लो कर लो बात , कुछ सर्वाधिक इंटेलिजेंट लोगों के लिए आज ,सिर्फ आज विश्व
महिला दिवस है ,,कुछ लोग इसे विज्ञापन दिवस मना रहे है , तो कुछ लोग इसी
महिलाओं की प्रतिभाओं को उजागर कर प्रेरणा स्त्रोत के रूप में मना रहे है
,,, कुछ लोग कोटा कलेक्ट्रेट के बाहर महिलाओ द्धारा झूंठे मुक़दमे करवाने
से नाराज़ होकर ,निष्पक्ष पुरुष आयोग की मांग को लेकर ,,धरने पर बैठकर
प्रदर्शन करते देखे गए ,सभी का अपना नज़रिया ,अपना वीज़न है ,लेकिन में क्या
करूँ ,,मेरे लिए एक दिन आज का दिन ही सिर्फ महिला दिवस नहीं ,रोज़ हर रोज़
,मेरे लिए तो महिला दिवस होता है ,,और यह दिवस मेरे लिये क्रोध का ,नफरत
का ,गुस्से का दिन नहीं ,बल्कि मेरा यह हर रोज़ ,हर लम्हा ,प्यार का ,सुकून
का रहता है ,,सभी जानते है महिला के बगैर सुकून सम्भव नहीं ,पुरुष का निखार
सम्भव नहीं ,,हिन्दू माइथोलोजी देखे तो सीता माता , पार्वती ,,सावित्री ,
होलिका ,,भाईदूज ,सहित कई क़िस्से है ,, मुस्लिमों में देखो तो , हव्वा
,,योद्धा जवेरिया ,बीवी खदीजा ,,सहित कई प्रेरक महिलाओं का इतिहास रहा है
,,लेकिन में तो चारों तरफ से महिलाओं से घिरा हूँ ,, माँ की कोख से पैदा
हुआ ,माँ की गोद में खेला ,बढ़ा ,होना ऊँगली पकड़ कर माँ ने चलाया ,,,बोलना
,खाना ,पीना ,माँ ने सिखाया ,,बहनों ने खूब कान उमेठे ,,चुगलियां की ,एक
सखी की तरह ,एक टीचर की तरह साथ रही ,फिर बढे हुए तो ,क्लास टीचर के रूप
में महिला टीचर जी ने खूब ज्ञान दिया ,,,फिर बढे हुए तो ,अम्मी जान ने
उल्लू बनाकर एक महिला रिज़वाना के हवाले हमे कर ,कर दिया आप जानते ही हो
,आज़ादी छीनना किस तरह का दर्दनाक हादसा होता है ,पिंजरे में केदी की तरह
फड़फड़ाते रहे ,जो ज़िम्मेदरियाँ माँ देख रही थी अब ,श्रीमती जी के हवाले थी
,खाना ,पीना ,कपड़े ,लत्ते ,और डांट ,डपट सभी ,,पत्नी जी के हवाले ,पत्नी जी
भी अकेली बोर हो रही थी ,माशा अल्लाह उन्होंने दो बेटियों डॉक्टर जवेरिया
,सदफ अख्तर को जन्म दिया ,और फिर चौकीदारी ,ज़िम्मेदारी और बढ़ गयी ,,बेटा
सॉफ्वेयर इंजीनियर शाहरुख के लिए भी बीवी की तलाश है ,तो फिर बहु के रूप
में माशा अल्लाह एक महिला और घेराव के लिए मौजूद रहेगी ,,अजी क्या बताऊँ
,आपके लिए पुरे साल में सिर्फ एक दिन ,पुरे विश्व के लोगों के लिए सिर्फ एक
दिन ,विश्व महिला दिवस ,,मेरे लिए तो हर दम ,,हर लम्हा ,,हर प्रेरणा
,महिला दिवस के रूप में रही है ,,वैसे भी हम आदमियों की क्या औक़ात इन
महिलाओं के बीच ,में कभी माँ डांटती है ,तो कभी बीवी चुप कर देती है ,,कभी
बेटियां लाड प्यार से ज़िद कर अपनी बात मनवाती है ,,बहनों का तो तो क्या वोह
तो गुर्रा कर ,झगड़ कर ,दादागिरी कर ,, अपना हक़ क़ानूनी रुप से जमाने की
ज़िम्मेदारी पूरी करती है ,,फिर मामियां ,,कंस मामियां ,,,भावज ,,सलैजें ,
सालियाँ ,, दोस्तों की कमांडर कुछ कह दो तो चाय से मोहताज ,,माशा अल्लाह
चारों तरफ चौकीदारी ,लकड़ी ,किमची ,डांट ,डपट ,ज़िद , प्यार ,दुलार ,,बेटियों
का लाड ,बहनों ,, भांजियों का प्यार ,,अम्मी की डांट ,,लेकिन सब पर
बलिहारी ,सब पर भारी ,एक अकेली पत्नी जी ,रिज़वाना अख्तर नारी ,,,,,,,,अब
इन्तिज़ार है ,बहु की बारी ,फिर भी जवेरिया ,,सदफ अख्तर रहेंगी कंट्रोल
अधिकारी ,,,अल्लाह सभी को सलामत रखे ,महिलाये बोझ नहीं ,हमारी मार्गदर्शक
है ,प्रेरक है ,बेहतर ज़िंदगी प्रबंधन का ज़रिया है ,,,,हमारा ,आत्मस्वाभिमान
अभिमान है , माँ के पैरों के नीचे जन्नत है ,,बेटियों के साथ जन्नत का
दरवाज़ा खुलता है ,तो बीवी तो आप सभी जानते है ,,मुझ से कहलवाकर मुझे
पिटवाने का वातावरण मत बनाइये ,दोज़क भी है ,,तो जन्नत भी ,,है तो ज़िंदगी
भी है ,,इसलिए कहते है , महिला जननी भी भी है ,,पालनहार भी है ,बेहतर
ज़िंदगी की सांझेदार भी है ,दोस्त भी है ,बेटी बनकर हर वक़्त ख्याल रखने वाली
भी है ,बस अब तो एक कमांडर जो नंदों ,और सास के खौफ से ,मेरा मेरे बेटे
का ख्याल रखे ऐसी ही एक बहु की ज़रूरत है ,अल्लाह कामयाब ,,करे ,इसलिए कहते
है ,रिश्तों की अहमियत समझो ,महिलाओं का सम्मान करो ,,,हमारी बेटी किसी की
बहु है ,किसी की बेटी हमारी बीवी है ,बहु है ,,तुम भी प्यार दो ,,तुम भी
प्यार लो ,,एक गुरुमंत्र ,महिलाओं के सामने ,बिना शर्त आत्मसमर्पण ,,सुकून
,,का मत्र है ,किसी को बताना नहीं ,हरगिज़ नहीं ,,,लेकिन एक राज़ की बात और ,
बीवी जब कमांडर बन कर डांटती है , उंगली के इशारे पर नचाती है , तो में
भीगी बिल्ली , दब्बू बनकर चुप सहता रहता हूँ , लेकिन सुकून भी मिलता है जब
, बीवी को काम करने वाली बाइयों के इशारे पर थिरकते देखता हूँ , उनके ,
नाज़ नखरे उठाते देखता हूँ , उनके आगे पीछे घूमते देखता हूँ ,,कई बार बाइयों
की तल्खियां भी झेलते देखता हूँ तब सोचता हूँ , महिला कोई भी हो , केसी भी
हो किसी कम नहीं ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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