आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 अप्रैल 2020

जब रात घनी छाने लगे,अंधेरा डराने लगे,

जब रात घनी छाने लगे,अंधेरा डराने लगे,
सीने में अपने छुपाने,तुम आओगे ना ?
जब काले घने बादल छाने लगे,
बिजलियां कड़कने लगे,जीया मेरा लरजने लगे,
बाहों में अपनी लेने, तुम आओगे ना?

जब सुहानी शाम का आंचल फैले,
धीमी सी ख़ुशबू मदहोश कर जाए,
बैचेनियों को मेरी थामने, तुम आओगे ना?
जब तन्हाई का साया मंडरा रहा हो,
अपने भंवर में डुबो के ले जाने लगे,
मेरे हाथों को पकड़ उभारने के लिए,
तुम आओगे ना?
जब जिन्दगी का सफर पूरा होने को हो,
मौत अपने आगोश में लेने वाली हो,
आख़िरी मुंह दिखाई के लिए, तुम आओगे ना?
अन्जान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...