आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

29 मार्च 2020

लोकडाउन में सख्ती ,, राहत कार्यों में घर घर खाने के पैकेट पहुंचाने के सभी दावे ,निर्मूल हो गए जब लोग ,पुलिस के डंडे की परवाह किये बगैर घर से अपने घर की तरफ रोटी सिर्फ रोटी के लिए निकल पढ़े

लोकडाउन में सख्ती ,, राहत कार्यों में घर घर खाने के पैकेट पहुंचाने के सभी दावे ,निर्मूल हो गए जब लोग ,पुलिस के डंडे की परवाह किये बगैर घर से अपने घर की तरफ रोटी सिर्फ रोटी के लिए निकल पढ़े ,,,जी हाँ दोस्तों ,उत्तरप्रदेश ,हरियाणा ,दिल्ली के सभी दावे ,,लोगों को घर घर खाने की सामग्री पहुंचाने की पोल खुली है ,ज़रा सोचिये ,,,हज़ारों हज़ार मज़दूर जो कई दिनों से अपने घरों में बंद थे ,,अगर उन्हें राहत पैकेज मिला होता ,अगर उन्हें रोज़ खाद्य सामग्री ,सुविधाएं पहुंच रही होती ,तो वोह कोरोना एडवाइज़री के खिलाफ ,यह जानकर भी ,के पुलिस उन्हें मारेगी ,पुलिस उन्हें पकड़ेगी बगावत नहीं करती ,,,घरों में बैठे विलासिता भोगी लोग ,,जिनके पेट भरे है ,जो किसी के सार्वजनिक अपमान ,,किसी की पिटाई को मनोरजंन की तरह शेयर करते रहे ,,,,हंसी मज़ाक़ करते रहे ,,किसी को भी पुलिस ने पीटा खुश हुए ,किसी को सेनिको ने पेड़ पर लटका कर ,साइकल कंधे पर रखवाकर परेड कराई ,हम खुश हुए ,,सड़को पर निकलने वालों के खिलाफ उनकी मजबूरी जाने बिना ,घर में मदमस्त ,खा पीकर ,मज़े कर रहे ,,जिन्हे गरीबी , ज़रूरत ,मजबूरी का अहसास नहीं है ,, वोह पुलिस को भड़काते रहे ,बदन पर पुलिस के डंडों की सूजन ,,उनके लठों के निशाँन पोस्ट कर ,,पुलिसवालों को और पिटाई करने के लिए उकसाते रही ,,मेरे एक मित्र जो ऐसी पुलिस को उकसाने वाली ,आम लोगों के सड़क पर पुलिस से पिटने वाली पोस्टें डाल रहे थे ,,,खुश हो रहे थे ,राष्ट्रवादी बनने के कम्पीटिशन में थे ,कल उन पर खुद पढ़ी , पुलिस ने आवश्यक कार्य से बाहर निकलने पर जब उन्हें अपमानित किया जब उन्हें समझ में आयी के ,,किसी भी बाहर निकले व्यक्ति को ठोकने ,पीटने अपमानित करने से पहले ,उसके बाहर निकलने की मजबूरी ज़रूर पूंछना चाहिए , खेर में बात कर रहा हूँ सड़कों पर अचानक निकले हज़ारों हज़ार मज़दूरों की ,,जिन्हे पुलिस के लठ की ,गोली की परवाह नहीं है ,उनके दिलों में सरकार के खिलाफ ,सिस्टम के खिलाफ बगावत है ,वोह भूखे है ,प्यासे है ,,यह सिस्टम और उन दावों पर तमाचा है ,जो कहते है घर घर राहत सामग्री पहुंच रही है ,खासकर सरकारी सिस्टम पर भी एक तमाचा है ,,,में कहता था ,अभी भी कहता हूँ ,विणा के तारों को इतना भी मत खेंचो के टूट जाए ,और इतना भी ढीला मत करो के बजना ही बंद कर दे ,,क्यूंकि ,आम जनता चुप रहती है तो रहती है , सहयोग करती है ,,लेकिन जब उसकी इज़्ज़त ,अज़मत पर पढ़ती है ,ज़रूरतें रोक ली जाती है ,भूख की तड़प होती है ,तो फिर वोह लोग न पुलिस की गोली से डरते है ,न फौज की गोलियों से ,वोह लोग न क़ानून से डरते है ,न हवालात से ,,बस उन्हें भूख को मिटाने की तड़प होती है ,वोह सिस्टम के खिलाफ निर्भीक और निडर होकर बग़ावत करते है ,,यह तमाचा मीडिया पर भी है ,,जो घर घर जाकर खबर लेते है ,सिर्फ सुपरफिशियल खबर ,राहत सामग्री बांटने के फोटो सहित खबरे प्रकाशित करते है ,,प्रसारित करते