चंबल तट पर बसी कोटा की शैक्षणिक नगरी ,,जो बाहें फैलाकर देश ,विदेश से आये
हर छात्र का उनका अभिभावक बनकर स्वागत करती है ,अतिथि सत्कार करती है ,,उस
कोटा औद्योगिक नगरी ने ,राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व
में ,शांति धारीवाल के निर्देशों के अनुसार ,,लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के
संयुक्त सामंजस्य से कोटा जिला प्रशासन ,कोटा के समाजसेवियों ,खुद कोचिंग
संचालकों ने बहुत आवभगत की ,, संकट की घडी में कोई भी हो ,कितना ही सुख हो
,,लेकिन अपना ,घर अपना परिवार ,ही सबकुछ होता है ,,ऐसे में कोटा के
दूरदराज़ अलग अलग राज्यों से आये सभी छात्रों का दर्द ,,राजस्थान के
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जाना ,और संबंधित मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर
इस बाबत सुचना दी ,,आग्रह किया ,ऐसे बच्चों को उनके परिवार से मिलाने ,का
,,कोटा जिला प्रशासन के स्वीकृती पास अलग अलग राज्यों के द्वारा अस्वीकार
कर ,,छात्रों को रास्ते में ही परेशान किया जा रहा था ,ऐसे में खुद लोकसभा
अध्यक्ष ,ओम बिरला ने भी राज्यों से बात कर ,कोटा की संवेदनशीलता का परिचय
दिया ,,कोटा में छात्रों को कोई खास परेशानी नहीं ,, फिर भी ,कई दर्जन फोन
,अलग अलग राज्यों से किसी ना किसी माध्यम से मेरे खुद के पास भी आते रहे
है , कई छात्रों की समस्याओं के समाधान के प्रयास मेने भी किये ,,ऐसे हर
ज़िम्मेदार के पास ज़रूर फोन आ रहे होंगे ,,खुद राजस्थान प्रदेश कॉग्रेस
कमेटी अल्पसंख्यक विभाग के चेयरमेन आबिद कागज़ी ने कई छात्रों की स्वीकृति
पास व्यवस्था करवाई ,ऐसे में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के
संवेदनशील आग्रह पर ,उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो क़दम
आगे बढ़ा कर पहल की ,,उत्तर प्रदेश के छात्रों के लिए कोटा वहां की बसें
भेजीं ,कोटा ने ,राजस्थान ने इन बसों का स्वागत किया ,बच्चों को बहतरीन
मेज़बानी ,अतिथि सत्कार की ज़िम्मेदारी के साथ ,खाने के पैकेट ,बसे कम पढ़ने
पर बसों की उपलब्धता ,प्रशासन ,, चिकित्सा टीम की चाक चौबंद एडवायज़री टेस्ट
व्यवस्था के साथ वरिष्ठ अधिकारीयों ने ज़िम्मेदारी निभाई ,,इस संकट की घडी
में बच्चो को अपना परिवार ,अपने घर का साथ मिल गया ,,एक तरफ यह
संवेदनशीलता ,दूसरी तरफ बिहारी बाबू नितीश कुमार की अपने ही राज्य के
छात्रों के लिए ऐसी नफरत भरी असंवेदनशीलता ,अफसोसनाक है , शर्मनाक है
,,,बिहार से रोज़ सर्वाधिक फोन यहां के बच्चों के डिप्रेशन की समस्या को
लेकर आते है ,हम सब ,आप ,प्रशासन इसे देख रहे है , लेकिन जब पढ़ाई नहीं
,,परीक्षाएं नहीं तो ऐसे में यह बच्चे अगर एडवजीरी की पालना के साथ अपने घर
परिवार के साथ रहे तो इसमें नितीश बाबू को क्या दिक़्क़त होना चाहिए ,,योगी
आदित्यनाथ तो दस हज़ार परिवारों के हीरो बन गए ,,,अशोक गहलोत हर बच्चे ,उसके
अभिभावकों के दिलों की धड़कन बन गए ,नितीश बाबू हो या फिर दूसरे राज्य के
मुख्यमंत्री हो ,इंसान बनो संवेदनशील सोच रखो ,,,क्वारेंटाइन ,,कोरोना
एडवाइज़री व्यवस्था के साथ अपने बच्चों को अपने परिवार के साथ रखने की
व्वयस्था बनवाओ ,राजस्थान सरकार ,राजस्थान के लोग ,,खासकर कोटा के सभी लोग
इन छात्रों की मेज़बानी को तो तैयार बैठे है ,,वोह संभाल भी रहे है ,,लेकिन
इन्हे इस संकट की घडी में अपने परिवार का साथ चाहिए ,आप ही बताइये ऐसे दूर
दराज़ रह रहे ,छात्रों को इस संकट की घडी में जब पढ़ाई ठप्प है ,परीक्षाये
नहीं है ,,ऑन लाइन टेस्ट सीरीज़ , कोर्स की व्यवस्था है ,,अपने परिवार के
जाता के साथ होना चाहिए के नहीं ,,ऐसा राजा ,,नितीश जैसा राजा किस काम का
जो संकट की घडी में अपनी ही प्रजा को भूल जाए ,ऐसा गठबंधन किस काम का के
सरकार के लालच में गठबंधन का सरदार ऐसे ,असंवेदनशील राजा को संवेदनशीलता का
पाठ न पढ़ा सके ,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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