दोस्तों
यह खबर पढ़कर ,क्राइम रिपोर्टिंग ,पत्रकारिता की समझ ,,पुलिसगिरी
,,उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी की अपराध जांच पर हंसना मत ,,खबर
प्रस्तुतिकरण में , फोकस ,दुर्घटना कैसे हुई ,किसकी लापरवाही से हुई ,इस
पर नहीं है ,सिर्फ ,हेलमेट नहीं पहन रखा था ,गाडी हल्की ,भारी थी ,उस पर
फोकस कर ,मरने वाले को आरोपित किया है ,सभी जानते है ,इस जांच रिपोर्ट से
,इंश्योरेंस कम्पनी को ,, क्लेम मामले में ,भारी ,फायदा होगा ,,जबकि मृतक
आश्रितों को ,,क्लेम में हो सकता है ,अंगूठा देखने को मिले ,,खेर ,आप
खुद ही देखिये ,,,एक दुर्घटना हुई , मुक़दमा दर्ज हुआ ,, किसी हेड
कानिस्टेबल ,किसी ऐ एस आई ,एस आई ,,थानाधिकारी ने जाँच नहीं की ,,जांच की
है ,, सुपरवाइज़र पावर उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी ने ,जांच का दायरा
,,प्रश्न होते ,,दुर्घटना कैसे हुई ,किसकी लापरवाही थी ,,सड़क के हालात कैसे
थे ,,ट्रेफिक कंट्रोल केसा था ,,वगेरा वगेरा ,लेकिन जाँच सिर्फ और सिर्फ
हुई तो ,,हेलमेट ,हेलमेट ,हेलमेट ,,,पढियेगा ज़रूर ,हेलमेट आपकी सुरक्षा है
,पहनना चाहिए ,लेकिन किसी मृतक के आश्रितों को ऐसी जांचों से नुकसान हो
,इंश्योरेंस कम्पनी को सो फीसदी सीधा फायदा ऐसी जांचों से एक सबूत ,एक
साक्ष्य बनकर हो ,ऐसा तो होना नहीं चाहिए ,अब ऐसी जांचों की भी एक जाँच
,,मुख्यमंत्री स्तर पर ,,पुलिस महानिरीक्षक स्तर पर उनकी सुपर्वाइज़री में
,ऐसे तथ्य जान बूझकर क्यों टार्गेटिव फोकस किये गए ,ऐसी खबर की रचना लीक
करके ,जानबूझ कर क्यों किसके फायदे के लिए प्रकाशित हुई ,,अख़बार के
सम्पादक ,,,मालिक ,प्रकाशक को भी जांच करना चाहिए ,,,,,,,अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान


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