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31 मार्च 2020

दोस्तों दर्द तो सब में है ,,परेशानी सब को है ,,इन कोरोना वाइरस के खौफ के माहौल में ,जंगजू सिपाहियों में से ,कुछ सिपाहियों को मदद ,,शाबाशी मिल रही है

दोस्तों दर्द तो सब में है ,,परेशानी सब को है ,,इन कोरोना वाइरस के खौफ के माहौल में ,जंगजू सिपाहियों में से ,कुछ सिपाहियों को मदद ,,शाबाशी मिल रही है ,लेकिन एक बढ़ा वर्ग जिसमे पत्रकार ,अखबार कर्मचारी ,,अख़बार आप तक पहुंचाने वाले वितरक शामिल है ,उनके बारे में न किसी ने सोचा है ,न उनके काम की उन्हें शाबाशी मिली है ,न ही उनके लिए कोई विशेष पैकेज है ,,,जी हाँ दोस्तों वर्तमान हालातों में अपने घर परिवार को खौफ के वातावरण में छोड़कर एक पत्रकार अपने घर से निकलता है ,, उसके पास न सेनेटाइजर ,न मास्क ,न बचाव के साधन पर्याप्त मात्रा में होते है ,बस एक क़लम ,एक कागज़ ,,बिना स्टेंडर्ड का मास्क ,,और वोह दफ्तरों में ,गलियों में ,,इधर उधर ,चारो तरफ अपनी मोटरसाइकल से ,,कभी कैमरा हाथ में थामे ,कभी मोबाईल से तस्वीरें लेते हुए ,,लोगों के दुखदर्द तलाशता ,है ,,समस्याएं देखता है ,,सरकार की योजनाये ,एडवाइज़री , राहत कार्यों के प्रबंध ,कुप्रबंध देखता है ,,खुद भूखा प्यासा रहकर ,किसे खाना मिला ,,कोन भूखा है ,,कोन प्यासा है ,,मज़दूरों की हालत क्या है ,कोन मज़दूर पैदल चलकर परेशानी में है ,किस घर में परेशानी ,है ,बीमारी है ,उसे पास मिले या नहीं ,,सरकार की व्यस्था उस घर तक पहुंची या नहीं ,लिखता फिरता है ,कैमरे में क़ैद करता फिरता है ,दिन भर में आपके शहर में आपके देश में कहना क्या व्यवस्थाएं है ,क्या कमियां है ,वोह यही पत्रकार अपनी जान पर खेल कर आप तक पहुंचाता है ,लेकिन नतीजे में इन्हे या तो पक्षपात की शिकायतें ,या फिर ,मालिक की दुत्कार ,,मिलती है ,,पगार तो जो है वही है ,लेकिन इनके घर में राशन है ,,खाने की व्यवस्था है ,,घर में कोई बीमार है तो उसके इलाज की क्या वैकल्पिक व्यवस्था है ,कोई इस दर्द को नहीं देखपाता है ,,,ऐसे पत्रकारों ,स्टिंगरों ,,संवाददाताओं ,सम्पादक ,उपसंपादकों ,प्लेट मेकर ,मेकअप मेंन ,,डिज़ाइनर ,,कम्प्यूटर ऑपरेटर ,सहयोगी कर्मचारियों सभी को ,,मालिकों की तरफ से विशेष पैकेज दिया जाना ज़रूरी हो जाता है ,, इसी तरह से अख़बार वितरक जो आपके घर तक चाय के प्याले के साथ ,,स्टरलाइज़्ड ,सुरक्षित अख़बार पहुंचाते है ,अख़बार की खबरों को पढ़कर आप अपडेट होते ,है ,, सावचेत होते है ,महत्वपूर्ण जानकारियां ,सूचनाओं से अवगत होते है ,,सोशल मीडिया पर जो अफवाहों का बोलबाला है ,,उसका खंडन होता है ,आप मुतमईन होते है ,आल इज़ वेळ ,एक आत्मविश्वास से आप भर जाते है ,,,इसी तरह ,दैनिक छोटे लघु समाचार पत्र ,,साप्ताहिक ,पाक्षिक ,मासिक समाचार पत्रों के छोटे बढे समाचार पत्र ,उनके कर्मकार ,,आज इस बंदिश की हालत में अस्तव्यस्त ,है , उनके पास विज्ञापन नहीं ,अख़बार प्रकाशन की व्यवस्था नहीं ,,वितरण की व्यवस्था नहीं ,,ऐसे में ,सरकार को तो अपने स्तर पर रिपोर्टर्स ,,स्टिंग रिपोर्टर्स ,कैमरा मेंन ,,प्रकाशन ,सम्पादन में लगे कर्मकार ,,छोटे मंझोले समाचार पत्रों के सम्पादक , मालिकों ,,अखबार वितरकों ,,एजेंटों ,,को विशेष पैकेज के रूप में अतिरिक्त विज्ञापन ,एक मुश्त आर्थिक मदद देना ही चाहिए ,,समाजसेवक ,दानदाता , यूँ तो सेनेटाइज़र्स ,,ग्लब्स ,मास्क ,खूब बांटते है ,,अख़बार वितरकों ,, रिपोर्टिंग में लगे पत्रकारों को ,,प्रिंटिंग ,प्रसारण कार्य में लगे कर्मचारियों को आवश्यकतानुसार उपलब्ध कराना ही चाहिए ,,बढे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया चैनल ,,बढे अख़बारों के मालिकों को ,,अपने कर्मकारों को यह व्वयस्था तो करवाना ही चाहिए ,इसके अलावा खुद ,या फिर सरकार के सहयोग से ,ऐसे ,कर्मकारों अख़बार वितरकों का ग्रुप इंश्योरेंस भी करवाना चाहिए ,,जिसमे आपात स्थिति में सभी तरह की चिकित्सा मदद ,और पेंशन योजना शामिल हो ,,,,,अख़बार के मालिक इस भावना को प्रकाशित करेंगे नहीं ,चेनल्स के मालिक हेड ,इस खबर को प्रसारित करेंगे नहीं ,,खुद मालिकों के निकटतम सम्पादक ,,वरिष्ठ पत्रकार इस पर ध्यान देंगे नहीं ,,प्रेसक्लब ,,कुछ ध्यान दे रहे है ,कुछ ध्यान नहीं दे रहे ,,उत्तरप्रदेश में कुछ ,सुविधाएं कुछ आधी अधूरी ही सही ,लेकिन कुछ पड़ ऐसे ज़रूरतमंद पत्रकारों को सरकारी स्तर भी दी गयी है ,,,ऐसी ही ,व्यवस्था कोटा ,राजस्थान पुरे देश में इन पत्रकारों ,कर्मकारों ,अख़बार वितरकों को सर्वेक्षण के साथ दी जाना ज़रूरी है ,,,यह लोग ज़रूरत मंद है ,तकलीफ में है ,इनकी बात इनके मालिक नहीं करेंगे ,,यह खुद मर्यादाओं में बंधे है ,,यह सिर्फ दुनिया की खबर ले सकते है ,दुनिया की खबर आपको दे सकते ,है आपके हमारे दुःख दर्द ,प्रकाशित ,,प्रसारित ,वितरित कर मदद दिलवा सकते है ,, लेकिन यह खुद ,खुद्दार है ,,अपने लिए कभी उफ़ भी नहीं कहेंगे बस ,हर तकलीफ ,हर परेशानी ,हर जोखिम के हालातों में आपके लिए सब की खबर ,ले सब को खबर ,दे ,का नारा बुलंद करते रहेंगे ,,,कहते है न मोर नाचता है ,नाचता है ,खुश होता है झूमता है ,, लेकिन जब अपने पैर देखता है तो रोता है ,,रोता है ,इसलिए दोस्तों ,आप तक ,चुप मुंह ,दुनिया ,देश ,प्रदेश ,आपके शहर , आपकी गली ,,मोहल्ले ,,सरकारी विभागों ,योजनाओं की खबर पहुंचाने वाले ,,इन जांबाज़ सिपाहियों को सेल्यूट भी कीजिये ,और इन्हे विशेष पैकेज के तहत सरकारी ,सामजिक आर्थिक मदद ,ग्रुप इंश्योरेंस ,पेंशन ,,मेडिक्लेम की सुविधाएं, छोटे ,लघु समाचार पत्रों को अतिरिक्त विज्ञापन , सरकारी स्तर पर कैसे मिले ,इसके लिए एक पत्र लिखे ,,सरकार को ई मेल ज़रूर करे प्लीज़ ,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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