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04 मार्च 2020

अनुसंधान करने , परिवाद के नाम पर टालमटोल और गंभीर मामलों में संज्ञय अपराध होने पर भी मुक़दमा दर्ज नहीं करने की शिकायते वही है

कोटा में पुलिस अधीक्षक बदले , नए दावों के साथ पुलिस सिस्टम ,प्रबंधन ,पुलिसिंग रवय्या बदला ,,अपराध भी हुए ,तो अपराधी पकडे भी गए ,निरोधात्मक कार्यवाही भी हुई ,अपराधियों की नाक में नकेल भी डली ,तो नए अपराधी पुलिस से आँख मिचोली भी खेलते देखे गए ,,कई अंधी गुत्थियां , हत्या , अपराध ठंडे बस्ते से बाहर नहीं निकले है ,,बस एफ आई आर लिखने ,,अनुसंधान करने , परिवाद के नाम पर टालमटोल और गंभीर मामलों में संज्ञय अपराध होने पर भी मुक़दमा दर्ज नहीं करने की शिकायते वही है ,,राजस्थान सरकार में अशोक गहलोत थाने पर रिपोर्ट नहीं लिखने पर ज़िले के एस पी के ज़रिये एफ आई आई आर दर्ज करने का क़ानून बनाकर जनहित में सख्ती कर रहे है ,,लेकिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय में वही परिवाद विभाग ,पुलिस अधीक्षक से आम परिवादी या एफ आई आर दर्ज करवाने की दिक़्क़ते बरक़रार है , कोटा में दो ऐसे संगीन मामले जिसमे कैथूनीपोल पुलिस को विजली विभाग के इनिजिनियर के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही करना थी ,जो परिवाद पर आकर मामला टिका और अभी भी ठंडे बस्ते में है ,इससे भी गंभीर घटना ,एक निजी अस्पताल में एक डॉक्टर द्वारा एक बालिका के साथ इलाज के दौरान बेहोश कर ,,गलत काम करने की लिखित शिकायत ,,वीडियो के साथ दी गयी ,लेकिन एफ आई आर की जगह परिवाद ,,तत्काल कोई कार्यवाही नहीं ,,परिवादी नए पुलिस अधीक्षक से भी मिले ,,फिर कलेक्टर को भी निवेदन किया ,लेकिन ऐसे गंभीर मामले में एफ आई आर की जगह मामला परिवाद पर ही आकर अटका हुआ ,है ,, कोटा की होटलों में योजना बद्ध तरीके से ,वेश्यावृत्ति हो रहे है ,नयापुरा थाना क्षेत्र की एक होटल के खिलाफ इस मामले में पुलिस द्धारा कोई कार्यवाही नहीं करने के खिलाफ लोगों को प्रदर्शन करना पढ़ा ,,गत दिनों पुराने कोटा क्षेत्र की एक होटल में ,लगातार एक एक घंटे के लिए रूम किराये पर देकर अनैतिक कार्य को बढ़ावा देने की शिकायत पर ,जब तलाशी में ताले लगे कमरे खुलवाने पर ऐसे लोग पकड़े गए तो इन लोगों को बिना किसी मुक़दमे के रवाना करने के मामले में एक पुलिस कर्मी ने बढ़ी ढिटाई से जवाब दिया ,,के सुप्रीम कोर्ट का आदेश लिव इन रिलेशन शिप मामले में आया हुआ है ,पुलिस ऐसे लोगों के खिलाफ कुछ क़ानूनी कार्यवाही नहीं कर सकती ,,अजीब बात है न ,,कुछ होटलों में बस इसी पुलिस ख़ामोशी की वजह से बेहयाई का कारोबार जारी है ,,, नए पुलिस अधीक्षक कोटा शहर की क़ानून व्यवस्था के साथ ,तुरंत मुक़दमा दर्ज करने को लेकर गंभीर क़दम उठाये ,,दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ तत्काळ कार्यवाही हो ऐसी व्यवस्थाएं भी करें ,,यही पुलिस थी जो स्मैक ,नशीले पदार्थों की बिक्री की शिकायतें ,सट्टे के कारोबार को नज़र अंदाज़ कर बहानेबाज़ी करती थी ,अब नए पुलिस कप्तान के नियंत्रण में यही पुलिस रोज़ मर्रा नशीले पदार्थों को पकड़ रही है ,,,अपराधी गिरफ्त में है ,आपराधिक घटनाये होना ,गोलीबारी होना ,चाकूबाजी होना ,,आकस्मिक घटना है ,लेकिन तत्काल धरपकड़ पुलिस की शाबाशी की कार्यवाही है ,,,ऐसे में होटलों की निगरानी ,इनकी मुखबीरी कर ,बढे रैकेट को कोटा में अलग अलग जगह पकड़ा जा सकता है ,ऐसा होने पर कोटा के कम उम्र के बच्चों को भी ऐसे अपराधों से मुक्ति मिल सकेगी ,, पुलिस अधीक्षक का कोटा दुर्घटना मामले में उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच के निर्देशों का सभी स्वागत करना चाहिए ,लेकिन हाल ही में गुमानपुरा थाना क्षेत्र के कोटड़ी सर्किल पार्थ मेडिकल के पास ,,यू टर्न के वक़्त एक महिला स्कुटी सवार के दूसरी महिला स्कूटी सवार ने टक्कर मारी , जो दूसरी महिला एक ऑटो ड्राइवर पर गिरी जिससे उसके चोटें आयी ,अब पुलिस जी ने तफ्तीश में सी सी टी वी कैमरे के फुटेज के बाद भी जो महिला टक्कर लग कर ऑटो चालक पर गिरी ,वोह तो मुल्ज़िम जिस महिला ने टक्कर मारी उसका अब तक कुछ नहीं हुआ है ,,अगर उप अधीक्षक स्तर के जांच करते है तो कोई नतीजा तो निकलता ही है ,,,
, कोटा में चमत्कारिक ओषधि मामले में धरपकड़ स्वागतयोग्य है ,, लेकिन चमत्कारिक ओषधि बेचना अपराध होने के साथ साथ ,इस तरह की दवाओं का प्रचार ,प्रसार ,प्रकाशन भी आपराधिक श्रेणी में आता है ,, कोटा के सभी अख़बारों कुछ टी वी चैनलों में ,जापानी तेल सहित कई सेक्स की दवाओं ,लम्बे होने ,बाल ,काले करने ,,दुबले होने सहित कई तरह के आपत्तिजनक विज्ञापन आते है ,जो चमत्कारी ओषधि प्रतिषेध अधिनियम में दंडात्मक प्रावधान में आते है ,अगर ऐसे प्रकाशक ,,प्रसारक ,, विज्ञापनदाताओं के खिलाफ भी निष्पक्षता ,निर्भीकता से ,बिना किसी दबाव के ,, मुक़दमा दर्ज होकर कार्यवाही शुरू हो जाए ,तो कई लोगों के साथ ठगी का कारोबार रुक सकेगा ,,
,,,,, कोटा में वर्तमान हालातों में पुलिस बेड़े में थानास्तर ,ट्रेफिक स्तर पर बढे बदलाव की भी आवश्यकता है ,,, यहाँ मुखबिर प्रणाली ,पुलिस मित्र प्रणाली के अलावा सी एल जी सदस्यों के चयन ,,शांति समिति सहित अन्य व्यवस्थाओं में गड़बड़ियां है ,,थानों में मुक़दमा दर्ज करने ,,परिवाद जांच प्रक्रिया और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जो शिकायते ,परिवाद जाते है ,वोह थाने में तो भेजे जाते ,है ,, लेकिन निष्पक्ष जांच की उन परिवादों की समयबद्ध मॉनिटरिंग पुलिस अधीक्षक कार्यालय में दर्ज रजिस्टर होकर कार्यालय में भेजने की तिथि , निस्तारण की तिथि कितने दिन में निस्तारण हुआ ,परिवादी की संतुष्टि सहित कुछ विशेष नोट अंकित किये जाने का प्रावधान हो तो इस मॉनिटरिंग से लेलतीफी और मनमानी पर रोक ,लगेगी ,, कार्यालय में परिवाद लेने वाले लोगों में कई लोग गंभीर नहीं है ,कुछ शिकायते पहले ऐसी भी रही है के थाना स्तर की शिकायत लेकर जाने वाले के मामले में ,,शिकायत पढ़ कर ,कार्यालय से थाने पर शिकायतकर्ता और शिकायत मामले में पूर्व सूचना भी दी जाती रही है ,आपके नियंत्रण में बेहतर ,पारदर्शी व्यवस्था होगी इसमें आप निश्चित तोर पर सुधार कर रहे है ,,