है ,उन्होंने सरकार की इस अनदेखी को ,,भूखे प्यासे ,,दूसरे राज्यों के इन मज़दूरों के दर्द को बयान क्यों नहीं किया ,प्रधानमंत्री ने अपने सम्बोधन में इन लोगों के दर्द को क्यों नहीं समझा ,क्यों साँझा नहीं किया ,मुख्यमंत्रियों ने ऐसे लोगों के बारे में विचार क्यों नहीं बनाया ,,सिस्टम हो ,समाजसेवक हो ,राहत सामग्री पहुंचाने वाले हो ,सभी ने इनकी उपेक्षा की है ,,फिर इक्कीस दिन और आगे भी अनिश्चितता ,एक तरफ मोत ,एक तरफ भूख ,एक तरफ ज़िंदगी की जुस्तजू ,ऐसे मज़दूरों को बगावत पर मजबूर करती ही ,,है ,पहले यह सड़को पर निकले ,पिटे ,गिरफ्तार हुए ,,सोशल मीडिया ,घर में आराम कर रहे ,विलासिता भोगी लोगों के मज़ाक़ ,मनोरजन का शिकार बने ,,इन्होने खुद को सड़को से ,रेल की पटरियों पर समेट लिया , लेकिन जब दर्द हद से गुज़रा तो यह बगावत की वजह बनता है ,अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा ,है ,, इनका दर्द समझो ,इन तक राहत सामग्री पहुंचाओ ,इनके माइग्रेशन पर या तो रोक लगे या फिर सुरक्षित तरीके से संक्रमण मुक्त होकर जांचे करवाकर ही इन्हे माइग्रेट करवाया जाए ,,,,,पुलिस वालों को भी हिदायत हो ,,लाठी उठाने ,मुर्गा बनाने ,,ठुकाई करने के पहले ,,उसके बाहर निकलने की वजह तो पूंछे ,,संतोषप्रद जवाब नहीं हो तो फिर आगे की कार्यवाही करें ,सोशल मीडिया पर घरों में सुरक्षित ,पेट भरकर बैठने वाले ऐसे पिटाई के विडिओ ,मुर्गा बनाने के विडिओ ,ठुकाई के विडिओ को मनोरंजन की वजह न बनाये ,हिदायत की वजह बनाये ,ऐसे लोगों का दर्द समझे ,वरना आम लोगों की अभी हर सिस्टम में मदद है ,हर व्यक्ति देश की हिदायतों के साथ है ,,कहीं ऐसा न हो ऐसी बगावत जो इन मुट्ठी भर मज़दूरों ने की है ,लोग कर बैठे ,,ज़रूरी है ,ऐसे लोगों तक राहत सामग्री पहुंचना ,ज़रूरत के सामान पहुंचना ,सरकार को अपनी ज़िम्मेदारी राहत सामग्री पहुंचाने की भी जल्दी ही निभाना चाहिए ,समाजसेवा के नाम पर खाने के पैकेट का जो भ्रम है उस झूंठे तिलिस्म को सरकार को व्यवस्थित तरीके से तोडना होगा ,,,हर विधानसभा क्षेत्र की वार्ड ,वार्ड की भगसंख्याओं के हिसाब से सर्वेक्षण हो ,,सभी समाजसेवकों की सूचि तैयार कर ,उन्हें अलग अलग भाग संख्याओं की ज़िम्मेदारी दी जाए ,वरना अव्यवस्थित खाद्य सामग्री वितरण में एक परिवार को दो बार ,, तीन बार ,तो एक परिवार को एक बारे भी भोजन वितरित नहीं होने की शिकायते आम होती जा रही है ,अभी तो कुछ घरों में व्यवस्थाएं है ,लेकिन आमदनी नहीं ,तो फिर उन्हें भी मजबूरी में ऐसे ही राहत सामग्री की तरफ नज़र उठाना होगी ,फिर ज़िम्मेदारियाँ और बढ़ेंगी ,,इसे व्यवस्थित तरीके से ,,गांधीगिरी के साथ ,लोगों के दुखदर्द जानकर उनके हमदर्द बनकर हम इस कोरोना एडवाइज़री को लागू कर सकेंगे ,,लोगों तक राहत सामग्री ,उनके दुखदर्दों में शामिल होकर ,उन्हें बाहर निकलने से रोक सकेंगे ,उनके बगावत को रोककर उनकी मदद इस रोकथाम में हम ले सकेंगे ,,,,,,,,,,राजस्थान में गांधीगिरी के कई उदाहरण है ,,इनसे सीख लेना चाहिए ,,,,,,आम लोग चिंतित भी न हो ,ख़ौफ़ज़दा भी न हों ,,,पेनिक भी न हो ,एड्वाज़री की पालना भी बनी रहे इसके सामंजस्य को बिठाना ,होगा ,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...