घरों
में बैठ कर सोशल मिडिया पर पटेलाई का ज्ञान पेलकर ,, पुलिस को सड़क पर
मिलने वाले लोगों को पिटाई के लिए उकसाने वालों ,खुश हो जाओ सीकर के एक
इलाक़े में ,पुलिस पिटाई से दवा खरीदने गए ,रामसिंह के मरने की खबर है ,,अब
इस मामले में लोग पुलिस का मनोबल गिराने के लिए फ़र्ज़ी ,पुराने पुलिस पिटाई
के वीडियों ,शेयर कर अफवाहे भी फैला रहे है ,,,, जो लोग समाज से जुड़े नहीं
है ,जो लोग समाज के वर्तमान ,शास्त्र ,वर्तमान समस्याओं से वाक़िफ़ नहीं है
,,,जो मिडिया कर्मी खौफ के वातावरण के ,बाद ,डर के मनोविज्ञान से रोज़ रोज़
तिल तिल कर मरने के अवसादग्रस्त मरीज़ों की स्थिति से वाक़िफ़ नहीं है ,,,वोह
लोग ज्ञान पूरी तरह से पेल रहे है ,लेकिन उन्हें हक़ीक़त समझना चाहिए ,
प्रशासन ,ज़रूरतें ,और खबरों,, सोशल मीडिया पोस्टों में एहतियात बरतना
चाहिए ,,वर्तमान संकट काल में ,हर मामले में स्व अनुशासन की बहुत ज़रूरत है
,अखबार लिखना ,मीडिया पर खबरें ,देना ,सोशल मीडिया पर पोस्टें लिखना ,,एक
शोख हो सकता है ,,रोज़गार हो सकता है ,लेकिन सामाजिक ज़िम्मेदारी ,सामजिक
दायित्व भी ज़रूरी है ,,,अख़बारों में , इलेट्रॉनिक न्यूज़ चैनल पर ,लोगों को
चिंता में डालने ,लोगों में डर खौफ का वातवरण बनाने ,,की खबरों की एवाइज़री
नहीं है ,,आम लोगों के लिए भी कोरोना महामारी में एडवाइज़री है ,तो मीडिया
,संचार माध्यम के लिए भी , सही परफेक्ट खबर देने ,,सकारात्मक खबर देने
,निराशा फैलाने वाली खबरों से बचने ,,एहतियात बरतने की एडवाइज़री है ,आज
मीडिया अपने क्षेत्र की गलियों ,,मोहल्लों में जाकर तो भूखों और ज़रूरतमंदों
को तलाश कर उनकी मदद की खबरे ,या फिर फ़र्ज़ी लोगों द्वारा खाने के पैकेट
बांटने की मनमानी संख्या बताने ,,पैकेट ,राहत सामग्री वितरण में पक्षपात की
खबरें तो नहीं दे रहा , एक कॉलम तो अखबार से कोरोना वाइरस नहीं फैलता
इसकी समझाइश ,,बाक़ी कुछ छुटपुट सरकारी सूचनाये ,,विज्ञापन ,और स्थानीय
खबरों के बाद ,अधिकतम हिस्सा ,जापान ,चीन ,,इटली ,स्पेन ,,अमेरिका
,पाकिस्तान की खौफनाक ,,मनोबल तोड़ने वाली खबरों ,विशेषज्ञों की कथित राय
,भविष्य में संकट आयेगा से भरा रहता है ,यही हाल इलेक्ट्रॉनिक चैनलों का है
,,पाकिस्तान ,,अमेरिका, चीन ,,इटली ,स्पेन ,,वगेरा वगेरा से पूरा चैनल भरा
रहता है ,,देश के गृहमंत्री क्या कर रहे है ,,सत्ता पार्टी के राष्ट्रिय
अध्यक्ष क्या कर रहे है ,,प्रतिपक्ष के नेता ,उनके अध्यक्ष क्या कर रहे है ,
,,लोगों की ज़रूरतें क्या है ,उनके लिए केंद्र सरकार ,राज्य सरकारों को