ट्रेफिक कंट्रोल मामले में आपकी ट्रेफिक ज़ोन नियंत्रण प्रणाली ,,खासकर दुर्घटना के वक़्त उप अधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा सूक्ष्म जांच निश्चित तोर पर बेहतरीन कार्यवाही है ,इसके लिए बधाई ,,मुबारकबाद ,,, लेकिन कोटा में हेलमेट चेकिंग से बाहर ट्रेफिक पुलिस नहीं निकल पाती है ,,,यहां पुराना आपराधिक ट्रेंड रहा है ,जिसमे आपराधिक प्रवृत्ति के लोग ,हेलमेट पहनकर ही अपराध करते है ,,चेन स्नेचिंग ,,सहित कई तरह के अपराधों में यह लोग हेलमेट में अपनी पहचान छिपा कर अपराध करते है ,ऐसे में नाकेबंदी जांच में हेलमेट पहनना और हेलमेट पहनकर ट्रेफिक ज़ोन ,या नाकेबंदी से बिना किसी जांच के निकलना उसका प्रमाणपत्र हो जाए तो ,,ऐसी आपराधिक गतिविधियां जिसमे हेलमेट पहनकर ही व्यक्ति अपराध करते है ,बढ़ने की संभावना है ,,, ट्रेफिक जाँच में ,,सड़कों की मरम्मत ,स्पीडब्रेकर का विधि नियमों के तहत निर्माण ,,अधिकतम स्पीड ,,न्यूनतम स्पीड ,के बोर्ड लगवाने की कार्यवाही ,सड़कों पर बाधित करने वाले अतिक्रमण हटाना ,,सड़कों पर दुर्घटना का कारण बने बीच सड़क पर बैठे या जुगाली करने वाले ,गांय ,वगेरा आवारा जानवरों को सड़कों से हटवाना ,उनके मालिकों और लापरवाह नगर निगम कर्मचारियों के खिलाफ कार्यवाही करना ,, सड़क पूर्ण रूप से आम आदमी की आवाजाही के लिए कैसे सुरक्षित रहे इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करना ,, गेलेंट्री बोर्ड जो नगर निगम ,नगर विकास न्यास के है ,उन्हें और अधिक संख्या में लिखवाना ,इन बोर्डों को ढक कर विज्ञापन लगाने वालों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज कर कार्यवाही करना ,, शराब पीकर वाहन चलाने ,,मोबाईल पर बात करते वक़्त वाहन चलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करना ,, खासकर राष्ट्रिय राज मार्ग अधिनियम ,राज्य राजमार्ग अधिनियम के प्रावधान के तहत ,,सड़कों के दोनों तरफ ,,सामने विज्ञापन लगाने के खिलाफ कार्यवाही हो ,क्योंकि उक्त क़ानून में दृष्टि भ्रम ,,यानी कोई भी वाहन चालक ,चाहे कार चालक हो ,ट्रक चालक हो ,दुपहिया वाहन चालक हो ,अगर वोह सामने या सड़क के आसपास लगे विज्ञापन को पढ़ने में दिमाग लगाए तो उसका ध्यान भटकता है , दुर्घटना होने की संभावना होती है ,, सड़कों पर मिनी बस ,,टेम्पो ,मैजिक ,, ऑटो का संचालन ,बेतरतीब मनमाना है ,वाहन चलते चलते ,अचानक कहीं भी रोक देना ,,किधर भी मोड़ लेना इनकी आदत है ,इस पर भी अंकुश ज़रूरी है ,,जबकि ओवर लोडेड वाहन ,, स्टेज केरिज परमिट ,निजी बसों का संचालन ,सड़कों पर इन बसों को खड़े रखकर सड़क रोकना भी बंद करवाया जाना ज़रूरी है ,,कोटा में ट्रेक्टर ट्रॉलियां अधिकतम शहर की सड़कों पर कृषि सामग्री के अलावा ,मकान निर्माण की सामग्री और दूसरे सामान लेकर आते जाते है जो अवैध है और इनका संचालन शहर की सड़कों पर बेतरतीब होता है ,, कई ट्रेक्टर मालिक यू आई टी ,नगर निगम का बोर्ड ट्रेक्टर के आगे लगाकर यह काम अवैध रूप से कर रहे है जबकि ट्रेक्टर में कृषि के अलावा दूसरी कोई सामग्री ले जाना अवैध है ,, नो एंट्री ज़ोन की भी सख्ती से पालना होना अनिवार्य है , कूल मिलाकर जो सेफ ट्रेफिक ज़ोन के लिए निर्देशित कार्यवाही में , थोड़ा संशोधन कर ,अगर इन बाधाओं के मामले में भी निर्देशित किया जाए ,दोषी लोगों के खिलाफ कार्यवाही हो ,तो निश्चित तोर पर नए प्रयासों से कोटा एक आदर्श ट्रेफिक ज़ोन के रूप में ,,ज़ीरो दुर्घटना ,,संख्या का शहर घोषित हो सकता है , एडवोकेट अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ,

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