आपका-अख्तर खान

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26 अप्रैल 2020

अब क्या बताये टूटे हैं कितने कहाँ से हम.

अब क्या बताये टूटे हैं कितने कहाँ से हम.!!
खुद को समेटते हैं यहां से वहा से हम
नजाने किस जहाँ मे मिलेगा हमें सुकून
नाराज़ हैं ज़मी से खफा हैं आसमाँ से हम
आईने से उलझता हैं जब भी हमारा अक्स
हट जाते हैं बचा के नज़र दरमियाँ से हम
मिलते नहीं हैं अपनी कहानी मे हम कही
गायब हुये हैं जब से तेरी दास्ताँ से हम

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