क्या करना चाहिए ,जो उन्होंने नहीं किया है ,, सिर्फ ज़ुबानी भाषण से ,पेट
नहीं भरता ,,समस्याएं दूर नहीं होती ,,किस विभाग ने ,आम लोगों के लोगों के
लिए क्या पैकेज दिया ,, चिकित्सा सुविधाओं की व्यस्था ,पर फोकस होना चाहिए
,,जो पूरा नहीं होता ,,,अगर ऐसे वक़्त पर राज्य की सरकारें लापरवाह है तो
उनकी खिंचाई ,,उन्हें मारगदर्शन ,सुझाव ,तथ्यों के साथ देने की ज़िम्मेदारी
नहीं निभाई जा रही है ,,,,केंद्र सरकार ने रिज़र्व बैंक के लिए गए रुपयों
का किया इस्तेमाल ,किया ,,इस समस्या से निपटने के लिए भाषण और एडवजीरी के
अलावा राज्यों को क्या मदद ,किस मद से मदद दी गयी ,,अगर मदद दी गयी तो वोह
लोगों तक पहुंची या नहीं ,,अगर नहीं दी गयी तो फिर ,,यह मदद क्यों नहीं दी
जा रही है ,इस पर बहस होना चाहिए ,इस पर खबरों की प्राथमकिता होना चाहिए
,,अभी सोशल मीडया ,अख़बारों की खबरें ,मौखिक वार्तालाप से ,अगर कोटा में ही
रोज़ दिए जाने वाले एक वक़्त के खाने के पैकेटों की गिनती करें तो ,गिनती एक
लाख से भी ज़्यादा हो जाती है ,इसमें कुछ गुमनाओं की तो सूचि है ही नहीं
,,,ऐसे में यह एक लाख पैकेट से ,,अधिक वितरण की सुचना सही है या फेक ,सही
लोगों तक खाना पहुँच भी रहा है या नहीं ,,कहीं ऐसा तो नहीं ,,अलग अलग
बस्तियों ,ग्रामीण क्षेत्रों में कुछ लोग जो ज़रूरतमन्द है वोह समाजसेवकों
,सरकारी लोगों की मदद से वंचित है ,,कहीं ऐसा तो नहीं वितरण सामग्री में
अँधा बांटे रेवड़ी अपनों ,अपनों को दे ,वाली कहावत चरितार्थ हो रही हो
,वितरण में पक्षपात हो रहा हो ,,इसकी खबर ,,ऑपरेशन राहत सामग्री वितरण
,,ज़रूरी है ,जो लोग अच्छा काम कर रहे है ,ईमानदाराना अपने सेवा कार्यों में
लगे हैं उनका उत्साहवर्धन ,और जो लोग गलत सूचनाएं दे रहे ,है पक्षपात कर
रहे है ,या फिर ,इधर उधर खुद को समाजसेवक ,, पार्टी का पदाधिकारी बताकर ,दस
दस बीस बीस पैकेट एकत्रित कर दुरूपयोग कर रहे है ,,,ऐसे लोगों पर भी
निगरानी ज़रूरी है ,,सुझाव भी ज़रूरी है ,,,कोटा शहर में 150 वार्ड ,एक वार्ड
में तीन से चार भगसंख्याएँ चार से सकता हज़ार की मतदाता संख्या जो जनसंख्या
के हिसाब से दस ,,ग्यारह हज़ार लोगों का एक वार्ड ,,इन वार्डों में भाग
संख्या वाइज़ सर्वेक्षण कोई मुश्किल काम नहीं हर ज़रूरत मंद ,,भूखे के पास
खाना पहुंचे ,यह आसान तरीक़ा हो सकता है ,,,एक एक वार्ड एक समाजसेवक के
हवाले ,बाक़ी कम हो तो सरकार के लिए व्यवस्था करें ,,किराना किट भेजें ,,इस
पर खबरें होना चाहिये , कहाँ ,कितना दवा का छिड़काव हुआ ,मेडिकल की टीम
क्या कर रही है ,,,यह खबरें ज़रूरी है ,,,,,खेर अपनी मर्ज़ी ,अपनी ढपली ,अपना
