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23 अप्रैल 2020

एक शख्स , जो नौसिखिया है ,,पत्रकारिता का कोई कोर्स ,कोई प्रशिक्षण नहीं

एक शख्स , जो नौसिखिया है ,,पत्रकारिता का कोई कोर्स ,कोई प्रशिक्षण नहीं , एक व्यवसायिक वैचारिक सूचनाओं ,,उन्हें प्रोटेक्ट करने वाला चैनल का मालिक पार्टनर है ,उसके लिए क्या लिखे ,क्या कहें ,समझ तो आप जाओगे ही सही ,,यह जनाब एक वरिष्ठ कोंग्रेसी आदरणीय के पोते है ,असम के प्रतिपक्ष नेता के नवासे है ,,इन जनाब के पिता श्री ,भाजपा से लोकसभा का चुनाव लड़े है ,,लेकिन चुनाव हार गए ,,मामा जी ,भाजपा के विधायक है ,,असम के भाजपा अध्यक्ष भी रहे है ,,,,,,,,,,,,,,,,,,अब समझ लीजिये इन जनाब की पत्रकारिता ,इन्होने कोई पत्रकारिता का अधिकृत कोर्स ,प्रशिक्षण ,नहीं लिया है ,सीधे ही पढ़े और ,,रवीश कुमार जी की गोद में पत्रकारिता के माहौल को समझने के लिए झूलने ,लगे ,, लेकिन उन्हें यह रास नहीं आया ,,बस चल दिए ,फिर एक अदालत ने शशि थरूर की याचिका पर इन्हे लताड़ पिलाई ,तो इनके खिलाफ पेड़ वैचारिक न्यूज़ के खुले स्वीकारित इलज़ाम लगे ,,एक महिला नेत्री ने तो इन्हे काफी सबक़ भी सिखाया ,,जिस थाली में खाया उसमे छेद करने का इनके खिलाफ स्वीकृत मुक़दमा दर्ज करवाकर इलज़ाम लगा ,,, यह हवाई सफर के वक़्त ,एक कॉमेडियन के हत्थे चढ़ गए ,उस कॉमेडियन ने इनकी पत्रकारिता के नौसिखियेपन को ,,विश्व की कॉमेडी बना दिया ,,चाहे उस हवाई सेवा मालिक ने उस कॉमेडियन को प्रतिबंधित कर दिया हो ,तब सुप्रीमकोर्ट के जज भी इन जनाब के खिलाफ और कॉमेडियन के पक्ष में आये थे , पढ़े जनाब अधिकतम अंग्रेजी स्कूल में ही है ,सामजिक मनोविज्ञान यानि सामाजिक मानविकी में सिर्फ एम ऐ है ,,,लेकिन समाज का भी ज्ञान नहीं है ,,यह कई बार न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टेंडर्ड ऑथोरिटी ,चुनाव आयोग सहित अन्य सरकारी सिस्टम में बेहूदा पत्रकारिता के लिए डांट खाते रहे है ,माफ़ी मांगते रहे है ,,,,लेकिन फिर भी यह न बदले ,न इन्होने विचारधारा बदली ,न ही इन्होने पत्रकारिता की पढ़ाई करके पत्रकारिता के स्टेंडर्ड ,छः क , के सिद्धांत ,कब ,क्यों , कहाँ ,कैसे ,किसलिए ,किसने के सिद्धांत जाने ,न ही इन्हे , खबर का ज्ञान , ना ही इन्हे ,किस घटना के लिए कोन व्यक्ति ,कोन अधिकारी ,राज्य , केंद्र ,मुख्यमंत्री ,प्रधानमंत्री , व्यक्ति ज़िम्मेदार है ,इसका भी इन्हे ज्ञान नहीं ,बस टारगेट बनाकर ,जो पैकेज इन्हे दिया जाता ,है उस पैकेज पर एक मशीन की तरह ,एक सुपारी जर्नलिज़्म के पक्षधर की तरह ,,यह काम करते है ,देखा है न आपने ,खुद ने ,काश यह पत्रकारिता का कोर्स किये हुए होते ,काश यह ओरिजनल पत्रकार होते ,,तो पालघर महाराष्ट्र में साधुओं की निर्मम मोब्लिचिंग हत्या के मामले में ,,मुक़दमा कोन दर्ज करेगा , पालघर किस राज्य में आता है ,यहाँ की क़ानून व्यवस्था के लिए कोन ज़िम्मेदार है ,पालघर ,महाराष्ट्र की व्यवस्था के लिए ,महाराष्ट्र के किस गृहमंत्री ,किस मुख्यमंत्री से क्या सवाल सीधे करना चाहिए ,या उनके खिलाफ खबर चलाना चाहिए ,इन्हे ज्ञान होता ,लेकिन इन्हे ज्ञान से क्या लेना ,इन्हे तो सुपारी चाहिए , इन्हे तो पूर्व इनकी विचारधारा के चलते ,टारगेट खबर चाहिए ,,,,इससे बढ़ी बेवकूफी क्या होगी के ,,एक राज्य के किसी हिस्से में ,अपराध घटित हुआ ,और यह जनाब राज्य के कलेक्टर ,विधायक ,मिनिस्टर ,, राज्य के मुख्यमंत्री से एक भी सवाल नहीं पूंछते सिर्फ ,,छू जिसके पीछे लगाए उसी के खिलाफ भों भों ,,वाली कहावत के तहत ,,,गठबंधन के एक हिस्से की राष्ट्रिय अध्यक्ष को टारगेट बनाकर उसके महिला होने पर भी ,उसके खिलाफ अभद्र टिप्पणियां ,,गंदे अल्फ़ाज़ ,कालपनिक इलज़ाम लगाकर ,वातावरण बनाने का प्रयास करते है , ज़रा बताइये ,किसी भी शहर ,किसी भी गाँव में अगर कोई घटना होगी ,तो उसके लिए पत्रकार सबसे पहले ,किस्से सवाल करेगा ,किस कलेक्टर ,पुलिस अधीक्षक ,पुलिस महानिदेशक ,,,विधायक, सांसद ,, मंत्री ,मुख्यमंत्री से सवाल होंगे ,उनके खिलाफ ही ज़िम्मेदाराना ,गैर ज़िम्मेदारांना हरकत के लिए टिप्पणी होगी ,,लेकिन पढ़े लिखे पत्रकार होते , पत्रकारिता का कोर्स कर मर्यादाये पढ़ी होती ,तरीके पढ़े होते ,तो यह सब पता होता न ,फिर पता कौन करना चाहता ,है दिमाग में जो चिप डाल दी बस ,उसी चिप के मुताबिक़ ,धाँय धाँय ,,शर्म आती ,है देश के पत्रकारों को भी शर्म आ रही होगी ,इस भाषा ,इस टार्गेटिव सुपारी कथित रिपोर्टिंग पर ,,इस अभद्र ,भाषा पर ,, गैरज़िम्मेदाराना ,रिपोर्टिंग पर ,, तभी तो इन जनाब ने ,जिनके खिलाफ टिप्पणी की ,उनकी ट्वीट नहीं देखी ऐसे लोग ,देश के लिए कलंक ,है यह देश को सुधारने ,देश के सामने सच लाने के लिए नहीं सच छुपा ,कर कुछ लोगों को टारगेट बनाकर ,उनके खिलाफ वातावरण बनाने के सुपारीबाज़ है ,ऐसे लोगों से सावधान सभी को रहना होगा ,,,ऐसे लोगों को सुधारने के लिए इन्हे सद्बुद्धि देने के लिए ,इनके खिलाफ हिंसा नहीं दया भाव रखना होगा ,इनके लिए ईश्वर इन्हे सद्बुद्धि दे ,प्रार्थना करना होगी ,और ऐसे लोगों को क़ानून की मर्यादाये भी समझाना होंगी ,सरकार भी ऐसे लोगों की व्यवस्थाएं देखने के बाद ,नीम हकीम ,,नौसिखिये ,इस क्षेत्र में आकर गंदगी न फैलाये इसलिए ,,जिनके पास पत्रकारिता की स्वीकृत डिग्री ,है उन्हें ही इस पत्रकारिता क्षेत्र का लाइसेंस देना चाहिए , वरना यह लोग ,नीम हकीम चिकित्स्कों की तरह ,देश में न जाने कितने ज़हरीले नश्तर चुभोयेंगे ,,,महिलाओं के खिलाफ अभद्र नस्लभेदी टिप्पणियां करेंगे ,,वर्गों में दुश्मनी के लिए ,उकसायेंगे भड़काएंगे ,,,ऐसे में मेडिकल कौंसिल की तरह पत्रकारिता कौंसिल बने ,,जो लोग ,पत्रकारिता का कोर्स करके आये उनकी डिग्री के आधार पर , पत्रकारिता कौंसिल का सदस्य बनाया जाये ,और , पत्रकारिता कौंसिल की देश ,के संविधान ,देश के मानहानि क़ानून ,सहित दूसरे क़ानूनों के तहत नियमावली ,गाइडलाइन भी हो ,जिसके उलंग्घन पर ,, कौंसिल से उसकी सदस्य्ता समाप्त होकर ,कार्यवाही हो ,,,,,लाइसेंस केंसिल होने पर ऐसे लोगों से पत्रकारिता का हक़ भी छीनने का क़ानून मेडिकल कौंसिल नियमावली की तरह हो ,फिर चाहे वोह डिग्री लेकर , कुछ उदाहरणों की तरह ,अपनी मनचाही वैचारिक पार्टी के प्रवक्ता ,प्रचारक बन जाए ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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