साबित करते है ,,जी हाँ दोस्तों भाई सलीमुर्रहमान ख़िलजी मोडक क्षेत्र से रिपोर्टर रहे ,,,केवल प्रिंट मीडियिा की बादशाहत के वक़्त इनके पास पत्थर किंग रामगंजमंडी का कवरेज था ,,,जहां इन्हे पत्रकारिता का सच उजागर करने के मामले को लेकर पुलिस संघर्ष , पत्थर किंग उद्योपतियों का शिकार होना पढ़ा ,,,छुरी ,,तलवार नाम के पुलिस अधिकारीयों ने अपनी झूंठी बदले की कहानियों की भौंटी धार से ,इन्हे घायल करना चाहा, लेकिन हाड़ोती और राजस्थान का पत्रकार ,,प्रशासन इनके साथ था ,इसलिए उलटे इन ज़ालिमों को इनके सामने नतमस्तक होना पढ़ा ,,सलीमुर्रहमान ख़िलजी पत्रकारिता के फन में माहिर थे ,,लिखने की कला ,,,,ज़ुल्म के खिलाफ संघर्ष का होसला था इसलिए आप कोटा के एक प्रतिष्ठित दैनिक में क्राइम रिपोर्टर बने ,,सबको खबर दे ,,सबकी खबर ले ,,,वाली पत्रकारिता अंदाज़ में ,सलीमुर्रहमान ख़िलजी कोटा पत्रकारिता परिवार में स्थापित जब हो चुके ,,तब अचानक फिर किसी ने ,इनकी ज़िंदगी में कांटे बिछाये इन्हे ,फिर कुचल देने की नियत से पुलिस दमन का शिकार होना पढ़ा ,,लेकिन दोस्तों हिम्मत , जांबाज़ी कोई इनसे सीखे ,वक़्त अच्छा हो ,बुरा हो ,निकल जाता है ,,बस याद रहते है ,तो दुश्मन और दोस्त ,,यही हुआ भी , लोगों की दुआओं से दूध का दूध पानी का पानी हुआ और सलीमुर्रहमान ख़िलजी फिर से पत्रकारिता के नए फन ,,नए हुनर के साथ हमारे साथ ,,हमारे बीच में थे ,,पत्रकारिता में संघर्ष की मिसाल बने सलीमुर्रहमान ख़िलजी ने खुद का दैनिक अख़बार ,,सांध्य जांबाज़ पत्रीका का प्रकाशन शुरू किया ,,नियमित प्रकाशन ,,खबरों की पेनी नज़र ,,अल्फ़ाज़ों का बेहतर प्रस्तुतिकरण सलीमुर्रहमान ख़िलजी की पत्रकारिता की खासियत रही ,,,,ख़िलजी प्रेस क्लब कोटा में भी पदाधिकारी रहे ,,पत्रकारों की सियासत में अगवा रहे ,,,,,अब सलीमुर्रहमान ख़िलजी ने खुद ,अपने बल पर जांबाज़ पत्रिका को सांध्य के अलावा मॉर्निंग एडीशन के रूप में भी खुद की ऑफसेट मशीन पर प्रकाशन शुरू किया ,,,,पत्रकारिता के स्कूल में सलीमुर्रहमान ख़िलजी का एक ही नारा ,,ज़ुल्म ज़्यादती के खिलाफ संघर्ष हमारा है ,,सलीमुर्रहमान ख़िलजी अब लघु समाचार पत्रों की तरफ से पत्रकारिता का प्रतिनिधित्व कर रहे है ,,कई प्रशिक्षु पत्रकारों के उस्ताद है ,,,,पत्रकारिता में खबरों को कैसे हांसिल करे ,,कैसे लिखे ,,कैसे संपादित करे ,,अख़बार प्रकाशन का प्रबंधन केसा हो ,,विज्ञापन नीति केसी हो ,,वार्षिक ब्योरा कैसे भेजा जाए ,,अख़बार वितरण व्यवस्था बेहतर कैसे की जाए इन सभी कामों को खुद अकेले सलीमुर्रहमाना ख़िलजी , ज़िम्मेदारी और कामयाबी के साथ करते है ,,इसलिए वोह सिखाते है के मुसीबत ,,परेशानियों ,,दुश्मनों के हमलों से घबराते नहीं ,,मुक़ाबला करते है ,,होसला जीतता है और होसला अगर हो तो हौसले के पैरों तले बढ़ी से बढ़ी मुसीबतें टकरा कर चूर चूर हो जाती है ,,और यह सब संदेश अकेले सलीमुर्रहमान ख़िलजी की जीवन शैली में छुपा हुआ है ,,,,,,,वर्तमान कोरोना संकट काल मे बढ़े बढ़े अखबारों के पेग कम हो गए , प्रकाशन का नज़रिया बदल रहा है , लेकिन भाई सलीमुर्रहमान ,के , उनकी कलम , उनकी पत्रकारिता , उनके जांबाज़ अखबार के वही रंग बिरंगे , नियमित , तीखे तेवर है ,, ,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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