राग ,, लेकिन ऐसे मनोविज्ञान से ,लोग डरे हुए है ,भविष्य के सो कोल्ड बना
दिए गया हालातों से अवसाद में आ गए है ,घर घर चिंता का माहौल है ,,जो सो हो
गया ,,अब मीडिया ,अख़बारों की ही सकारात्मक साहस दिलाने वाली खबरों से इस
वातावरण को सुधारा जा सकता है ,,इंशा अल्लाह ,,आल इज़ वेळ सब ठीक रहेगा
,,दिल्ली में जमात के रुके होने की खबर किसी पत्रकार को नहीं दिखी ,किसी
सोशल मीडिया एक्टिविस्ट को नहीं दिखी ,अजीब बात है ,ऐसे झुण्ड और शहरों में
भी हो सकते है ,यह है असली रिपोर्टिंग ,,विदेशों की खबरें पेलना कोई
रिपोर्टिंग नहीं ,,,और हाँ घर में पेट भरे हुए बैठे मेरे साथियों ,सोशल
मीडिया ,या मिडिया में सड़क पर दिखने वालों की ठुकाई का ज्ञान पेलने वालों
,ध्यान रखना ,,बीमारी के लिए दवा लेने ,किराना का सामांन ,लेने ,, राहत
सामग्री वितरित करने ,,,मेडकिल ,प्रशासनिक ,न्यायिक काम में लगे लोग सड़को
पर दिखेंगे ,बैंक वाले ,बैंक आते जाते वक़्त दिखेंगे ,,और अब तो गरीब ,,लोग
जिनकी पेंशन भुगतान ,या राहत राशि बैंकों में जमा करने का सरकारी दावा है
,वोह ऐ टी एम सेंटर पर ,या ऐ टी एम होने पर बैंकों में आवाजाही के लिए
निकलेंगे ,प्लीज़ सड़को पर ठोको ,,का ज्ञान पुलिस को मत पेलना ,पुलिस
,प्रशासन हमसे ज़्यादा समझदार है ,,वोह कब नरमी बरतना है ,कब सख्ती बरतना
,है खुद जानते है ,,,,,और हाँ मददगारों द्वारा फोटो खिंचवाना , विडियो
अपलोड करने से नाराज़ होकर टिप्पणी करने से पहले टिप्पणीकार खुद दस दिन से
ज़्यादा नहीं ,दस पैकेट सुबह शाम ,गुप्त तरीके से वितरित करे ,किसी को बताये
नहीं ,,उसके बाद ही उसे ऐसे लोगों के खिलाफ टिप्पणी का अधिकार है ,,ज़रा
सोचो एक शख्स घर छोड़कर ,खतरे के हालातों में बाहर आता है ,टीम बनाता है
,कुछ खुद के पास से ,कुछ समाजसेवकों ,भामाशाह से मदद लेता ,है ,हलवाई लाता
है ,,पैकेट बनवाता ,है ,खुद पेकिंग करता है ,खुद का पेट्रोल डीज़ल जलाकर ,एक
टीम बनाकर ,,पक्षपात के आरोपों के साथ सीमित पैकेट होने पर भी ,लोगों तक
पहुंचाने की कोशिश करता है ,,फिर उसकी जवाबदारी ,,भामाशाह लोगों तक ,,सही
वितरण की सुचना देने की ज़िम्मेदारी भी होती है ,इसलिए भी फोटो ज़रूरी ,है
इससे कम्पीटिशन भाव पैदा होता है , दूसरे लोग छुटपुट ही सही कुछ करते तो
है ,,सो प्लीज़ जलने ,कुढ़ने की मानसिकता से हमे बाहर आकर हमे इस संकट की घडी
में कंधे से कंधा मिलाकर एक दूसरे की मदद करना चाहिए ,,,,आप लोग कर भी रहे
हो ,,आपकी बात सही भी है ,,फोटोग्राफी से बचना चाहिए , लेकिन ज़कात तो छुपा
