जब रात घनी छाने लगे,अंधेरा डराने लगे,
सीने में अपने छुपाने,तुम आओगे ना ?
जब काले घने बादल छाने लगे,
बिजलियां कड़कने लगे,जीया मेरा लरजने लगे,
बाहों में अपनी लेने, तुम आओगे ना?
सीने में अपने छुपाने,तुम आओगे ना ?
जब काले घने बादल छाने लगे,
बिजलियां कड़कने लगे,जीया मेरा लरजने लगे,
बाहों में अपनी लेने, तुम आओगे ना?
जब सुहानी शाम का आंचल फैले,
धीमी सी ख़ुशबू मदहोश कर जाए,
बैचेनियों को मेरी थामने, तुम आओगे ना?
जब तन्हाई का साया मंडरा रहा हो,
अपने भंवर में डुबो के ले जाने लगे,
मेरे हाथों को पकड़ उभारने के लिए,
तुम आओगे ना?
जब जिन्दगी का सफर पूरा होने को हो,
मौत अपने आगोश में लेने वाली हो,
आख़िरी मुंह दिखाई के लिए, तुम आओगे ना?
अन्जान
धीमी सी ख़ुशबू मदहोश कर जाए,
बैचेनियों को मेरी थामने, तुम आओगे ना?
जब तन्हाई का साया मंडरा रहा हो,
अपने भंवर में डुबो के ले जाने लगे,
मेरे हाथों को पकड़ उभारने के लिए,
तुम आओगे ना?
जब जिन्दगी का सफर पूरा होने को हो,
मौत अपने आगोश में लेने वाली हो,
आख़िरी मुंह दिखाई के लिए, तुम आओगे ना?
अन्जान
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