कर दी जाना चाहिए ,इधर संकट काल में मदद का ज़ज्बा दूसरे लोगों में मोटिवेट
करने के लिए ,,विज्ञापित करके भी करना चाहिए , यह कोई नेताओं के जन्म दिन
,पुण्यतिथि , पर एक केला एक नारंगी बांट कर फोटो खिंचाने वाला घृणास्पद
मामला नहीं है, यह उससे अलग मदद का मोटिवेशनल जागरूकता मामला है,, अभी
,,जिन्हे खाने के पैकेट मिल ,रहे है वोह गरीब ,ज़रूरतमंद हों यह ज़रूरी नहीं
,तात्कालिक ,मजबूरी तात्कालिक ज़रूरत है ,,तलवंडी चौराहे पर पावना पर
,,आसपास के अस्पतालों के मरीज़ों के तीमारदार ,,कम्पाउंडर नर्सिंग स्टाफ
,,एम्बुलेंस स्टाफ ,,आते जाते राहगीर ,रोज़ गर्मा गर्म खाना खा रहे है
,,,वोह सभी गरीब नहीं ,लेकिन ज़रूरत मंद है ,,जो फंसे हुए ,है वोह गरीब हो
यह ज़रूरी नहीं ,,,मजबूर है ,,ऐसे में ऐसे लोगों की सूचनाएं एकत्रित करें
,उन्हें मदद हम दे सकते हो तो ठीक ,अगर हम उन्हें मदद देने में सक्षम नहीं
तो उनकी सूचि ,,दूसरे मददगारों को उपलब्ध ,कराये सरकार को उपलब्ध ,कराये
मदद में ,मनमानी ,भ्रष्टाचार ,पक्षपात न हो बस इस पर ज़िम्मेदारी से निगरानी
रखिये ज़रूर , सो प्लीज़ ,,गुस्सा हरगिज़ नहीं ,,बस यूँ ही ,समझ सकता तो
समझो ,,नहीं तो दिल्ली में जमात के नाम पर जो बेवकूफियां हुई है
,,उत्तरप्रदेश में गरीब मज़दूरों पर जो सेनेटाइजर छिड़कवा कर उनकी जान को
जोखिम में डाला गया है ,,,,मज़दूरों को तत्काल राहत नहीं मिलने ,,उन्हें
खबरों के ज़रिये तीन माह का खौफ बताने से ,जो चिंता ,हुई ,उससे जो उन्हें
बगावत कर सड़कों पर निकलना पढ़ा है ,,,जो दवा लेने गए सीकर क्षेत्र के
रामसिंग को पुलिस पर पीट पीट कर मार डालने का आरोप है ,,,अमीरों को
हवाईजहाज़ से विदेशों से बुलाया जा रहा है ,और गरीब मज़दूरों के लिए उनके
घरों तक जाने के लिए बसें या राहत सामग्री उपलब्ध नहीं ,गंभीर संकटकाल
,में ,राज्यों को आवश्यकनुसार पैकेज की अब तक घोषणा नहीं संकट काल में देश
के केंद्रीय गृहमंत्री की गुमशुदगी जैसे मामलों पर कोई चर्चा ही नहीं करेगा
,इसलिए सुपरफिशियल ,ख़बरें अखबार भरने ,समाजसेवकों ,[प्रशासनिक सूचनाओं के
आलावा ,वर्तमान हालातों में खोजपूर्ण खबरें ,ज़रूरी खबरें ,सकारात्मक खबरें
,निराशावाद की जगह आशावाद की खबरें ,,पीड़ितों के हालात की खबरें भी होना
चाहिए ,जो कोटा के अख़बार ,तो बखूबी निभा रहे है ,सो प्लीज़ इलेक्ट्रॉनिक
चेनल्स ,छोडो पाकिस्तान ,चीन ,स्पेन ,इटली ,भारत की बात करो ,भारत के
सिस्टम में खोज करो ,,भागो मत ,भूख गरीबी ,अवव्स्थाओं की खबरों से ,,दिखाओ
अपनी ज़िम्मेदारी सम्भालों ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)